छोटे बंदरों के साथ बर्बरता कर रहा थाईलैंड

बैंकॉक। कोरोना काल के दौरान जानवरों के साथ बर्बरता की कई खबरें सामने आई हैं। मौजूदा समय में जानवरों के साथ किया जाने वाला अत्याचार काफी बढ़ गया है। केरल में हथिनी और उसके बच्चे की मौत का मामला अभी शांत ही नहीं हुआ था कि थाईलैंड में बंदरों के साथ अमानवीय व्यवहार करने के ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसने मानवता को भी शर्मसार कर दिया है।

थाईलैंड में छोटे बंदरों को उनकी मां से छीनकर उन्हें काम पर लगाया जा रहा है। इन बंदरों को नारियल के व्यापार में काम कराया जा रहा है। जानवरों के लिए दुनिया में काम करने वाले गैर-सरकारी संस्थान पेटा ने इसका खुलासा किया है। दरअसल, थाईलैंड में नारियल दूध का व्यापार बड़े पैमाने पर किया जाता है।

थाईलैंड के इस इंडस्ट्री में करीब 30 अरब रुपये का कारोबार होता है। ये कारोबार पूरी तरह से बंदरों पर चलता है। इसमें ध्यान खींचने वाली बात ये है कि यहां बंदरों को चैन में जकड़ कर रखा जाता है, जो देखने में काफी दुखदायी है। बंदरों का जानबूझकर नारियल के पेड़ पर चढ़ाया जाता है और काम पूरा होने के बाद पिंजरों में बंद कर दिया जाता है।

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की कुर्सी पर सस्पेंस जारी

पेटा ने थाईलैंड की सरकार से बंदरों से गुलामी कराने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। बंदरों से गुलाम की तरह काम कराए जाने का पता चलने के बाद इन प्रोडक्ट्स का अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में विरोध हो रहा है। पेटा ने आरोप लगाया है कि थाई उत्पादन कर्ता बंदरों का शोषण कर रहे हैं, जिसके बाद थाईलैंड के वाणिज्य मंत्रालय और उद्योग प्रतिनिधि कई उपायों को अपनाने पर सहमत हुए हैं।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की मंगेतर कैरी सेमंड्स ने भी इसे लेकर ट्वीट किए हैं और नाराजगी जताई है। उन्होंने लोगों से ऐसे सामान का बहिष्कार करने की मांग की है, जिनमें बंदरों का इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही पेटा का कहना है कि आठ खेतों में जांच की गई थी, जिसके बाद बंदरों के ट्रेनिंग स्कूल का पता चला।