कुलभूषण जाधव की सजा की समीक्षा करने के लिए पाक की नेशनल असेंबली ने विधेयक को मंजूरी दी

कराची। पाकिस्तान नेशनल असेंबली की कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति ने कुलभूषण जाधव की सजा की समीक्षा करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी है। यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन करता है। जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। 

मीडिया में गुरुवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक, इस विधेयक का नाम इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (समीक्षा और पुनर्विचार) अध्यादेश है। इस विधेयक को लेकर हो रहे विपक्ष के कड़े प्रतिरोध के बावजूद पाकिस्तान नेशनल असेंबली की कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति ने चर्चा की और इसे मंजूरी दी।  

विधेयक को नहीं लाने पर पाकिस्तान को झेलना पड़ता अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध

समिति की बहस में हिस्सा लेते हुए पाकिस्तान की न्याय एवं कानून मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन के तहत लाया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर विधेयक को संसद मंजूरी नहीं देती तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का अनुपालन नहीं करने पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

कुलभूषण जाधव 2017 में दी गई थी मौत की सजा

उल्लेखनीय है कि जासूसी और आतंकवाद में शामिल होने के आरोप में भारतीय नौसेना से अवकाश प्राप्त 50 वर्षीय अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने पाकिस्तान के सैन्य अदालत के फैसले और जाधव को राजनयिक संपर्क देने से इनकार करने के खिलाफ वर्ष 2017 में ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया था।

अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था

हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में दिए फैसले में कहा कि पाकिस्तान जाधव को दोषी ठहराने और सजा देने के फैसले की प्रभावी तरीके से समीक्षा करे और पुनर्विचार करे। इसके साथ ही अदालत ने भारत को बिना देरी जाधव तक राजनयिक पहुंच देने का आदेश दिया।

इन पार्टियों ने किया विरोध

डान अखबार के मुताबिक स्थायी समिति में विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और जमीयत उलेमा -ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के सदस्यों ने अध्यक्ष रियाज फत्याना से अनुरोध किया कि वह इस विधेयक को खारिज कर दें।

हालांकि, सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) से संबंध रखने वाले फत्याना ने गतिरोध को मतदान से सुलझाने का फैसला किया। उन्होंने पीटीआई के दो सदस्यों को भी मतदान से पहले बैठक में जाने से रोकने का प्रयास किया।