चाय पीने का शौक रखने वालों के लिए खास खबर

महंगी चाय
महंगी चाय

एक चाय के लिए खर्च करने होंगे लाखों रुपए

चाय कई तरह की होती है. दूध वाली चाय, काली चाय, नींबू चाय, ग्रीन टी और ना जाने क्या-क्या? कई फ्लेवर्स में दुनियाभर में चाय पी जाती है. चाय का ये स्वाद अलग किया जाता है चाय की पत्तियों से. चायपत्ती का स्वाद ही इसके टेस्ट को चेंज करता है. भारत में तो दुकानों में आपको 5 रुपए की चायपत्ती का पैकेट भी मिल जाएगा. लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया में सबसे महंगी चायपत्ती कहां बिकती है और इसका प्राइस क्या है?

वहीं, अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस के मौके पर आपको चाय से जुड़ी कई तरह की बातें भी जानने को मिलेंगी, जैसे कि चाय के प्रकार, चाय के फायदे और चाय के नुकसान समेत अन्य जानकारियां। लेकिन इन सबसे अलग हम आपके लिए लेकर आए हैं चाय से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी, जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। अगर आपसे कोई पूछे कि एक प्याली चाय की कीमत की क्या होगी? तो आपका जवाब क्या होगा? 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 या फिर 500 रुपये। लेकिन ऐसा नहीं है। आज हम आपको दुनिया की कुछ सबसे महंगी चाय के बारे में बताने जा रहे हैं। तो चलिए आगे बढ़ते हैं।

दुनिया की सबसे महंगी चाय

महंगी चाय
महंगी चाय

चीन की दा होंग पाओ (चाय का प्रकार) चाय की कीमत 1 मिलियन डॉलर प्रति किलोग्राम से अधिक है। आप सोच रहे होंगे कि इसमें आखिर ऐसा क्या है, जो इसे इतना बनाता है। दरअसल, दुनिया में इस वैरायटी के चाय के केवल छह पेड़ हैं। मदर प्लांट के रूप में लोकप्रिय ये पेड़ चीन के फ़ुजयि़ान प्रांत के वुई पर्वत में पाए जाते हैं। आखिरी बार इन्हें साल 2005 में काटा गया था, जिसका मतलब है कि इस चाय के कुछ ग्राम की कीमत उनके सोने के वजन से भी दोगुने से अधिक है।

साल 2002 में एक नीलामी के दौरान इस चाय के केवल 20 ग्राम बेचे गए थे, जिसकी कीमती 180,000 युआन या लगभग $28,000 (मौजूदा दरों के हिसाब से 2&.16 लाख रुपये) में बेची गई थी। ये चाय अपनी दुर्लभता के लिए एक राष्ट्रीय खजाना घोषित किया जा चुका है। माना जाता है कि, मिंग डाइनेस्टी के एक सम्राट ने अपनी बीमार मां के इलाज के इस विशेष ऊलोंग चाय को पाना चाहा था क्योंकि इसके औषधीय गुण उन्हें ठीक कर सकते थे और इस चाय के एक जार को पाने के लिए उन्होंने अपना रोब (चीनी कपड़ा) दान कर दिया था। यह चाय इतनी खास है कि चेयरमैन माओ ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को 1972 में चीन की आधिकारिक यात्रा पर इसका 200 ग्राम उपहार में दिया था।

लेकिन दा होंग पाओ को महत्व देने वाले सिर्फ चीनी ही नहीं हैं। माना जाता है कि साल 1849 में, ब्रिटिश बोटेनिस्ट रॉबर्ट फॉ‘र्यून एक गुप्त मिशन पर चीन के वुई पर्वत पर गए थे। यहां वो इस विशेष चीनी चाय के बीज और कटिंग्स चुराने के लिए गए थे, जिसे ब्रिटेन के लोग काफी प्यार करते थे और उन्हें भारत में लगाना चाहते थे। यहीं से ये बीज भारत पहुंचे और तब से लेकर आज तक भारत और चाय के बीच इतना गहरा रिश्ता बन चुका है कि भारतीय इसके बिना अपनी सुबह को अधूरा मानते हैं।

एक तरफ दा होंग पाओ चाय है, जो दुनिया की सबसे महंगी चाय मानी जाती है और केवल नीलामी में उपलब्ध है। तो वहीं एक और चीनी चाय है, जो काफी महंगी है और इनका मिंग डाइनेस्टी से कोई संबंध नहीं है। बल्कि ये चीन में पाए जाने वाले एक दुर्लभ जानवर से संबंधित है। पांडा डंग चाय, जो पांडा के डंग को फर्टिलाइजर के रूप उपयोग करके बनाई जाती है। यह फर्टिलाइजर पोषक तत्वों से भरपूर होता है क्योंकि पांडा बांस खाते हैं और वे इसके पोषक तत्वों का केवल &0 प्रतिशत ही अवशोषित कर पाते हैं बचा हुआ पोषक तत्व डंग (गोबर) में रहता है। इतना ही नहीं ये डंग पौधों के लिए खाद का काम करता है।

कहां से आई पांडा डंग चाय?

आई पांडा डंग चाय?
आई पांडा डंग चाय?

पहली बार इस चाय को एक दशक पहले चीन के सिचुआन के यान पर्वत में एक व्यापारी और पांडा लवर द्वारा उगाई गई थी। काफी धूमधाम के बीच, पहला बैच 50 ग्राम के लिए &,500 डॉलर (2.90 लाख रुपये) में बेचा गया, जिससे यह सबसे महंगी चाय में से एक बन गई। हालांकि, अब इसका उत्पादन नहीं होता है।

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