समाज के भामाशाहों के संघर्ष की कहानियां भावी पीढ़ियों को देगी प्रेरणा : डॉ. टीबड़ेवाल

दीपावली स्नेह मिलन व सामाजिक सरोकार के सारथी पुस्तक का लोकार्पण

झुंझुनूं. राजस्थानी सेवा संघ के अध्यक्ष और चुड़ैला स्थित श्री जेजेटी विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन डॉ. विनोद टीबड़ेवाल ने गुरुवार को विश्वविद्यालय के श्रीमती भगवानी देवी सभागार में आयोजित समारोह में कहा कि समाज के भामाशाहों के संघर्ष से सफलता तक पहुंचने की कहानियां भावी पीढ़ी को पढ़ाई जानी चाहिए।

उन्हें अपने पुरखों, बुजुर्गों के संघर्ष को जान कर आगे बढ़ने की सीख मिलेगी। डॉ. टीबड़ेवाल विश्वविद्यालय में आयोजित दीपावली स्नेह मिलन समारोह तथा जिले के सेठ-साहूकारों, भामाशाहों की तीन से पांच पीढ़ियों की गाथा पर आधारित पुस्तक ‘सामाजिक सरोकारों के सारथी’ के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे।

डॉ. टीबड़ेवाल ने कहा कि शेखावाटी, खास कर झुंझुनूं की माटी की तासीर ही कुछ अलग है, हमें इस धरती पर पैदा होने का जो अवसर मिला है, वह किसी वरदान से कम नहीं है। यही वजह है कि यहां के लोगों ने हमेशा खुद के बूते अपनी पहचान बनाई, देश और दुनिया को वाणिज्यिक कौशल सिखाया, साथ ही अपनी जन्म भूमि के कर्ज चुकाने की भावना भी पैदा की। इसलिए यहां के भामाशाहों ने हमेशा दूसरों की सेवा को अपना परम धर्म माना है। आज भी यहां के लोग शिक्षा और चिकित्सा के लिए काम कर रहे हैं।

समारोह के विशिष्ट अतिथि कृषि वैज्ञानिक डॉ. हनुमान प्रसाद और भामाशाह बजरंग लाल सोलानावाला ने कहा कि हमारी संस्कृति समृद्ध और विशाल रही है। यहां के लोगों ने कमाना सीखा तो अपनी कमाई का एक हिस्सा समाज और पीड़ित मानवता के लिए खर्च करना भी उनके स्वभाव में है। विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद एवं अब पीपल, बड़ सहित करीब एक लाख पौधे लगा चुके पर्यावरण प्रेमी डॉ. हरिसिंह गोदारा ने कहा कि आज की पीढ़ी को पर्यावरण बचाने के लिए आगे आना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि झुंझुनूं निवासी, चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रहे और बॉलीवुड में खास पहचान बना चुके सलीम दीवान ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं जो ऐसे भामाशाहों का हमें साया मिला, जिनकी पहचान आज दुनिया भर में है। भामाशाहों की कहानियां निश्चित रूप से भावी पीढ़ी को कुछ नया करने की प्रेरणा देगी।

जिला जन संपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह सैनी ने जिले की विशेषताओं की चर्चा करते हुए साहित्यकारों की भूमिका को रेखांकित किया। प्रारंभ में पुस्तक के संपादक माणक मोट ‘मणि’ ने पुस्तक का परिचय दिया और संपादक रामनिवास सोनी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए उनका अभिनंदन किया। संचालन सत्यवीर झाझड़िया ने किया।

इस मौके पर भामाशाह एवं गीतांजली ज्वैलर्स के चेयरमैन शिवकरण जानू, समाजसेवी विश्वनाथ टीबड़ेवाल, सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन जानू, बिड़ला सार्वजनिक अस्पताल, पिलानी के सचिव गोविंद राम सैनी, श्रीमती विद्या अग्रवाल, नितिन अग्रवाल, सत्यदेव दड़िया, पूर्व सैनिक न्याय संघर्ष समिति के जिला अध्यक्ष कैलाश सूरा, सूबेदार दिनेश कुलहरि, कैप्टन रामनिवास ताखर, भामाशाह सोहनलाल वर्मा, बबाई, तारानगर से आए पशु चिकित्सक जवरी मल सोनी, लोहिया कॉलेज चूरू में बॉटनी के प्रोफेसर डॉ. केसी सोनी, प्रोफेसर डॉ. राजकुमार भाखर, श्री जेजेटी विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार डॉ. मधु गुप्ता, लॉ विंग के प्रिंसिपल डॉ. अनिल कुमार, पीएचडी विभाग के डॉ. अजित कस्वां, डीजेटी अस्पताल के प्रभारी डॉ. राजेंद्र झाझड़िया, डॉ. संजय कटेवा, डॉ. सार्थक कटेवा, डॉ. सुनीता चौधरी, झुंझुनूं नागरिक मंच के संयोजक उमाशंकर महमिया, जाट फाउंडेशन सोसाइटी के विजय गोपाल मोटसरा, भूजल वैज्ञानिक कुंभाराम चौधरी, प्रोफेसर नरेश सोनी, इंजीनियर तरुण सोनी, पिलानी, डॉ. अमन गुप्ता, डॉ. निधि यादव, विश्वविद्यालय स्टाफ व स्टुडेंट्स मौजूद थे।

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