विधानसभा में गूंजा मायड़ भाषा को मान्यता का मुद्दा

राजस्थानी बनेगी राजभाषा
राजस्थानी बनेगी राजभाषा

राजस्थानी को राजभाषा बनाने पर जल्द फैसला, कमेटी बनाई

जयपुर। राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। दूसरे राज्यों की स्थानीय भाषाओं की तर्ज पर राजस्थानी को भी जल्द राजभाषा बनाने का फैसला होने के आसार हैं। विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राजस्थानी को मान्यता और राजभाषा का दर्जा देने का मामला उठाया। शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि राजस्थान में अभी राजस्थान ऑफिसिल लैंग्वेज एक्ट 1956 लागू है। राजस्थानी भाषा को राजभाषा में शामिल करवाने के लिए ऑफिसिल लैंग्वेज एक्ट 1956 में संशोधन करने के लिए मामले का परीक्षण करवाया जा रहा है। भाषा विभाग के मंत्री ने एक कमेटी बनाई है। यह कमेटी बनना राजस्थानी को राजभाषा बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत है।

राठौड़ बोले- ऑफिसिल लैंग्वेज एक्ट में बदलाव करे सरकार

राजेंद्र राठौड़
राजेंद्र राठौड़

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा- 25 अगस्त 2003 को राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का सर्वसम्मत प्रस्ताव भेजा गया था। संविधान के आर्टिकल 345 के प्रावधानों के हिसाब से राज्य सरकार राजभाषा घोषित कर सकती है। राजस्थान ऑफिसिल लैंग्वेज एक्ट 1956 बना हुआ है, हम इसमें संशोधन करके राजस्थानी को राजभाषा बना सकते हैं। अगर राजस्थानी राजभाषा बन जाएगी तो आरएएस परीक्षा में भी वैकल्पिक भाषा के तौर पर आ जाएगी और हमारे बच्चों को नौकरी मिलने में आसानी होगी। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा देने का प्रावधान है। इस मामले में 18 अगस्त 1997 को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में एक बैठक होनी थी वह बैठक आज तक नहीं हुई। जब सिक्किम, छत्तीसगढ़ गोवा में राजभाषाएं बन सकती हैं तो हम क्यों नहीं बना सकते।

राठौड़ ने कहा- 17 भाषाओं को राजभाषा बनाया, हम किसका इंतजार कर रहे हैं। राजस्थाानी को यूजीसी ने मान्यता दे रखी है। नेपाल सरकार ने मान्यता दे रखी है। अमेरिका ने माना है, नेट की परीक्षा होती है। ऐसी महान और समृद्ध भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए। मंत्री कल्ला के जवाब पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सीताकांत महापात्र और एक पाहवा समिति ने यह कहा है मातृभाषा को जब तक प्रारंभिक शिक्षा नहीं पढ़ाई जाती तब तक उस की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जा सकता। हम आठवीं अनुसूची के लिए कितने वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। आप आर्टिकल 343 के तहत इससे पहले ऑफिशियल लैंग्वेज एक्ट में संशोधन लेकर आएं, इसके बिना मान्यता नहीं मिलेगी।

पीएम से मिलें सभी विधायक : कल्ला

बीडी कल्ला
बीडी कल्ला

मत्री बीडी कल्ला ने कहा- 25 अगस्त 2003 को मैं भाषा विभाग का मंत्री था और उस वक्त सर्वसम्मति से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था। मुझे अफसोस है 20 साल बाद भी राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया, जबकि महापात्रा कमेटी ने इसे योग्य माना था। केंद्र सरकार इस पर निर्णय नहीं कर रही है। हम सब दलों के विधायक एक साथ प्रधानमंत्री से मिलें और राजस्थानी को आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करवाएं।

यह भी पढ़ें : जब उमेश पाल पर बरस रही थीं गोलियां, बेटी से बोले अंदर जाओ, और फिर…