जो अपने देश के काम आ पाये उसी का जीवन सार्थक : अमित लाठ

प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन
प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन

आज भारत के सर्वोच्च प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित होने जा रहे पोलैंड के प्रवासी राजस्थानी अमित कैलाश चंद्र लाठ के साथ विशेष इंटरव्यू

इंदौर। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के 17वें संस्करण के आज समापन सत्र में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू पोलैंड के प्रवासी राजस्थानी अमित कैलाश चंद्र लाठ को व्यवसाय एवं सामुदायिक कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से सम्मानित करेंगी। प्रस्तुत है उनसे इंदौर में दैनिक जलतेदीप व माणक पत्रिका के प्रबंध संपादक दीपक मेहता के साथ एक विशेष इंटरव्यू के अंश –

प्रश्न : सबसे पहले तो आपको बहुत बहुत बधाई। राष्ट्रपति के हाथो देश का सर्वोच्च प्रवासी सम्मान पाने जा रहे है, कैसी अनुभूति हो रही है ?

मेरे और मेरे परिवार के लिए यह एक ऐतिहासिक पल है। साथ ही पोलैंड के प्रवासी भारतीयों के लिए ही नहीं बल्कि हर उस हिंदुस्तानी के लिए गौरव का पल है, जो जानता है कि जब संकट की घडी आती है उस समय में कार्य को सफल बनाना कितना मुश्किल होता है। मेरा विशेष धन्यवाद मेरे पूरे परिवार को है क्योकि उनके साथ और समर्पण के बिना मैं ना ऑपरेशन गंगा में शामिल हो पता ना ही मैं बॉर्डर पर जा पता और ना ही इतना बड़ा काम कर सकता था।

amit lath poland
amit lath with students. file photo

प्रश्न : आपरेशन गंगा से किस रूप में आप जुड़े, आपके स्थानीय होने का क्या फायदा रहा ?

आपरेशन गंगा के रूप में भारत सरकार ने जो पहल की थी उसमें प्रधानमंत्री जी का स्पष्ट आदेश था कि हर हिंदुस्तानी जो वहां रह रहा है और यूक्रेन में जो बच्चे फंसे थे उनको सकुशल अपने देश-घर वापस लाना है। इस ऑपरेशन में खास तौर से हमारे लीडर वीके सिंह साहब, राष्ट्रदूत नगमा मलिक जी का पूरा मार्गदर्शन हमें मिला। जहां जहां जिस जिस लेवल पर उन्हें हम से मदद चाहिए थी, जो चीजे अरेंज करनी थी। हमने किया। चाहे भाषा के कारण उन्हें आने वाली दिक्क़ते हो और स्थानीय होने के कारण जैसा हम बेहतर व्यवहार कर सकते थे तो ऐसी तमाम चीजों को उन्होंने देखा फिर राष्ट्रदूत ने मुझसे सम्पर्क किया कि आप के आने से इस कार्य में काफी मदद मिलेगी और मैं तन मन धन से इसमें शामिल हो गया।

amit lath poland

प्रश्न : प्रवासियों में उत्साह को देख कर कैसा लग रहा है ?

यूरोप, यूएस, ब्रिटेन, दुबई, क़तर, केन्या एवं अन्य देश से हमारे प्रवासी राजस्थानी बड़ी संख्या में यहां आये है उनमें मैंने बड़ा उनमें काफी उत्साह देख रहा हूँ। धीरज श्रीवास्तव जी, राजस्थान फाउंडेशन और राजस्थान सरकार के दल से भी विशेष बधाई मिली। पोलैंड व राजस्थान के मित्रों, सभी परिवार जनों से शुभकामनाए लगातार मिल रही है मैं वाकई अभिभूत व शुक्रगुजार हूँ सभी का, उनके इतने प्यार के लिए। इस अपनेपन से पूरे विश्व में एक सन्देश भी जाता है, एक प्ररेणा मिलती है अपने देश का नाम रोशन करने की। चाहे व्यवसाय के क्षेत्र में हो या सामाजिक कल्याण के, यह हम राजस्थानियों और भारतीयों की विशेषता है कि हम सारे काम पूरी ताकत और समझदारी के साथ करते है।

amit lath ceo sharda group

प्रश्न : राजस्थान से जुड़ाव कैसा है ?

मंडेला मेरा पैतृक स्थान है मगर में भीलवाड़ा से ज्यादा करीब हूँ। हमारा व्यवसाय, उत्पादन सयंत्र और पूरा परिवार भी वहीं हैं। हमारी कंपनी शारदा ग्रुप को देखा जाए तो भारत और पोलैंड के बीच व्यवसाय में हम शीर्ष 20 कंपनियों में शुमार है। अगर बात की जाए टेक्सटाइल की तो हम इस सम्बन्ध में नंबर एक या दो पर है। शारदा ग्रुप ने कहीं भी किसी भी सहयोग में राजस्थान में कमी नहीं रखी। मैं हमेशा इस धरती से जुड़ा महसूस करता हूँ।

प्रश्न : आपके परिवार में कैसा माहौल था ?

मेरा मानना है कि बिना परिवार के सपोर्ट के कोई सफलता नहीं मिल सकती जीवन में । मुझे मेरी पत्नी मेरे दोनों बच्चे जो 13 और 16 साल के हैं का पूरा समर्थन मिला। बल्कि मुझसे ज्यादा मैं कभी कभी उनमे ज्यादा जोश देखता हूँ। जब मैं बॉर्डर पर गया हुआ था तब वे थोड़े चिंतित थे मगर साथ ही वे खुश भी थे हम परेशान लोगो कि मदद कर पा रहे है। वे चाहते थे कि सब अच्छे से हो जाए सारे बच्चे अपने घर सही सलामत पहुंच जाए।

 

AMIT LATH POLAND

प्रश्न : अपने बच्चों को कैसे अपनी धरती से जोड़े रखते है ?

हमारी कोशिश रहती है कि हम बच्चों को साल में दो-तीन बार राजस्थान-भारत जरूर ले कर आये। इससे वे अपने धरती से जुड़ाव महसूस करते है, जो काफी जरुरी भी है। इससे उनको अपनी संस्कृति, अपनी भाषा कि वैल्यू समझ में आती है। उन्हें हर बार काफी ख़ुशी मिलती है जब हम पूरा परिवार साथ में होते है। वे इन्तजार करते है कि वापस कब भारत जाएंगे। हम हर तीज त्यौहार वहां भी मानते है। वे उत्साह से भाग लेते है। मुझे इससे काफी आत्म संतुष्टि भी मिलती है की मैं अपनी माटी की खुशबू उनको दे पा रहा हूँ।

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