Tag: हथाई
गधों पर आंच
किसे पता था कि पिछली खाई खुटेगी नहीं और अगली तैयार हो जाएगी। अभी तो पिछली लिखाई की ''स्याही भी नहीं सूखी...
चला (ना) पाक, पाक बनने!
ना सोचना है, ना विचारना है। अपनाने की बात तो दूर की कोड़ी। वो भले ही अतीत को दफनाने का समय आ...
गेटआउटपंथी
यह बहस का मुद्दा हो सकता है कि उन्हें क्यूं निकाला। किसलिए निकाला। निकालने का अधिकार है या नहीं। निकालते समय क्या...
शुद्ध सियासी खेला
पहले सुना ही था, अब नंगी आंखों से दिख भी रहा है, फरक पसराव का। भाई लोगों ने उसे मुट्ठी में...
सुधर जाओ वरना सिधारने का खतरा बढ जाणा है
यहां-वहां बिगाड़ होने को लेकर तो चला लिया। चलाना नही चाहिए था, मगर चलाना पड़ गया। जो कुछ हो रहा है वह...
मुर्गा थाने में
फर्ज करो कि जैसा उनके साथ होता रहा है, वैसा उसके साथ हुआ तो क्या होगा। वो सीन कैसे होंगे। वो मंजर...
आजाद के बाद किस का पुतला !
पक्का तो नहीं कह सकते, मगर जैसा चल रहा है उसको देखते हुए तो ऐसा लगता है मानो बाईस और जलने हैं।...
तुम्हारे वाले कब लगवाएंगे
अब सवाल ये कि लेट क्यूं लगवाई। पहले लगवा लेते तो कम से कम दस-बारह करोड़ बंदे निपट जाते। खामखा देर कर...