भगवान आदिनाथ की 24 टन वजनी प्रतिमा वीरोदय में क्रेन से उतारी

बांसवाड़ा। वागड़ के सबसे बड़े वीरोदय तीर्थ पर बुधवार को भगवान आदिनाथ की 21 फीट ऊंची पदमासन प्रतिमा स्थापित की गई। 30 टन वजनी प्रतिमा को क्रेन से उतारकर कमलासन वेदी पर प्रतिष्ठापित किया तो ऐसा लग रहा था मानो भगवान आसमान से उतर रहे हैं। श्रद्धालु भक्ति गीत और भजनों के साथ वीरोदय तीर्थ क्षेत्र और भगवान आदिनाथ के जयकारे लगा रहे थे। युवा भगवान के जयकारे लगा रहे थे तो महिलाएं और युवतियां मंगल गीत गाते हुए गरबा नृत्य कर रही थीं।

क्रेन के माध्यम से आसमान से भगवान आदिनाथ की प्रतिमा उतारकर कमलासान पर विराजित करने के इस दृश्य की एक झलक पाने बड़ी संख्या में जैन समाज आतुर दिखा। वीरोदय तीर्थ क्षेत्र कमेटी अध्यक्ष मोहनलाल पिंडारमिया और राजेश गांधी ने बताया कि 30 टन वजनी भगवान श्री आदिनाथ की प्रतिमा कमलासन पर विराजित करने का सौभाग्य बड़ोदिया निवासी मुकेश कुमार जैन, सुनील जैन, विपुल जैन पुत्र बसंतलाल जैन परिवार को मिला।

प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया सुयश के सान्निध्य में मंत्रोच्चचार के साथ बसंतलाल चंपालाल परिवार बड़ोदिया ने कमलासन की स्थापना की। अनूप खोड़निया और मुकेश खोड़निया ने बताया कि वीरोदय में निर्माणाधीन मूल पाषाण मंदिर में खुले आसमान तले सुशोभित भगवान आदिनाथ की प्रतिमा पर आसमान का छत्र बना हुआ है। दिन में नीले गगन और रात को चंद्रमा की रोशनी में इसकी आभा देखते ही बनती है।

जेदला मोड़ पर चंदूजी का गढ़ा जैन समाज ने की अगवानी

चिडिय़ावासा. वीरोदय तीर्थ क्षेत्र पर विराजित होने वाले वागड़ के बड़े बाबा भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का बुधवार को जेदला मोड़ पर चंदूजी का गढ़ा जैन समाजजनों ने भव्य अगवानी की। जैन समाज के सुरेन्द्र कोठारी, हर्षित समादिया, विशाल शाह ने प्रतिमा पर तिलक रस्म करते हुए प्रभु आदिनाथ को अर्घ्य समर्पित किया। इस अवसर पर जयंतीलाल शाह, ऋषभ शाह, राजमल समादिया, प्रद्युम्न शाह, शुभम कोठारी, धवल समादिया, अंकित शाह के साथ ही समस्त समाजजन उपस्थित रहे।

सम्यकदर्शन कराने वाली है भगवान की प्रतिमा

जयंतीलाल पिंडारमिया व विनोद दोसी ने बताया कि सम्यक दर्शन कराने वाली भगवान की इस भव्य प्रतिमा के दर्शन मात्र से ही पापों की निर्जरा हो जाती है। प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ इस युग के प्रथम नायक व वागड़ के मूलनायक आदिनाथ भगवान की प्रतिमा निर्माण के पुण्यार्जक आरके मार्बल परिवार के अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी, विमल पाटनी को प्राप्त हुआ। मंदिर निर्माण का खर्च भी पाटनी परिवार ही वहन करेगा।

उन्होंने बताया कि आचार्य विद्या सागरजी महाराज के आशीर्वाद और निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज के आशीर्वाद व सान्निध्य में निर्माणाधीन जिनालय में प्रतिमा विराजित करने से पहले प्रथम नवन कराने का सौभाग्य विकेश मेहता/दिनेश मेहता परिवार, यशोधर मेहता, दीपक मेहता, सुनील खोड़निया को प्राप्त हुआ।

प्रतिमा विराजमान दस्तूर करने का सौभाग्य नौगामा निवासी प्रदीप जैन पुत्र लक्ष्मीलाल जैन परिवार को मिला। प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया के सान्निध्य में स्वस्तिक तिलक संस्कार कर प्रतिमा स्थापित की गई। वेदी पर प्रतिमा विराजमान करने के दृश्य को अपने मोबाइल व कैमरों में कैद करने के लिए वागड़वासियों की होड़ लग गई। स्वस्तिक विराजमान करने का लाभ अशोक कुमार जैन पुत्र लक्ष्मीलाल जैन व अनिल कुमार जैन पुत्र कोदर जैन परिवार को मिला।

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