तमिलनाडु: सबसे बड़े नेता बनकर उभरे स्टालिन, संभाल सकते हैं सूबे की सत्ता

नई दिल्ली। तमिलनाडु पहले विधानसभा चुनाव में जनता ने एमके स्टालिन को बहुमत देकर राज्य की कमान उन्हें सौंप दी है। स्टालिन करुणानिधि के पुत्र और द्रविड़ मुनेत्र कषगम के प्रमुख हैं। ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन ही उनकी सत्ता बचाने में कारगर साबित हुआ। इसके साथ ही करुणानिधि के योग्य उत्तराधिकारी के रूप में खुद को साबित करने में स्टालिन कामयाब रहे।अन्नाद्रमुक के सत्ता से बेदखल होने के कारणों की पड़ताल करें तो सबसे बड़ी वजह यह रही कि जयललिता के निधन के बाद पार्टी में कोई ऐसा नेता उभर कर नहीं आया जो अपने प्रभाव से जीत दिला सके और द्रमुक प्रमुख स्टालिन के कद का मुकाबला कर सके।

तमिलनाडु में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम के लिए मतगणना अभी चल रही है। शाम तक रिजल्ट साफ हो जाएगा कि आखिर दक्षिण भारत के सूबे में कौन जीता और कौन पिछड़ा। बता दें कि कोरोना के बीच तमिलनाडु में 234 विस सीटों पर एक ही चरण में वोटिंग हुई। छह अप्रैल, 2021 को सूबे में मतदान हुआ था। शुरुआती रुझानों में ष्ठरू्य गठबंधन को बहुमत मिलता हुआ दिख रहा है। पार्टी के बढ़त को देखते हुए समर्थकों ने चेन्नई में पार्टी मुख्यालय के बाहर जश्न मनाया है।

शुरुआती रुझान में द्रमुक ने बढ़त बना ली है और सत्तारूढ अन्नाद्रमुक उसके पीछे है। विधानसभा चुनाव के लिए छह अप्रैल को मतदान हुआ था। रविवार सुबह शुरू हुई मतगणना के करीब एक घंटे बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी सेलम जिले की एडाप्पडी सीट पर आगे चल रहे हैं और विपक्ष के नेता एवं द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन कोलाथुर विधानसभा सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं।

द्रमुक नीत गठबंधन 30 और अन्नाद्रमुक 18 सीटों पर आगे चल रही है। रुझान के अनुसार द्रमुक कुरिंजीपड़ी, नेयवेली, विरुधचलम समेत कई सीटों पर आगे है। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष एल मुरुगन धारापुरम और राज्य के मंत्री के सी वीरामणि एवं बेंजामिन क्रमश: जोलारपेट और मादुरावोयल सीटों से आगे हैं।