आत्मा योजना के अन्तर्गत बकरी पालन पर दो दिवसीय पशुपालक प्रशिक्षण का हुआ शुभारंभ

आज दिनांक 13 दिसम्बर 2021 को पशु विज्ञान केंद्र, सिरियासार कलां, झुंझुनूं द्वारा आत्मा योजना अंतर्गत संस्थागत दो दिवसीय “बकरी पालन” विषय पर प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया गया। प्रशिक्षण शिविर में मुख्य अतिथि रामकरण जी सैनी उपनिदेशक, कृषि एवं पदेन निदेशक( आत्मा ) झुंझुनू ने कृषि योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए इस तरह के प्रशिक्षण शिविर में अधिक से अधिक भाग लेने के लिए पशुपालकों को प्रेरित किया। केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने स्वागत भाषण देते हुए बकरी पालन पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने बताया कि पशुपालको को अपनी आय दोगुनी करने में वैज्ञानिक तौर तरीकों से बकरी पालन कर परिवार की आमदनी बढ़ने के साथ-साथ रोजगार के साधन भी उपलब्ध हो सकेंगे एवं प्रजनन संबंधी जानकारी में बताया कि बकरियों में युवावस्था 8 से 12 महीने की होती है, ताव के लक्षणों में मिमियाना व पूंछ का बार-बार हिलाना प्रमुख है। बकरियों में गर्भकाल 5 महीने का होता है तथा ब्यावत के लक्षणों के बारे में ,गर्भपात के कारणों एवं उसके निराकरण के बारे में बताया व ब्रूसेलोसिस जैसी भयंकर बीमारी से निपटने के लिए गर्भपात वाली बकरियों को मुख्य बड़े से अलग करने की सलाह दी |

केंद्र के डॉ विपिन चंद्र ने पशुपालकों को बकरियों के आवास प्रबंधन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आवास हमेशा पूर्व से पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए जिससे सर्दी के मौसम में अधिक से अधिक धूप फार्म में आ सके जिससे गीलापन दूर हो आवास की लंबाई पशुपालक अपने हिसाब से रख सकता है लेकिन चौड़ाई 12 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए तथा राजस्थान में पाई जाने वाली बकरी की मुख्य नस्ल जैसे कि जमुनापारी ,बीटल ,मारवाड़ी, सिरोही आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी। केंद्र के डॉ सुखवीर सिंह ने बकरियों में परजीवी नियंत्रण एवं बकरियों में प्रमुख संक्रामक रोगों के लक्षण, टीकाकरण एवं उपचार इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी पशुपालकों को दी |

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