7 अप्रैल को लॉन्च होगा TataNeu ऐप

टाटा ग्रुप के सुपर ऐप में फ्लाइट और होटल बुकिंग भी होगी, अमेजन, फ्लिपकार्ट, जियोमार्ट से सीधा मुकाबला

नई दिल्ली। टाटा ग्रुप अपने मोस्ट अवेटेड सुपर ऐप न्यू 7 अप्रैल को लॉन्च करेगा। कंपनी ने बताया कि 7 अप्रैल से इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर पाएंगे। टाटा ग्रुप का मुख्य उद्देश्य कंपनी के डिजिटल विंग को पूरी तरह बढ़ाना है। जिससे मार्केट में पहले से मौजूद कंपनियां जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट और रिलायंस ग्रुप के जियोमार्ट को कड़ी टक्कर दी जा सके। टाटा के न्यू ऐप से एयरलाइन्स, होटल्स, दवाओं और किराने का सामान एक प्लेटफॉर्म पर मिलने का दावा किया जा रहा है। टाटान्यू ऐप के इंटरफेस की फोटो भी सामने आ चुकी है। डार्क थीम के साथ इस ऐप में कई मल्टीपल यूजेस वाले कई अलग-अलग आइकॉन नजर आ रहे हैं। ऐप से कार की बुकिंग भी कर पाएंगे।

यह सुपर ऐप्स क्या हैं? : ब्लैकबेरी फाउंडर माइक लैजारिडिस ने 2010 में सुपर ऐप शब्द दिया था। इसके बाद भी जो सुपर ऐप्स सामने आए उनमें कोई भी अमेरिका, यूरोप या ्य से नहीं है। सुपर ऐप, यानी एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिस पर सभी जरूरत की वस्तुएं और सेवाएं मिलती हैं। चीन में एक ऐसा ही ऐप है वीचैट। शुरुआत तो इसकी मैसेजिंग ऐप के तौर पर हुई थी।

इसके बाद इस पर पेमेंट्स, शॉपिंग, फूड ऑर्डरिंग, कैब सर्विसेस भी मिलने लगी और इस तरह यह एक सुपर ऐप बन गया।

आप सुपर ऐप की कल्पना एक मॉल के तौर पर भी कर सकते हैं, जहां रिटेल स्पेस में आपको सभी ब्रांड्स और बिजनेस व वर्टिकल्स की दुकानें मिल जाएंगी।

सुपर ऐप्स कौन बनाता है? : आम तौर पर ऐसी कंपनियां सुपर ऐप बनाती हैं, जो कई तरह की सर्विसेस और प्रोडक्ट्स ऑफर करती हैं। वे सुपर ऐप के जरिए इन ऑफरिंग्स को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की कोशिश करती हैं।

सुपर ऐप का कंसेप्ट सबसे पहले चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया में सामने आया। वीचैट, गोजेक, ग्रैब ने अपना रेवेन्यू बढ़ाने के लिए अतिरिक्त सर्विसेस देना शुरू किया। इन कंपनियों ने सोशल मीडिया और कम्युनिकेशन जरूरतों के आधार पर अपने प्लेटफॉर्म पर कस्टमर ट्रैफिक बढ़ाने के लिए ये कदम उठाए थे। हालांकि, पश्चिम एशिया क्षेत्र में एक अलग ही अप्रोच सामने आई। माजिद अल फुत्ताइम गु्रप, एमार, चलहूब गु्रप जैसे पारंपरिक बिजनेस ग्रुप्स के शॉपिंग मॉल्स, ग्रॉसरी और एंटरटेनमेंट बिजनेस थे। उन्होंने डिजिटल असेट्स बनाए और उन्हें सुपर ऐप्स में बदल दिया। एक से अधिक प्रोडक्ट्स अब इस पर उपलब्ध हैं।

इंटरनेट कंसल्टेंसी फर्म रेडसीयर के मुताबिक इन बिजनेस गु्रप्स के डिजिटल असेट्स पर कस्टमर फुटफॉल बढ़ा और बार-बार खरीदने वाले कस्टमर्स की संख्या भी बढ़ी। यही किसी भी क्षेत्र में सुपर ऐप के फलने-फूलने का आधार बना। टाटा की अपने कंज्यूमर ऑफरिंग्स को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की योजना गल्फ रीजन के बिजनेस गु्रप्स से मेल खाती है।

भारतीय कंपनियां सुपर ऐप्स क्यों बनाना चाहती हैं?

एक देश या क्षेत्र को तब सुपर ऐप के लिए तैयार माना जाता है, जब वहां की बड़ी आबादी डेस्कटॉप के बजाय स्मार्टफोन से ज्यादा से ज्यादा सेवाएं और सुविधाएं चाहती है। स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐप्स का इकोसिस्टम न होना भी इसकी एक बड़ी वजह है।

भारत एक ऐसा मार्केट बनता जा रहा है, जहां बड़ी आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही है। आज 90त्न सब्सक्राइबर मोबाइल के जरिए इंटरनेट सर्फिंग कर रहे हैं। इस वजह से ज्यादातर कंपनियां सुपर ऐप्स बना रही हैं। इसके अलावा सुपर ऐप्स रेवेन्यू बढ़ाने के साथ ही कंज्यूमर डेटा से यूजर बिहेवियर के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने में कामयाब होता है।