स्ट्रीट फोटोग्राफी एक माध्यम है स्वयं को पहचानने का – शिवजी

कैमरे की नजर सेः ब्लू सिटी जोधपुर के अद्भुत फोटोग्राफर डॉ. शिव नारायण जोशी

नेशनल ज्योग्राफिक लर्निंग मैग्जीन ‘लाइफ’ के एज्यूकेशनल इष्यू में छपी शिवजी की ‘मेड फॉर इच अदर’ फोटोग्राफ जिसमें एक ग्रामीण और उसका उंट रेगिस्तान के धोरों पर आमने सामने बैठे हैं सबसे पसंदीदा तस्वीर बनी। इसी तरह एक बडे ही अनूठे अंदाज में हरिद्वार के गंगा घाट में कपडे बदलती एक युवती की अचंभित करती शिवजी की खींची तस्वीर नेशनल ज्योग्राफिक योर शॉट स्पेशल इष्यू में 101 अनूठी तस्वीरों में शामिल हो पब्लिश हुई। शिवजी की फोटोग्राफ निकॉन कैलेंडर के 2010 के एडिशन में भी शामिल की गयी। इसी तरह 2011 के नेशनल ज्योग्राफिक इष्यू में शिवजी की छपी फोटोग्राफ ने 25 हजार रूपये जीते।

जीवंत नगरी या ब्लू सिटी जोधपुर से शिवजी के नाम से प्रसिद्व डॉ शिवनारायण जोशी ने अपने खींचे आकर्षक रेगिस्तान, गलियों/स्टरीट और पर्यटन से जुडे फोटोग्राफी चित्रों के जरिये विश्वभर में अपनी अलग पहचान बनायी है। उम्र के 80वें पडाव में भी बिना थके आज भी जोधपुर में बेसिक फोटोग्राफी तकनीक से लोगों को रूबरू करवा रहे शिवजी जिंदादिली की एक अनूठी मिसाल हैं। शिवजी को अपनी फोटोग्राफी की अद्भुत कला के दम पर अंतरराष्टरीय स्तर पर करीब 250 से अधिक पुरूस्कारों और करीब 10 गोल्ड मैडल्स से सम्मानित किया जा चुका है।

शिवजी को रेगिस्तान से बेहद लगाव है। वे कहते हैं रेगिस्तान को मैं जीवंत मानता हूं जहां हवा के बहाव से नई नई आकृतियां बनती बिगडती रहती हैं। मिटटी के टीलों में एक महिला की आकृति देखी जा सकती है। लाइन और लाइट महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं घुमावदार रेत के धोरों के अद्भुत आकारों को कैप्चर करने में। शिवजी को ‘रेस्ट एट डेसर्ट ऑफ राजस्थान’ आकर्षक तस्वीर के जरिये फोटोग्राफिक सोसायटी ऑफ अमेरिका द्वारा गोल्ड मैडल से नवाजा गया।

डॉ शिव ना केवल एक अनुभवी फोटोग्राफर है बल्कि एक शिक्षाविद और लेखक भी हैं। मास्टर ऑफ फिलोसफी में गोल्ड मैडल पाने वाले डॉ शिव पी.एच.डी डिग्री होल्डर और जोधपुर जे.एन.वी विष्वविद्यालय में फिलोसफी के हैड ऑफ द डिपार्टमेंट के रूप में कार्य कर चुके हैं। डॉ शिव ने करीब 19 छात्रों को पी.एच.डी करवायी है और उनके करीब 50 से अधिक रिसर्च पेपर और लेख छप चुके हैं। इसी कडी में डॉ शिव की ‘ए क्रिटिक ऑफ इंडियन ड्युएलिस्म’ नाम से पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है।

फोटोग्राफी और फोटोग्राफी तकनीक को अधिक लोकप्रिय और मुफ्त में लोगों को सिखाने के लिये जहां दूसरे फोटोग्राफर इसी कार्य के लिये भारी मेहनताना लेते हैं शिवजी आठ दिनों का फोटोग्राफी का कॉम्पलीमेंटरी प्रशिक्षण अपने गुरूकुल ऑफ फोटोग्राफी इंस्टीट्यूट के माध्यम से देते हैं। साल में सिर्फ चार से पांच बैच लेकर शिवजी इस प्रशिक्षण के जरिये दुनियाभर के लोगों को लाभांवित कर रहे हैं। शिवजी के हर बैच में मात्र 11 छात्र होते हैं। एक जर्मन यात्री और फोटोग्राफर मार्कस मालॉन शिवजी के फोटोग्राफी कला से इतने प्रभावित हुये कि उन्होने अपनी प्रसिद्व ब्लॉगिंग वेबसाइट ‘स्टोरी बिहाइंड द पिक्चर’ पर शिवजी का इंटरव्यू प्रकाशित किया। एक और उपलब्धि हासिल करते हुये शिवजी अभी तक बोस्टन अमरीका के सुसैन गैनसिक के साथ दो बार भारत के अपने खींचे दुर्लभ फोटोग्राफी की प्रदर्श्नी बॉस्टन म्युजियम ऑफ फाइन आर्ट में भी लगा चुके हैं।

अपनी जीवन यात्रा मुझसे साझा करते हुये शिवजी बोले मैं पढाई में कुछ खासा अच्छा नहीं था। लोगों को लगता था कि मैं किसी लायक नहीं हूं। इस बात ने मुझे अंदर तक छू लिया था। मैं हमेशा अपने मित्र लालजी के फोटो स्टूडियो जो घर से विद्यालय के रास्ते में पडता था अचंभित होकर देखा करता था। एक दिन हिम्मत जुटा कर अंदर चला गया। वहां लालजी ने मुझे फोटोग्राफी की बारीक से बारीक तकनीक की जानकारी दी। बस शायद यही नीयती को मेरे लिये मंजूर था। मेरे स्नात्कोत्तर करने के दौरान 1962.63 में लालजी ने मुझे अपना बेशकीमती जर्मन कैमरा रोलीकॉर्ड फोटोग्राफी करने के लिये दिया। मेरे खींचे चित्र लालजी को इतने पसंद आये कि इस बात ने मुझे इस कार्य के लिये बेहद उत्साहित कर दिया।

शिवजी का नाम 1998 के ग्रेट पिक्चर कांटेस्ट और 2000 में आयोजित यू.एस.ए की पोप्युलर फोटोग्राफी में भी शामिल हुआ है। राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा 51 हजार रूप्ये के नकद पुरूस्कार और बीकानेर फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से शिवजी को सम्मानित किया जा चुका है। डॉ शिव के फोटोग्राफ्स फोटोग्राफी ईयर बुक, इंग्लैंड, अमरीका की पॉप्युल्र फोटोग्राफी, प्रेक्टिकल फोटोग्राफी इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलियन कैमरा कार्फट और कई देशी विदेशी स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं।

शिवजी ने डिजिटल इमेजस और कलर स्लाइड के 30 शो जिसमें एम.आई.टी कैम्ब्रिज, अमरीका, कैंब्रिज, पी.एस.आई मुंबई, मारवाड फेस्टिवल जोधपुर और देश के कई अन्य महत्वपूर्ण शहरों में आयोजित किये।

शिवजी ने एक ओर जहां अनूठे रेगिस्तानी फोटोग्राफी के वर्कशॉप आयोजित किये वहीं डेसर्ट फोटोग्राफी के मेंटोर के रूप में भी उन्हें आमंत्रित किया जा चुका है। 900 से अधिक देशी विदेशी स्तर पर आयोजित फोटोग्राफी प्रतियोगिताओं में भाग लेने के साथ शिवजी को इसी कडी में 200 से ज्यादा पुरूस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

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बुलंदी के शिखर पर पहुंचने के बाद भी आज शिवजी को एक अजीब से चुभन और दर्द इस बात का है कि भारत देश में आज भी फोटोग्राफी को वह सम्मानीय दर्जा नहीं मिला है जो विदेशों में है। विदेशों में फोटोग्राफी के प्रोफेशन को बहुत ही सम्माननीय स्थान दिया गया है।

अनुभा जैन, पत्रकार लेखिका