प्रसन्नता, मैत्री, भाव विशुद्धि और निर्भयता को प्रदान करने वाला है क्षमापना पर्व : आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री महाश्रमण
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आचार्यश्री ने चतुर्विध धर्मसंघ के साथ की खमतखामणा : चतुर्विध धर्मसंघ, तेरापंथ की विभिन्न संस्थाओं के लोगों ने भी आचार्यश्री से की क्षमायाचना, प्राप्त किया आशीर्वाद

विशेष प्रतिनिधि, छापर (चूरू)। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालूगणी की जन्मधरा छापर में गुरुवार का नवप्रभात। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि और छापर का आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण। भक्ति, श्रद्धा, आस्था, उल्लास, तप, त्याग और संयम से युक्त जन-जन। हर मन में अब बस एक ही ध्येय हमारी आत्मा का कल्याण हो।

इस आत्मा के कल्याण के लिए विगत आठ दिनों से पर्युषण महापर्व को मना रहा जन-जन आज क्षमापना दिवस पर अपने आराध्य से क्षमायाचना करने को उत्कंठित नजर आ रहा था। गुरुवार को सूर्य जैसे ही अपनी पहली किरण के साथ गतिमान हुआ, आचार्यश्री महाश्रमणजी अपने प्रवास स्थल से समवसरण में पधारे तो पूरा प्रवचन पण्डाल जयघोष से गुंजायमान हो उठा। बृहत् मंगलपाठ के साथ क्षमापना दिवस के कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी, मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी व साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने क्षमापना पर्व के महत्त्व को वर्णित किया।

आचार्यश्री महाश्रमण
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तदुपरान्त क्षमापना दिवस के संदर्भ में जन-जन में अध्यात्म की ज्योति जलाने वाले आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि क्षमापना से प्राह्लाद भाव को जीव पैदा कर लेता है। जब शत्रुता होती है तो आक्रोश का भाव होता है। खमतखामणा होने पर प्रसन्नता की अनुभूति होती है। जब प्रह्लाद भाव को जीव प्राप्त हो जाता है, तब प्राण, भूत जीवों और प्राणियों के प्रति मैत्री का भाव उत्पन्न कर लेता है। मैत्री भाव को प्राप्त करने वाला जीव अपनी भावनाओं की विशुद्धि कर लेता है। इस प्रकार वह निर्भय बन जाता है। क्षमापना से प्रसन्नता, सभी प्राणियों के साथ मैत्री भाव, भाव विशुद्धि और निर्भयता को प्राप्त कर लेता है।इसलिए क्षमापना एक महत्त्वपूर्ण उपक्रम है। आठ दिनों तक पर्युषण महापर्व और संवत्सरी की आराधना की, यह हमारा क्षमापना समारोह है। सभी के प्रति हमारा मैत्री भाव रहे। जिनसे कोई विशेष काम पड़ गया हो उनसे विशेष रूप से खमतखामणा करके हल्का-फुल्का बन जाना चाहिए। हमारे यहां खमतखामणा समारोह की परंपरा चली आ रही है।

आचार्यश्री महाश्रमण
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आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज हमारे धर्मसंघ की शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी की अनुपस्थिति में यह पहला क्षमापना का पर्व मना रहे हैं, मैं उनकी आत्मा से खमतखामणा करता हूं। हमने कुछ महीने पूर्व ही उनके स्थान पर साध्वी विश्रुतविभाजी को साध्वीप्रमुखा पद प्रदान किया है। अब आपसे व्यवस्थागत ज्यादा काम पड़ता है तो हम आपसे भी खमतखामणा करते हैं। साध्वीप्रमुखाजी ने खड़े होकर आचार्यश्री की अभिवंदना की। इसी प्रकार आचार्यश्री ने साध्वीवर्याजी, मुख्य मुनिश्री, साधु-साध्वीवृंद, समणीवृंद, मुमुक्षु भाईयों एवं बाइयों, बहिर्विहारी चारित्रात्माओं, बहुश्रुत परिषद के संयोजक मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी तथा अनेक साध्वियों से खमतखामणा की। आचार्यश्री ने श्रावक-श्राविका समाज से भी खमतखामणा की। इसी प्रकार आचार्यश्री ने केन्द्रीय संस्थाओं, विकास परिषद के सदस्यों, कल्याण परिषद के सदस्यों से संवत्सरी संबंधित खमतखामणा की। आचार्यश्री ने चतुर्विध धर्मसंघ के साथ खमतखामणा के साथ ही जैन शासन के आचार्य, उपाध्याय व साधु-साध्वियों से, जैनेतर समाज के संतों व लोगों से गुरुकुलवासी कर्मचारियों, राजनैतिक लोगों, न्याय से जुड़े लोगों तथा शेष-अशेष 84 लाख जीव योनियों से खमतखामणा की।

साध्वी समाज की ओर से साध्वी जिनप्रभाजी ने आचार्यश्री को सविधि वंदन करते हुए क्षमायाचना की तो साधु समाज की ओर से मुनिश्री दिनेशकुमारजी ने विधिवत वंदन कर आचार्यश्री से क्षमायाचना की। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के आंचलिक प्रभारी व चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति-छापर के महामंत्री श्री नरेन्द्र कुमार नाहटा ने तेरापंथ समाज की ओर से उपस्थित श्रद्धालुओं के साथ आचार्यश्री से क्षमायाचना की। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री विजयसिंह सेठिया, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष सौरभ भूतोडिय़ा, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती सरिता सुराणा, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री प्रदीप सुराणा, आवास व्यवस्था के संयोजक श्री निर्मल दुधेडिय़ा, भोजन व्यवस्था के संयोजक श्री लक्ष्मीपत भंसाली, चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री माणकचन्द नाहटा, पारमार्थिक शिक्षण संस्था के अध्यक्ष श्री बजरंग जैन, अमृतवाणी के महामंत्री श्री अशोक पारख, जैन विश्वभारती के अध्यक्ष श्री मनोज लुणिया व अणुविभा के महामंत्री श्री भीखमचंद सुराणा ने भी आचार्यश्री से अपनी-अपनी संस्थाओं की ओर से क्षमायाचना की। क्षमापना का कार्यक्रम आचार्यश्री के मंगलपाठ से सम्पन्न हुआ।

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