किसान आंदोलन : सुप्रीम कोर्ट ने कहा-दूसरे पक्षों को शामिल करते हुए एक कमेटी बनानी चाहिए

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को सड़कों से हटाने की अर्जियों पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार, किसान संगठनों और दूसरे पक्षों को शामिल करते हुए एक कमेटी बनानी चाहिए, क्योंकि जल्द यह राष्ट्रीय मुद्दा बनने वाला है। ऐसा लगता है कि सिर्फ सरकार के स्तर पर यह सुलझने वाला नहीं।

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ सरकार की बातचीत का अभी तक कोई साफ नतीजा नहीं निकला है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से जवाब मांगे हैं। कोर्ट ने किसानों को भी पार्टी बनाने की इजाजत दी है। कल फिर सुनवाई होगी। बुधवार को सुनवाई के दौरान एक पिटीशनर के वकील ने शाहीन बाग के मामले की दलील दी तो, चीफ जस्टिस ने कहा कि कानून-व्यवस्था से जुड़े मामले में कोई उदाहरण नहीं दिया जा सकता।

किसानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कई अर्जियां लगी हैं। पिटीशनर्स का कहना है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है। प्रदर्शन वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होने की वजह से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है।