वर्ष 2020 से शुरू हो गया सु‍रक्षित मोबिलिटी का नया युग : राजेन्द्र पेटकर

अप्रत्याशित घटनाओं के कारण साल 2020 चुनौतीपूर्ण रहा है। इन घटनाओं के प्रभाव का अनुभव आने वाले वर्षों में भी किया जाएगा। कोविड-19 महामारी ने अभूतपूर्व बाधा उत्पन्न की है, जिसके न केवल गंभीर आर्थिक परिणाम निकले हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर सामाजिक ताने-बाने को नई परिभाषा भी मिली है। भविष्य की अनिश्चितता के कारण लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है।

इस स्थिति से उपभोक्ता के व्यवहार में बदलाव आया है, जिसमें अब एंग्‍जाइटी, भय और स्वास्थ्य सम्बंधी चिंताएं हैं। इनमें से एक है निकट भविष्य में सार्वजनिक परिवहन से कतराना, जिससे व्यक्तिगत परिवहन की मांग प्रभावित हो सकती है। दुनियाभर के देश धीरे-धीरे अनलॉक हो रहे हैं, इसलिये सड़कों पर एक सवारी वाले वाहनों की संख्या का प्रचलन बढ़ रहा है। मई 2020 में कैपजेमिनी द्वारा किया गया एक सर्वे बताता है कि भारत में 50 प्रतिशत से ज्यादा उपभोक्ता इस साल कार खरीदने की सोच रहे हैं और यह संख्या 35 प्रतिशत के वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है। सितंबर में हुई उद्योग-व्यापी बिक्री के आंकड़े इस रूझान का प्रमाण हैं। भारत की सड़कों पर इतने वाहनों के आने से दुर्घटनाएं और सड़क पर होने वाली मौतें भी बढ़ेंगी।

सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है और भारत इस मामले में नंबर 1 है, जहाँ प्रति मिनट एक दुर्घटना होती है। साल 2018 में ही, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने 1.51 लाख मौतों का आंकड़ा दिया था, जो देश में सबसे अधिक था। भारत में सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में मानवीय त्रुटि, खराब अवसंरचना और खराब ड्राइविंग शामिल हैं।

अध्ययन दर्शाते हैं कि महामारी के कारण बढ़ी चिंताएं सड़क पर खराब बर्ताव को बढ़ावा दे सकती हैं। ट्रक ड्राइवर भारत के लॉजिस्टिक्स उद्योग की रीढ़ हैं और अपनी तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण इस मामले की सबसे कमजोर कड़ियों में से एक हैं। मौजूदा परिदृश्य के कारण माल की बढ़ी हुई मांग और तनावग्रस्त आपूर्ति श्रृंखलाओं ने उनकी स्थिति को बिगाड़ दिया है। इंडियन इकोनॉमिक सर्वे 2018-19 के अनुसार, जिन वाहनों से सड़क दुर्घटनाएं हुईं, उनमें से 15.8 प्रतिशत के ड्राइवरों ने या तो क्षमता से ज्यादा काम किया था या नींद नहीं ली थी। यह संख्या बढ़ सकती है, इसलिये ऑटोमोटिव सुरक्षा महत्वपूर्ण है।

इसकी गंभीरता और कार में सुरक्षा उपायों की जरूरत को समझते हुए सरकार सुरक्षा साधनों को अनिवार्य बना रही है, जैसे एयरबैग्स, एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस), स्पीड अलर्ट सिस्टम, रिवर्स पार्किंग सेंसर्स, ड्राइवर एंड फ्रंट पैसेंजर सीटबेल्ट रिमाइंडर, मैनुअल ओवरराइड फॉर सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम, क्रैश सेफ्टी के नियम, पदयात्री सुरक्षा, आदि। इन सुरक्षा मानकों के क्रियान्वित होने से ऑटोमोबाइल वैल्यू चेन के साझीदार फेल-सेफ सेफ्टी टेक्नोलॉजीस देने के लिये अपनी पेशकशों को लगातार अपग्रेड कर रहे हैं।

ऑटोमेकर्स केवल सुरक्षा विनियमनों के अनुपालन से आगे बढ़कर इस अवसर का पूरा लाभ उठा रहे हैं और डिजिटल टेक्नोलॉजी, डिजाइन और एर्गोनॉमिक्स का उपयोग कर रहे हैं, ताकि वाहन की सुरक्षा बढ़े। अब भारत के पास ग्लोबल एनसीएपी 4 और 5-स्टार रेटिंग्स वाली कारें हैं और हम इस प्रचलन को सभी सेगमेंट्स में देख रहे हैं।

इलेक्ट्रिक परिवहन की बढ़ती लोकप्रियता के साथ ताल-मेल बैठाने के लिये ऑटोमेकर्स अपने ग्राहकों को हाई-टेक एसपिरेशनल प्रॉडक्ट प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। यह वाहन सुरक्षा अनुपालनों के मामले में न केवल अपने आईसीई समकक्षों के अनुसार हैं, बल्कि उन अतिरिक्त आवश्यकताओं की पूर्ति भी करते हैं, जिनकी वारंटी ईवी में दी जाती है। इनमें से कुछ हैं फुल-प्रूफ बैटरी सेफ्टी, जो सही थर्मल परफॉर्मेंस देती है, जो भारत जैसे उच्च तापमान वाले देश में सबसे महत्वपूर्ण है।

कमर्शियल व्हीकल (सीवी) के क्षेत्र में ओईएम अब फैक्ट्री फिट पैकेज के तौर पर ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स (एआईएस 140) अनुपालक कनेक्टिविटी समाधानों की पेशकश कर रहे हैं, साथ ही फ्लीट मैनेजमेन्ट समाधानों की भी, जिससे मालिकों को व्हीकल डायग्नोस्टिक्स पर महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। इससे यह सुनिश्चित करने में सहायता मिलती है कि वाहन के बेहतर अपटाइम के अलावा वह सड़क पर सुरक्षित भी रहे। इसके अलावा, मालिक दूर बैठे समझ सकते हैं कि ड्राइवर वाहन के उपयोग और दुरुपयोग के संदर्भ में सड़क पर कैसा व्यवहार कर रहे हैं। यह जानकारियाँ अब यह सुनिश्चित करने में मालिकों की मदद करती हैं कि वाहन और ड्राइवर, दोनों ही सड़क पर चलने के योग्य हों, ताकि बेहतर सड़क सुरक्षा बनी रहे। जोड़ी गईं सुरक्षा सम्बंधी जानकारियों में से कुछ हैं कर्कश एक्सीलरेशन, कर्कश ब्रेकिंग और अंधाधुंध टर्निंग के अलर्ट।

उपभोक्ताओं की पसंद तेजी से बदल रही है, जिसके साथ साल 2020 ऑटोमोटिव सेक्टर में बदलाव के नये दशक का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। तेजी से बदलने वाले इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिये ओईएम को तैयार रहना होगा और ऐसे उत्पाद प्रदान करने की कोशिश करनी होगी, जो स्मार्ट, सुरक्षित और विशेष हों। साथ ही उनकी लागत भी कम रखनी होगी। सड़क सुरक्षा के अलावा ओईएम, टायर 1, स्टार्ट-अप्स और अन्य टेक्नोलॉजी भागीदारों समेत उद्योगों में समन्वय से नये फीचर्स और अप्लीकेशंस का आना जरूरी है, जो ‘हेल्थ एंड वेलनेस मॉनिटरिंग’ करें, ताकि महामारी के कारण उत्पन्न जोखिमों को कम किया जा सके।