अगले साल देश का घरेलू उत्पाद 3 से 9 फीसदी तक घट सकता है

कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को लगे झटके से बैंकिंग सिस्टम में तनाव रहेगा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष (2021) में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3 से 9 फीसदी तक घट सकता है। यह गिरावट कोरोनावायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के उपायों और सरकार की इकोनॉमिक पॉलिसी के प्रभावों पर निर्भर रहेगी। मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

वित्तीय तनाव के कारण बढ़ेगा बैड लोन

इंडिया टर्निंग पॉइंट नाम की रिपोर्ट में चेताया गया है कि कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को लगे झटके से बैंकिंग सिस्टम में तनाव पैदा होगा। यदि हाउसहोल्ड, छोटे कारोबार और कॉरपोरेशंस का वित्तीय तनाव दूर नहीं होता है तो चालू वित्त वर्ष में बैड लोन 7 से 14 फीसदी तक बढ़ सकता है। हालांकि, सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से वित्तीय तनाव को दूर करने के लिए किए गए उपायों से नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (एनपीए) पर पडऩे वाले महामारी के प्रभाव में बदलाव हो सकता है।

महामारी से पहले भी चुनौतियों का सामना कर रही थी भारतीय अर्थव्यवस्था

मैकेंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था संरचनात्मक चुनौतियों का सामना कर रही थी। इस कारण वित्त वर्ष 2020 में जीडीपी ग्रोथ गिरकर 4.2 फीसदी रह गई। महामारी के कारण यह चुनौती कई गुना बढ़ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रोथ बढ़ाने के लिए आपात कदमों के अभाव में भारत के लिए स्थिर आय में एक दशक का जोखिम पैदा हो सकता है।

ग्रोथ के लिए सुधारों की सीरिज चलानी होगी – रिपोर्ट

देश के इकोनॉमिक ग्रोथ को 8 से 8.5 फीसदी पर लाने और इसे 2030 तक बनाए रखने के लिए मैकेंजी की रिपोर्ट में सुधारों की एक सीरिज चलाने का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें लचीली लेबर मार्केट व्यवस्था के साथ मजबूत सोशल सिक्युरिटी नेट, ड्यूटी की विसंगतियों को हटाना, होम ओनरशिप के लिए टैक्स छूट और पावर सेक्टर में सुधार शामिल है।

हाउसहोल्ड सेविंग बढ़ाने के लिए कम करने होगी कैपिटल कॉस्ट

रिपोर्ट में हाउसहोल्ड सेविंग बढ़ाने के लिए कैपिटल कॉस्ट को कम करने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, हाउसहोल्ड सेविंग में चार फीसदी की बढ़ोतरी से वित्तीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि गरीब परिवारों की मदद और इकोनॉमी रिवाइव के लिए सरकार की ओर से घोषित किए गए आर्थिक पैकेज से वित्त वर्ष 2021 के फिस्कल डेफिसिट पर प्रभाव पड़ेगा। जीडीपी में गिरावट और सरकारी खर्च में कटौती से फिस्कल डेफिसिट चार फीसदी से ज्यादा हो सकता है। बजट में फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था।