Tag: दसवां वेद
8958. सकल सुधारै काम
ज्यां घट बहुळी बुध बसै, रीत नीत परिणाम। घड़ भांगै, भांगै घडै़, सकल सुधारै काम।।
जिनके भीतर रीति-नीति के परिणाम वाली बुद्धि बहुतायत...
8957. भावी कहियै सोय
जतन करत विणसत जको, खपियां जको न होय। उदैराज! संसार में, भावी कहियै सोय।
''जो लाख यत्न करने पर भी विनाश को प्राप्त होता...
8956. चिंता को के काम
राखै जिण विधि राम, ता विधि ही रहणो भलो। चिंता को के काम, रहो मौज में रमणियां।।
जिस तरह भगवान हमें रखना चाहते हैं,...
8955. अबळा है क बलाय
डोरी सूं डर जाय, ना तर डरै न न्हार सूं।अबळा है क बलाय, चातर जाणै चकरिया।।
डरने को तो स्त्री डोरी से भी डर जाती...
8954. कामण आगै के लिया
पिरथी रा पैमाल, पल मांही कर दै परी।सिंघ हुया है स्याळ, कामण आगै केलिया।।
जो पलभर में पृथ्वी को पदाक्रांत कर सकते हैं वे...
8953. राज वियां री राह
ऊंडा उदध अपार, थाह न पावै तैरवा। राजवियां री राह, नर कुण जाणै नारणा।।
जिस तरह अपार गहरे सागर की थाह तैरने वाला नहीं...
8952. छिटकासी नहिं बीच में
मोटै मालक रो घणो, मोटो नहचो चित्त। छिटकासी नहिं बीच में, नेह निभासी नित्त।।
उस बड़े मालिक का चित्त निश्चित रूप से निसंदेह बड़ा है।...
8951. लालच री दौड़ लहर
लालच री दौड़े लहर, भवन वियां धन भाळ। बैठो थावर बारमो, कांधै आण कराळ।।
मनुष्य में धन संपति देखकर आकर्षण देख कर लालच की...
8950. लहरें ऊठै लोभ री
भर दरियाव समंद, लहरां ऊठै लोभ री। मांहे ज्यां मतिमंद, मिनख घणा डूबै-मरै।।
संसार रूपी समुद्र में लोभ की लहरें तो जब-तब उठती ही...
8949. चौड़े काढो चतरसी
अकल सरीरां मांय, तिलां तेल घ्रित दूध में।पण है पड़दै मांय, चौड़े काढो चतरसी।।
जिस तरह तिलों में तेल और दूध में घी रहता...