जिद, जीत, जुनून और जज्बे का नाम हैं… जगदीप धनखड़

Jagdeep Dhankhar
Jagdeep Dhankhar

झुंझुनू,। जिद, जीत, जुनून और जज्बे का नाम है जगदीप धनखड़। शनिवार को भाजपा नीत एनडीए ने उप राष्ट्रपति पद के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। जगदीप धनखड़ राजस्थान के झुंझुनू जिले के छोटे से गांव किठाना के रहने वाले हैं। जब जगदीप धनखड़ पढते थे तब गांव में ना तो सड़क थी और ना ही कक्षा पांच से आगे पढने के लिए स्कूल। फिर भी जगदीप धनखड़ का पढने का जुनून इतना था कि वे पास के गांव में चार किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल में पढने जाया करते थे। उन्होंने जितने चुनाव जीते, उतने ही हारे। लेकिन कभी हौंसला नहीं हारा।

उप राष्ट्रपति पद पर बहुमत के आधार पर उनकी जीत भी सुनिश्चित मानी जा रही है। इसलिए ना केवल किठाना, झुंझुनू बल्कि पूरे राजस्थान में खुशी की लहर है।

धनखड़ के साथ पढने वाले और बुहाना के पूर्व प्रधान हरपालसिंह ने बताया कि जब कक्षा छह और सात में जगदीप धनखड़ अपने गांव से पैदल पढने के लिए आते थे। तो हर कोई बच्चा उनसे प्रेरणा लेता था। हालांकि हरपालसिंह स्कूल में जगदीप धनखड़ से एक क्लास सीनियर थे। लेकिन हरपालसिंह बताते हैं कि उस समय भी जगदीप धनखड़ की पढाई को लेकर कैचिंग पॉवर काफी अच्छी थी। जिसकी टीचर्स भी प्रशंसा करते थे। यही नहीं उनके पिता गोकुलचंद भी माने हुए जमींदार थे। लेकिन उसका जरा सा भी रौब जगदीप में नहीं दिखा। वे पैदल ही चलकर स्कूल तक आया करते थे।

गांव के सुमेर सिंह और अनूप सिंह ने बताया कि पूरी रात गांव के लोगों ने खुशी मनाई और रिश्तेदारियों से भी फोन पर उन्हें बधाई मिल रही है। उप राष्ट्रपति के चुनाव होने के बाद जगदीप धनखड़ का गांव में जोरदार स्वागत किया जाएगा। हालांकि जिम्मेदारियां बढ जाने से उनके पास समय का अभाव होगा। लेकिन वे पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बावजूद भी गांव में नियमित आते थे। ऐसे में उन्हें विश्वास है कि उप राष्ट्रपति बनने के बाद भी गांव को लेकर उनका लगाव कम नहीं होगा।

गांव के युवाओं और महिलाओं को आगे बढाने के लिए भी जगदीप धनखड़ लगातार प्रयास करते हैं। इसलिए उन्होंने अपने खुद के फॉर्म हाउस स्थित निवास में ना केवल युवाओं के लिए लाइब्रेरी खुलवा रखी है। बल्कि महिलाओं के लिए सिलाई सेंटर और विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर सेंटर खोल रखा है।

जगदीप धनखड़ के परिवार के सदस्य कृष्ण धनखड़ ने बताया कि जीवनभर में जो उपलब्धियां हासिल कर जगदीप धनखड़ यहां तक पहुंचे हैं। इस दरमियान के सभी प्रतीक चिह्नों को आलमारी में सजाकर एक लाइब्रेरी संचालित की जा रही है। ताकि इन प्रतीक चिह्नों को देखकर गांव के युवा प्रेरणा लें और आगे बढ़े।

धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ के प्रयासों से इसी के पास एक कमरे में सिलाई सेंटर शुरू किया गया है। जिसमें गांव की महिलाओं और युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई सिखाई जाती है। बच्चों को तकनीक के साथ आगे बढाने के लिए कंप्यूटर सेंटर संचालित किया जाता है। तीनों में ही फ्री प्रशिक्षण विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है।

जिस सरकारी स्कूल में जगदीप धनखड़ पांचवीं तक पढ़े है। वह स्कूल अब तो 12वीं तक की हो गई। लेकिन आज भी स्कूल की यादें जगदीप धनखड़ की यादों में ताजा है। अब तक लाखों रुपए स्कूल के विकास में अपने पास से जगदीप धनखड़ भिजवा चुके है। वहीं जब भी गांव आते हैं। स्कूल में जाना नहीं भूलते। यही नहीं यहां के विजिटर बुक में अपनी शुभकामनाएं भी लिखते हैं।

स्कूल की प्रिंसीपल सुमन थाकन ने बताया कि धनखड़ यहां आते हैं तो हमें बुलाते हैं या फिर खुद ही चलकर स्कूल तक आ जाते हैं। ना केवल हमें, बल्कि बच्चों को भी आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करते हैं। साथ ही यह भी बताते है कि पढाई आज के समय में कितनी जरूरी है।

जगदीप धनखड़ के उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पूरे झुंझुनू जिले में खुशी का माहौल है। हर तरफ मिठाई बंट रही और आतिशबाजी हो रही है। ना केवल किठाना गांव, बल्कि अन्य गांवों के लोग भी खुशी मनाकर इसे एक झुंझुनूं के लिए सुखद संकेत बता रहे है। जगदीप धनखड़ का उप राष्ट्रपति बनना किसी एक गांव, जिले के लिए नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है। जब भी जगदीप धनखड़ झुंझुनू आते है। अपनों से मुलाकात के बिना नहीं जाते। वे वीआईपी कल्चर को छोड़कर एक बेटे, भाई और पैरेंट्स के रूप में सभी से मुलाकात करते है।

उल्लेखनीय है कि 2003 में भाजपा में शामिल होने के बाद जगदीप धनखड़ पार्टी के लिए काम किया। लेकिन उन्हें ना तो लोकसभा की टिकट मिली और ना ही विधानसभा का टिकट दिया गया। हालांकि उनका मकसद लोकसभा चुनाव लड़ना था। 16 साल तक भाजपा में एक आम कार्यकर्ता के रूप में काम करने के बाद उन्हें पहली बार उनके व्यक्तित्व, अनुभव और उनकी समझदारी के आधार पर पश्चिम बंगाल का गर्वनर बनाया गया था। अब तो उनके अनुभव और किसानों के साथ-साथ हर वर्ग के लिए किए कार्य को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी माना है और उसे स्वीकार किया है। यही कारण है कि देश के दूसरे सबसे बड़े पद के लिए एक गांव के साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति का चुनाव किया गया है।