आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राज्य सरकार ने किया 73 कलाकारों, साहित्यकारों, शिल्पकारों और संस्थाओं का सम्मान

‘मोबाइल हमारी संस्कृति को नष्ट कर रहा है, अच्छे साहित्य और संस्कारों का सृजन करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है’: बी.डी. कल्ला

राजस्थान के इतिहास में पहली बार प्रदेश की सात अकादमियों के माध्यम से आयोजित हुआ ‘संस्कृति संवर्धन’ सम्मान समारोह

कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला की पहल पर आयोजित हुआ अनूठा समारोह

जयपुर। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत गुरूवार को झालना स्थित अकादमी संकुल में ‘संस्कृति संवर्धन’ सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्य सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला की पहल पर राजस्थान के इतिहास में यह पहला मौका है जब राज्य सरकार ने विभिन्न विधाओं में साधनारत प्रदेश के विभिन्न अंचलों के 73 कलाकारों, साहित्यकारों और शिल्पकारों और इन क्षेत्रों में कार्यरत स्वयं सेवी संस्थाओं का सम्मान किया। यह आयोजन राजस्थान ललित कला अकादमी, संस्कृत अकादमी, उर्दू अकादमी, सिंधी अकादमी, राजस्थानी भाषा-साहित्य अकादमी, बृजभाषा अकादमी और राजस्थान साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। प्रदेश के शिक्षा,कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला समारोह के मुख्य अतिथि थे, समारोह की अध्यक्षता कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने की। कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त सचिव पंकज ओझा समारोह के विशिष्ट अतिथि थे।

समारोह स्थल पर प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आए सभी कलाकारों, साहित्यकारों और शिल्पकारों के पहंुचने पर आयोजकों की ओर से उनका तिलक लगाकर और तिरंगा दुपट्टा ओढ़ाकार अभिनंदन किया। ललित कला अकादमी के सभागार में आयोजित समारोह में बी.डी. कल्ला, गायत्री राठौड़ और पंकज ओझा ने एक-एक करके अपने अपने क्षेत्र की नामी हस्तियों को मंच पर प्रशस्ति पत्र, श्रीफल प्रदान किया और सभी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। समारोह का संचालन सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक गोविंद पारीक ने किया। सम्मान समारोह की शुरूआत संयुक्त शासन सचिव पंकज ओझा निर्मित फिल्म की स्क्रीनिंग से हुई। इस फिल्म में महान राजस्थानी गीतकार कन्हैया लाल सेठिया के गीत की पृष्ठभूमि में राजस्थान की संस्कृति की झलक दिखाई गई।

अपने उद्बोधन में बी.डी. कल्ला ने कहा कि मोबाइल हमारी संस्कृति को नष्ट कर रहा है, अच्छे साहित्य और संस्कारों का सृजन करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इस कड़ी में उन्होंने सभी अकादमियों का आह्वान किया कि वो सुसंस्कृत भावी पीढ़ी तैयार करने की मंशा से स्कूलों में ऐसे शिविर आयोजित करें जिनके जरिए छात्रों में हमारी संस्कृति के श्रेष्ठ मूल्यों का संचार हो सके ।

ललित कलाओं के इन मनीषियों का हुआ सम्मान

प्रो. भवानी शंकर शर्मा, डॉ. शब्बीर हसन काजी, महावीर स्वामी, डॉ. जगमोहन माथोड़िया, हरशिव कुमार शर्मा, पंकज गहलाते, डॉ. मणि भारतीय, डॉ. मीना बया, अशोक गौड़, पवन कुमावत और डॉ. शाहिद परवेज।

उर्दू साहित्य के इन मनीषियों का हुआ सम्मान

डॉ. अरशद अब्दुल हमीद, डॉ. सैयद सादिक अली, फारूख़ इंजीनियर, शीन मीन हनीफ, सुनील कुमार शर्मा, ज़ाकिर हुसैन ‘ज़ाकिर अदीब’, डॉ. इशरार-उल-इस्लाम माहिर, नफासत अहमद, सुहेल हाशमी और बज़्म-ए-कमर (संस्था)।

हिन्दी साहित्य के इन मनीषियों का हुआ सम्मान

डॉ. स्वर्ण लता, नंद किशोर आचार्य, नंद भारद्वाज, बृज रतन जोशी, चंद्र प्रकाश देवल, माधव हाड़ा, कृष्ण कल्पित, ऋतुराज, हेमन्त शेष, राजाराम भादू, मनोज कुमार शर्मा, सुश्री प्रियंका जोधावत।

बृज भाषा साहित्य के इन मनीषियों का हुआ सम्मान

डॉ. रामकृष्ण शर्मा, मेवाराम कटारा, रामबाबू शुक्ल, सुशीला शील, शीताभ शर्मा, भगवान मकरन्द और वरूण चतुर्वेदी।

संस्कृत भाषा साहित्य के इन मनीषियों का हुआ सम्मान

डॉ. नीरज शर्मा, प्रो. कुलदीप शर्मा, डॉ. नंदिता सिंघवी, डॉ. हरि सिंह राजपुरोहित, डॉ. अंजना शर्मा, डॉ. शिव चरण शर्मा, डॉ. सुरेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. तारेश कुमार शर्मा, डॉ. फीरोज, डॉ. अग्निवेश शर्मा, विश्व गुरूदीप आश्रम शोध संस्थान, श्रीकल्ला जी वेदपीठ, राकावत देशस्य ऋगवेदी बामण महासभा।

सिंधी साहित्य के इन मनीषियों का हुआ सम्मान

लक्ष्मण भंभाणी, सुरेश सिंधु, सुरेश हिन्दुस्तानी, किशन रतनानी, नंदनी पंजवानी, पूजा चांदवानी, घनश्याम भगत, प्रेम प्रकाश मंडल अमरापुरा, सिंधु वैल्फेयर सोसायटी, सिंधु संस्कृति प्रचार संस्था।

राजस्थानी भाषा साहित्य के इन मनीषियों का हुआ सम्मान

प्रियंका जोधावत, नारायण सिंह राठौड़ ‘पीथल’, पदम मेहता, देवकिशन राजपुरोहित, डॉ. मधु आचार्य ‘आशावादी’, डॉ. भरत ओला, जितेन्द्र निर्मोही, डॉ. राजेन्द्र बारहठ और मुक्ति संस्था।