इस बार चतुर्थी पर ही शुरू हुआ दिगंबर जैन समाज का पर्यूषण महापर्व

बांसवाड़ा। दिगंबर जैन समाज का पर्यूषण महापर्व पंचमी के बजाए चतुर्थी से प्रारंभ हुआ और पहला दिन उत्तम क्षमा पर्व के रूप में मनाया। जबकि हर बार दिगंबर जैन समाज का पर्यूषण महापर्व पंचमी से ही प्रारंभ होता है। इधर जैन समाज के अध्यक्ष श्रीपाल जैन और प्रवक्ता अक्षय डांगरा ने बताया कि कई सालों के बाद तिथियों में परिवर्तन के कारण ऐसा होता है।

खांदू कॉलोनी स्थित श्री श्रेयांसनाथ भगवान दिगंबर जैन दशा नरसिंहपुरा मंदिर में पर्युषण महापर्व की शुरुआत शुक्रवार से हुई। वहीं ऐसा पहली बार ही हुआ कि खांदू कॉलोनी में तीस करोड़ की लागत से नया जिनालय बनने से 36 वर्षों बाद श्रीजी की मूर्तियों का स्थान बदल कर की पूजा अर्चना और आरती की। वहीं कॉमर्शियल कॉलोनी स्थित मूल नायक भगवान अनंतनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर्युषण महापर्व के पहले दिन उत्तम क्षमा पर्व के तहत अभिषेक, शांतिधारा और पूजा अर्चना की गई।

वहीं सागवाड़ा से आए प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया के सानिध्य में शांतिलाल म्याचंद सेठ ने श्रीजी की मूर्ति पंचामृत अभिषेक किया। वहीं मूल नायक की मूर्ति पर शांतिधारा का लाभ पंकज अजीत धीरावत ने लिया और रात में आरती प्रदीप पन्नालाल शाह ने की। समाज के प्रवक्ता हिमांशु जैन ने बताया कि कोरोना के मद्देनजर नवयुवक मंडल ने सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द करने का निर्णय लिया है। वहीं शहर के प्राचीन वासुपूज्य जिनालय में अभिषेक,शांतिधारा और आरती के कार्यक्रम हुए।

मोहन कॉलोनी रातीतलाई स्थित श्री जिनालय परिसर में पर्यूषण महापर्व के पहले दिन आचार्य सुंदर सागर महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि हम एक दूसरे को क्षमा करते हुए विश्व मैत्री की भावना का संचार करें। उन्होंने कहा कि भादो का माह श्रेष्ठ होता है क्योंकि इसमें 30 दिन और 32 पर्व होते हैं। साथ ही इसमें 16 कारण,रवि व्रत, दस लक्षण आदि कई त्योहार आते हैं। धर्म एक ही प्रकार का है और वीतराग धर्म पाने के लिए दस सोपान हैं।

आचार्यश्री ने उत्तम क्षमा पर्व के बारे में कहा कि क्षमा तीन प्रकार की होती है। एक क्षमा वह होती है जो बलवान से मजबूरी में मांगी जाए। दूसरी क्षमा वो जो लोभ वश मांगी जाए। तीसरी क्षमा वह है जिसमें हम सामर्थ्यवान होते हुए भी शत्रु को क्षमा कर देते हैं। शुक्रवार को जिनालय में श्रीजी की मूर्ति का जल अभिषेक और पंचामृत अभिषेक किया गया। साथ ही शांतिधारा संपन्न हुई।

दस दिवसीय बाल संस्कार शिविर प्रारंभ हुआ

बाहुबली कॉलोनी स्थित श्री सुमतिनाथ भगवान जिनालय परिसर में दस दिवसीय बाल संस्कार शिविर प्रारंभ हुआ। जिसमें आर्यिका अर्हम श्री माताजी ने कहा कि बचपन में दिए गए संस्कार मानव जीवन का मूल आधार होतेे हैं। जिसमें धार्मिक संस्कारों की खास भूमिका होती है। आर्यिका श्री ने कहा कि मानव को क्षमा करने का भाव स्वयं में विकसित करना चाहिए।

इसके लिए स्वभाव में व्यापक दृष्टिकोण और धैर्य की जरूरत होती है। जिनालय परिसर में दिगंबर जैन समाज की ओर से अध्यक्ष महेंद्र भाई वोरा ने ध्वजारोहण कर दस लक्षण महापर्व की शुरूआत की।

इस अवसर पर जिनालय में श्रीजी की मूर्ति का धार्मिक विधि से अभिषेक,शांतिधारा की गई। चातुर्मास समिति के प्रवक्ता महेंद्र कवालिया ने बताया कि पर्यूषण पर्व के तहत सभी कार्यक्रम कोविड 19 गाइड लाइन के अनुसार किए जा रहे हैं।

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