‘आत्मनिर्भर युवा’ की सोच को प्राथमिकता में रखते विश्वविद्यालय करे कार्य : राज्यपाल

राजुवास में संविधान पार्क एवं कौशल विकास केन्द्र की हुई स्थापना

  • राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने किया बीकानेर स्थित विश्वविद्यालय में आॅनलाईन शिलान्यास
  • कौशल विकास के साथ संवैधानिक जागरूकता समय की सबसे बड़ी आवश्यकता

जयपुर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि युवाओं में कौशल विकास के साथ संवैधानिक जागरूकता आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि और पशुपालन एक दूसरे के पूरक है। इस दृष्टि से पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय पशुपालन के कारगर उपायों के साथ विद्यार्थियों में कौशल उन्नयन और क्षमता विकसित करने के लिए भी निरन्तर प्रयास करें।

श्री मिश्र आज यहां राजभवन में राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर में संविधान पार्क एवं कौशल विकास केन्द्र के आॅनलाईन शिलान्यास कार्यक्रम मंे संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ‘आत्मनिर्भर युवा’ की सोच को प्राथमिकता में रखते हुए अपने यहां अध्ययन-अध्यापन गतिविधियां क्रियान्वित करें।

कुलाधिपति एवं राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में संविधान पार्क की स्थापना को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारतीय संविधान विश्वभर के लोकतंत्रों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है। इसकी स्थापना से युवा पीढ़ी का संविधान की भावना से जुड़ाव होगा। उन्होंने कहा कि संविधान पार्क नागरिकों के मौलिक कत्र्तव्यों, नीति निर्देशक तत्वों और देश के प्रति जिम्मेदारी का अहसास करवाने का विद्यार्थियों के लिए एक सशक्त माध्यम बनेगा।

श्री मिश्र ने भारतीय संविधान को लिखे जाने के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि देश के आदर्शों, उद्देश्यों व मूल्यों का यह संचित प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि संविधान कोई जड़ दस्तावेज नहीं है, बल्कि समय के साथ यह निरंतर विकसित होता रहा है। उन्होने संविधान में रेखांकित चित्रकृतियां और मूर्धन्य चित्रकार नंदलाल बोस को याद करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति से जुड़ा संविधान हमारी ऐसी अमूल्य निधि है जिससे लोकतंत्र की हमारी जड़े सदा हरी रहती है।

कुलाधिपति श्री मिश्र ने विश्वविद्यालयों में पशुधन की गुणवत्ता एवं स्वास्थ्य में सुधार के साथ ही पशुधन उत्पादों में गुणवत्ता और विपणन से जुड़े व्यवसायों में कौशल विकास के पाठ्यक्रमों का निर्माण किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैविक पशु उत्पादक तकनीक में विद्यार्थियांे को दक्ष कर उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं।

श्री मिश्र ने कहा कि पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान शिक्षण, अनुसंधान और प्रसार में आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम अद्यतन किए जाने चाहिए। उन्होंने पशुपालन के साथ पशु उत्पादों के प्रसंस्करण विपणन से संबंधित व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि बीकानेर स्थित वेटनरी विश्वविद्यालय ने स्वदेशी गौवंश की नस्लों के संरक्षण और संवर्द्धन में देशभर में अपनी अलग पहचान बनायी है। उन्होंने नवाचारों के जरिए विश्वविद्यालय में व्यावसायिक शिक्षा को भविष्य की जरूरतों के हिसाब से विकसित करने पर जोर दिया।

इससे पहले राज्यपाल श्री मिश्र ने भारतीय संविधान की उद्देशिका एवं मूल भावना का वाचन किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रकाशित ‘उन्नत पशुपालन प्रशिक्षण संदर्शिका’ एवं ‘वैज्ञानिक पशुपालन एवं प्रबन्ध प्रशिक्षण संदर्शिका’ पुस्तिकाओं का भी लोकार्पण भी किया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सहायक महा निदेशक (शिक्षा) डाॅ. पी.एस. पाण्डेय ने कृषि एवं पशुपालन से संबंधित कौशल विकास के कार्यक्रमों की उपादेयता के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने विश्वविद्यालय द्वारा कौशल विकास के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से प्रस्तुतिकरण दिया।