साढ़े पांच साल बाद परिवार से मिला गिद्ध

सिनेरियस प्रजाति का गिद्ध
सिनेरियस प्रजाति का गिद्ध

दो महीने जोधपुर में देखरेख के बाद बीकानेर में छोड़ा, एयर लिफ्ट कर लाए थे

जोधुपर। स्पेन से आए एक गिद्ध को परिवार से मिलाने के लिए करीब साढ़े पांच साल का समय लग गया। सिनेरियस प्रजाति का यह गिद्ध कन्याकुमारी में आए साइक्लोन की वजह से साढ़े पांच साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गया था। इसके बाद इसे जोधपुर लाने का का प्लान बनाया गया। एक महीने पहले वन विभाग की टीम ने इसे पहले कन्याकुमारी से चेन्नई, फिर वहां से जोधपुर के माचिया सफारी पार्क में पहुंचाया।

सिनेरियस प्रजाति का गिद्ध
सिनेरियस प्रजाति का गिद्ध

जोधपुर में लगातार गिद्ध की देख-रेख की गई। पहले इसे जोधपुर के ही बीहड़ में छोडऩे का प्लान बनाया गया लेकिन एक महीने तक मॉनिटरिंग करने के बाद गिद्ध को गुरुवार को बीकानेर छोड़ा गया। यहां उसे जोड़-बीड़ गिद्ध संरक्षित एरिया में छोड़ा गया। गौरतलब है कि गिद्ध को उसके परिवार से मिलाने की ये अब तक की सबसे अनूठी मुहिम थी।

एक गिद्ध को परिवार से मिलाने के लिए इस तरह से चली मुहिम

सिनेरियस प्रजाति का गिद्ध
सिनेरियस प्रजाति का गिद्ध

2017 में स्पेन से आया सिनेरियस प्रजाति के गिद्धों का झुंड कन्याकुमारी पहुंचा। इस दौरान साइक्लोन की वजह से यह गिद्ध उड़ नहीं पाया। इसके बाद इसे उदयगिरी पार्क में रखा गया। रिसर्च किया गया कि देश में इसके अनुकूल कौन सी जगह है। पता चला कि जोधपुर इसके लिए सबसे बेहतर है। इतना ही नहीं, जोधपुर में सिनेरियस प्रजाति के कई गिद्ध यहां आते हैं। इसके बाद इसे यहां लाने की प्लानिंग हुई। 4 नवंबर को इस गिद्ध को एयर लिफ्ट कर जोधपुर लाया गया था।

इसके बाद गुरुवार दोपहर 12.30 बजे बीकानेर स्थित जोड़-बीड के गिद्ध संरक्षित क्षेत्र में मुक्त कर दिया गया। इससे पहले बुधवार रात जोधपुर से अधिकारियों की टीम इसे बीकानेर के लिए लेकर रवाना हुई थी। यहां बीकानेर के पुराने चिडिय़ाघर में दोपहर 12 बजे तक रखा गया। जोधपुर से बीकानेर ले जाने की टीम में डॉ. ज्ञान प्रकाश, भूराराम बिश्नोई, चेन्नई से आए वल्चर के केयरटेकर एंटनीराजन और बंशीलाल सांखला थे। बीकानेर के सीसीएफ हनुमानाराम चौधरी, बीकानेर वन्यजीव के डीएफओ, जोधपुर वन्यजीव डीएफओ और भारतीय वन्यजीव अनुसंधान देहरादून से आए वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार की मौजूदगी में इस गिद्ध को छोड़ा गया।

टीम 1 दिन तक यहां रुकेगी, इससे पहले की जा रही थी मॉनिटरिंग

चेन्नई और देहरादून से आई एक्सपर्ट की टीम पिछले एक महीने से जोधपुर में ही है। यहां माचिया सफारी पार्क में इस सिनेरियस प्रजाति के गिद्ध पर निगरानी रखी जा रही थी। पहले तय किया गया था कि इसका व्यवहार देख जोधपुर के बीड़ में ही छोड़ा जाएगा। लेकिन, बाद में तय किया गया कि इसे बीकानेर एरिया में छोड़ेंगे। जोधपुर से बीकानेर गई टीम भी एक दिन वहां रुक कर सिनेरियस प्रजाति के इस गिद्ध पर नजर रखेगी।

जोधपुर और बीकानेर को इसलिए चुना गया था

एक्सपर्ट के अनुसार, वल्चर को उड़ान भरने के लिए हीट वेव की जरूरत होती है। साउथ का इलाका ठंडा होने की वजह से वहां गर्म हवाओं का असर न के बराबर होता है। ऐसे में वल्चर उड़ान नहीं भर पा रहा था। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून से इकोलॉजिस्ट की टीम ने जब रिसर्च किया तो पता चला ऐसा एरिया पश्चिमी राजस्थान या गुजरात में मिल सकता है, जहां सर्दियों में भी ये आसानी से उड़ान भर सकता है।

हर साल आते हैं प्रवासी गिद्ध

बीकानेर स्थित महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के हेड प्रो. अनिल छंगाणी का कहना है कि सिनेरियस, हिमालयन ग्रिफन व यूरोशियन प्रजाति के गिद्ध सर्दी के मौसम में लंबी दूरी तय कर भारत आते हैं। ये गिद्ध अमूमन मंगोलिया, कजाकिस्तान, स्पेन सहित कुछ अन्य देशों से उड़ान भरकर यहां पहुंचते हैं।कई बार इनकी उपस्थिति श्रीलंका व थाईलैंड तक में दर्ज की जा चुकी है। ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं है कि सिनेरियस प्रजाति का यह गिद्ध कन्याकुमारी तक जा पहुंचा। आमतौर पर ये गिद्ध समूह में ही उड़ान भरते हैं, हो सकता है कि घायल होने के कारण यह गिद्ध पीछे रह गया। समय रहते लोगों की मदद से सही स्थान पर पहुंच गया और इसका इलाज हो सका।

यह भी पढ़ें : पालक खाकर दूर रखी जा सकती हैं ये खतरनाक बीमारियां