टैग: हथाई
बकरी बाईसा की नोट चराई
जो कुछ हुआ उस का हमें व्यक्तिगत रूप से अफसोस है। उसमें इत्ती समझ कहां थी जो समझ पाती कि उसे ऐसा नहीं करना...
उधार शास्त्र
कोई माने तो ठीक-ना माने तो मरजी उनकी। हमारा काम सलाह देना है। राय भी ऐसी-वैसी नहीं वरन एकदम ठावी, जिसपे विचार किया...
ढूंढो.. ढूंढो.. रे.. सीना..
पहले सोचा ही था, अब लगता हैकि बदलाव करना ही पड़ेगा। परिवर्तन कर भी दिया तो कोई नई बात नहीं है। ऐसा होना स्वाभाविक...
सरपंच इन राजमहल
घटत-बढत होगी तब होगी। घटने का तो सवाल ही नही उठता, बढने के आसार हंडरेड परसेंट पक्के। बढोतरी कहां जाकर थमती है, यह जोड़-गणित...
तंज-ताने से निकला आइडिया
कहा तो मजाक में था आगे चल कर वो तंज और ताने मे बदल गया। उस मजाक को, उस ताने को, उस तंज को...
‘बड़का-टू भी फ्लॉप
अगली खाई तो खूटी ही नहीं कि अगली और तैयार हो गई। असल में यह राजस्थानी भाषा में कही जाने वाली एक कहावत का...
पगे लागणां पे बट्टा
बातें भतेरी। जितने मुंह उतनी बातें। कई बार तो एक जुबान से भांत-भांत की बातें निकाल दी जाती है। ऐसा होने पर जितने मुंह...
दूर हो सियासी सुगलवाड़ा
हम भी सफाई चाहते हैं। वो भी सफाई चाहते हैं। हम सब सफाई चाहते हैं तो फिर देरी किस बात की है। हम किसका...
खाया-पिया निकालने का समय
अपने यहां 'जीमिया पछै चुळू वाली कहावत आम है। इसका हिन्दीकरण किया जाए तो निकलेगा-'खाना खाने के बाद कुल्ला करना।और अंदर जाएं तो अर्थ...
भावे ‘इ आम खट्टे
किसे पता था कि पांडु की मुफतखोरी बचपन की ओर ले जाएगी। किसे पता था कि बचपन सुनी दूसरी पारी की ढलान में जाकर...
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