पोषण से संरक्षण तक – अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की पहल से राजस्थान में हो रहे सकारात्मक बदलाव

अनिल अग्रवाल फाउंडेशन
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन

Jaipur News: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वेदांता लिमिटेड ने एक बार फिर राजस्थान में सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी मजबूत प्रतिबद्धता का परिचय दिया है। वेदांता की सामाजिक संस्था अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (आफ) राज्य में सामाजिक और पारिस्थितिकीय स्तर पर व्यापक बदलाव लाने में सक्रिय भूमिका निभा रही है।

25,000 नंद घरों का लक्ष्य

राज्य सरकार के साथ हाल ही में हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत आफ राजस्थान में 25,000 नंद घर विकसित करेगा, जिनमें से 5100 से अधिक पहले ही सक्रिय हैं। ये नंद घर न केवल पोषण, प्रारंभिक शिक्षा और कौशल विकास के केंद्र हैं, बल्कि सौर ऊर्जा से संचालित, वर्षा जल संचयन, किचन गार्डन और पौधारोपण जैसी सुविधाओं से युक्त हैं। यहां बच्चों को खेल-खेल में प्रकृति, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की व्यवहारिक शिक्षा दी जाती है, जिससे नई पीढ़ी में जिम्मेदार और जागरूक नागरिक तैयार हो सकें।

अनिल अग्रवाल फाउंडेशन
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मिशन वनरक्षा

द एनिमल केयर ऑर्गनाइज़ेशन (टाको) वेदांता की एक अन्य प्रमुख पहल है जो राजस्थान की जैवविविधता और वन्यजीव संरक्षण के लिए समर्पित है। टाको का प्रमुख अभियान मिशन वनरक्षा, जंगलों और जीवों की रक्षा के लिए आधुनिक संसाधनों से लैस संरचना तैयार कर रहा है।

रणथंभौर नेशनल पार्क में 1 करोड़ रुपये के अनुदान से 7 सर्विलांस वाहन तैनात किए गए हैं। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में 5 सुरक्षा कैंप और 2 निगरानी वाहन लगाए जा रहे हैं। इन प्रयासों से अब जंगलों की निगरानी, सुरक्षा और पारिस्थितिकीय संतुलन को नया संबल मिला है।

पालतू पशुओं की देखभाल भी प्राथमिकता

प्रोजेक्ट टाको के ज़रिए केयर्न ऑइल एंड गैस नियमित रूप से ऊँट पालकों के लिए पशु चिकित्सा शिविर आयोजित करता है, जिससे पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर बना रहे, आजीविका को सहारा मिले और राजस्थान की समृद्ध पशुपालक परंपरा को संरक्षित किया जा सके।

हर जीवन की परवाहः सतत विकास की ओर साझा कदम

वेदांता का उद्देश्य के वल सामाजिक सेवाएं देना नहीं, बल्कि एक ऐसा तंत्र तैयार करना है जिसमें मानव और प्रकृति का सहअस्तित्व हो। इस विश्व पर्यावरण दिवस पर अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की ये पहल राजस्थान को एक स्वस्थ, जागरूक और सतत भविष्य की ओर ले जाने में मील का पत्थर साबित हो रही है।

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