हार्टफुलनेस: बाबूजी के 121वें जन्मदिन के वर्चुअल समारोह में 150 देशों से 1,50,000 अभ्यासी सहभागी होंगे

हार्टफुलनेस, Heartfulness
हार्टफुलनेस, Heartfulness

हैदराबाद। हार्टफुलनेस की जड़ें भारत की प्राचीन योगिक परम्पराओं में हैं जिसे आधुनिक जीवन शैली के अनुरूप ढाला गया है। यह ध्यान अभ्यासों का ऐसा गतिशील समूह है जो विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों से सर्वश्रेष्ठ ग्रहण करता है, और विश्व भर के लाखों लोगों को अधिक उन्नत जीवन जीने में सहायता देता है।

हार्ट फुल नेस आन्दोलन की शुरुआत कब हुई? सन 1945 में, शाहजहाँपुर के श्री रामचन्द्रजी ने श्री राम चन्द्र
मिशन (वर्तमान नाम हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट) की नींव डाली, उन्होंने अपने गुरु (संयोगवश उनका नाम भी रामचंद्रथा) के नाम पर इसे श्री रामचंद्र मिशन नाम दिया।

श्री रामचन्द्रजी ने हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट की नींव डाली

वर्ष 2020 श्री रामचंद्र मिशन की स्थापना का प्लेटिनम जयंती वर्ष है, इसलिए इस जन्म दिन स्मरणोत्सव का विशेष महत्व है। श्रीरामचंद्रजी का जन्म उत्तरप्रदेश के शाहजहाँपुर नामक शहर में 30 अप्रेल, 1899 को हुआ, उन्हें लोग बाबूजी के नाम से भी जानते हैं।

बाबूजी के 121 वें जन्मदिवस स्मरणोत्सव के उपलक्ष्य में 100 देशों के 1,50,000 (डेढ़ लाख) से भी अधिक अभ्यासी 29, 30 अप्रेल और 1 मई को अप्रत्यक्ष (वर्चुअल) जन्मोत्सव समारोह में साथ-साथ ध्यान करेंगे। इस विशाल समारोह में तीन दिनों में सामूहिक ध्यान के 6 सत्र आयोजित किये जाएँगे जो सभी ह्रदयों को प्रेम और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देंगे।

समय सभी तीनों दिन सुबह 7 बजे और शाम 6 बजे
हार्टफुलनेस के वर्तमान मार्ग दर्शक श्री कमलेश पटेल जिन्हें लोग दाजी नाम से भी जानते हैं ने इस अवसर
टिप्पणी करते हुए कहा, “बाबूजी ने हमारे प्राचीन ऋषियों के विधियों का शोधन कर अत्यंत सरल और सबके
लिए उपयोगी विधियां बताई – दूसरे शब्दों में उन्होंने योगिक अभ्यासों के रहस्य के परदे हटा कर उसे वर्तमान
मानवता के लिए सुलभ किया।

हार्टफुलनेस पद्धति के ध्यान अभ्यासों की रूपान्तरकारी प्रकृति की ओर आकर्षित किया

उन्होंने हमारी योगिक विज्ञान की समझ को उसी तरह से नए सिरे से गढा जैसे आइन्स्टीन ने भौतिक विज्ञान की समझ को गढा था। उन्होंने अपनी खोजों को सन 1940 में उनके द्वारा लिखित क्रांतिकारी पुस्तकों की श्रृंखला में दर्ज किया। अपनी दिव्य सरलता और करुणा के कारण शोर शराबे के बगैर, उन्होंने सारे संसार के लोगों का प्रेम और ध्यान, हार्टफुलनेस पद्धति के ध्यान अभ्यासों की रूपान्तरकारी प्रकृति की ओर आकर्षित किया।

दाजी आगे कहते हैं कि, “बाबूजी की आध्यात्मिक परंपरा भविष्य में हजारों वर्षों तक याद रखी जाएगी। उनकी जिज्ञासुओं को आध्यात्मिक रूप से विकसित होने में सहायता देने की काबिलियत अद्वितीय थी। यह हमारा सौभाग्य है कि हम उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में साथ साथ ध्यान कर रहे हैं, हालाँकि हम सब अपने अपने
घरों में बैठ कर ध्यान करेंगे।”