प्रदेश में प्रजनन दर 2.1 प्रतिशत लाने के लिए ‘हम दो हमारा एक’ की नीति अपनानी होगी: चिकित्सा मंत्री

जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) 2018 के अनुसार राजस्थान की कुल प्रजनन दर 2.5 प्रतिशत थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.2 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स के अनुसार हमारा लक्ष्य वर्ष 2025 तक कुल प्रजनन दर को 2.1 प्रतिशत तक लाना है। इसके लिए हमें जनसंख्या नियंत्रण के लिए ‘हम दो हमारे एक’ की नीति ही अपनानी होगी। चिकित्सा मंत्री शुक्रवार को राज्य स्तरीय परिवार कल्याण प्रोत्साहन पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि बढ़ती जनसंख्या की समस्या अब देश के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में विकराल रूप ले चुकी है। बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रकृति का संतुलन निरन्तर बिगड़ता जा रहा है। इससे खाद्यान्न, पेयजल, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार की समस्याएं हो रही है।

डॉ. शर्मा ने कहा कि 11 से 24 जुलाई तक श्जनसंख्या स्थिरताश् पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। पखवाड़े की थीम ‘आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी’ का संदेश गांव-गांव और ढ़ाणी-ढ़ाणी तक पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों में संस्थागत प्रसव को शत-प्रतिशत करने के विशेष प्रयास जारी हैं। लेबर रूम को आधुनिक सुविधाओं से युक्त करने के साथ कोविड महामारी के दौरान महिला चिकित्सालयों में संस्थागत प्रसव के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 2.5 लाख नसबंदी की जाती है। उन्होंने बताया कि पीपीआईयूसीडी निवेशन सेवाओं में राजस्थान की गिनती देश के अग्रणी राज्यों में की जाती है। 

पुरुष नसबंदी को किया जा रहा प्रोत्साहित
चिकित्सा सचिव श्री सिद्धार्थ महाजन ने कहा कि परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबंदी कार्यक्रम में महिलाओं का योगदान लगभग 99 प्रतिशत एवं पुरुषों का मात्र 1 प्रतिशत है, जबकि पुरुष नसबंदी बहुत आसान है। उन्होंने कहा कि परिवार कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अधिक भार वाले डिलेवरी पइन्ट्स पर प्रसवोत्तर आईयूसीडी सेवाएं दी जा रही है। नसबंदी सेवाओं के लिए क्षतिपूर्ति व प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ाया गया है। उन्होंने विभाग द्वारा परिवार कल्याण के लिए किए जा रहे कायोर्ं की भी विस्तार से जानकारी दी।

निदेशक जन स्वास्थ्य डॉ. के.के. शर्मा ने कहा कि परिवार नियोजन व्यक्ति विशेष के साथ-साथ सामुदायिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कहा कि हम स्वयं परिवार कल्याण के साधनों को अपनाने के साथ औरों को भी प्रेरित करेंगे तो बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
निदेशक आरसीएच डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला ने बताया कि राजस्थान में कुल प्रजजन दर वर्ष 2000 में 4.1 प्रतिशत थी, जो कि 2018 में कम होकर 2.5 प्रतिशत हो गई है और वर्तमान में 2.3 प्रतिशत के लगभग है। उन्होंने भी समय के साथ प्रजनन दर को नियंत्रित करने पर जोर दिया।

इस अवसर पर निदेशक आईईसी मेघराज सिंह रतनू, प्रबंध निदेशक आरएमएससीएल श्री आलोक रंजन, परियोजना निदेशक परिवार कल्याण डॉ. गिरीश दिवेदी, डेमोग्राफर सैल के श्री जयसिंह व प्रेमसिंह सहित सम्मानित जिलों के जन प्रतिनिधि, कलक्टर, चिकित्सा कार्मिक और संबंधित अधिकारी स्वास्थ्य भवन से वर्चुअली जुड़े रहे। कार्यक्रम का संचालन संयुक्त निदेशक (पीआर) श्री गोविंद पारीक ने किया। इस अवसर पर नीपी द्वारा तैयार ‘काम्बैटिंग कोविड-19 इन राजस्थान‘ कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन किया गया। काफी टेबल बुक के विमोचन के समय नीपी के डॉ. प्रदीप चौधरी भी उपस्थित थे।