फेसबुक में सबसे अधिक दिखने वाला कंटेंट दुनिया के लिए सबसे बुरा

फेसबुक पर गलत सूचनाएं देने और हेट स्पीच को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन मार्क जकरबर्ग इससे वास्ता नहीं रखते थे। लेकिन फेसबुक के ही एक सर्वे ने उन्हें आईना दिखाया है। दरअसल, कंपनी ने अपने यूजर्स के बीच सर्वे करवाया था कि वे फेसबुक की अधिकतर पोस्ट को दुनिया के लिए अच्छी मानते हैं या बुरी। ज्यादातर यूजर ने कहा कि फेसबुक पर सबसे अधिक दिखने वाला कंटेंट ही दुनिया के लिए सबसे बुरी होता है।

सर्वे के नतीजों ने फेसबुक की टीम को चौंका दिया है। दरअसल, फेसबुक की टीम इन दिनों इस बात से जूझ रही है कि कंपनी की पाॅलिसी से समझाैता किए बगैर कैसे भ्रामक सूचनाओं काे कम किया जाए। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद जकरबर्ग और फेसबुक के कर्मचारियों की चुनाव संबंधी झूठी खबरें वायरल होने पर ही बैठक हुई थी। इसी में टीम ने न्यूज फीड करने के एल्गोरिदम में आपातकालीन बदलाव करने का प्रस्ताव दिया।

जकरबर्ग भी इस पर सहमत हुए। इसमें सीक्रेट इंटरनल रैंकिंग का न्यूज इकोसिस्टम क्वालिटी लागू किया गया। यह न्यूज पब्लिशर को उनके कंटेंट की गुणवत्ता पर रैंकिंग देता था। एक कर्मचारी के मुताबिक, यह बदलाव फेसबुक की ‘ब्रेक ग्लास’ योजना का हिस्सा है। इसके बाद फेसबुक पर सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स और एनपीआर जैसे बड़े ब्रांड का कंटेंट बढ़ा। जबकि गलत जानकारी फैलाने वाले दक्षिणपंथी मीडिया का कंटेंट कम हो गया।

फेसबुक की टीम ने मशीन-लर्निंग के जरिए ऐसा एल्गोरिदम भी तैयार किया, जो पूर्वानुमान लगाता है कि यूजर किस पोस्ट को बुरी बता सकता है। ऐसी पोस्ट को पुश नहीं किया जाता है। शुरुआती परीक्षण में इससे आपत्तिजनक कंटेेंट कम करने में सफलता मिली है। हालांकि इससे लोगों द्वारा फेसबुक पर आने की संख्या भी कम हो गई। फेसबुक के एक एग्जीक्यूटिव के मुताबिक, परिणाम अच्छे रहे, लेकिन सेशंस घट गए। इसके बाद दूसरी योजना पर काम किया गया। फेसबुक के कुछ कर्मचारी मानते हैं कि ऐसे बदलाव स्थायी कर देने चाहिए।

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