क्या है ‘वल्र्ड मिल्क डे’, का इतिहास

वल्र्ड मिल्क डे
वल्र्ड मिल्क डे

दुनिया भर में 1 जून यानी आज का दिन वल्र्ड मिल्क डे के रूप में मनाया जाता है। हम सभी जानते हैं कि दूध के अंदर ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो न केवल सेहत के लिए उपयोगी हैं बल्कि यह हमारे शरीर में बड़ी से बड़ी समस्याओं को दूर करने में हमारी मदद गार साबित हो सकते हैं। ऐसे में दूध के महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी, जिससे कि लोग दूध और दूध निर्मित चीजों के महत्व को समझें और उसे उपयोग में लाएं। ऐसे में वल्र्ड मिल्क डे के इतिहास के बारे में पता होना जरूरी है. साथ ही इस साल की थीम के बारे में भी जानना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपनी इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि वल्र्ड मिल्क डे का इतिहास क्या है।

वल्र्ड मिल्क डे का उद्देश्य क्या है?

वल्र्ड मिल्क डे
वल्र्ड मिल्क डे

मिल्क डे मनाने का लक्ष्य लोगों को इसके लाभ और महत्व समझाने के साथ ही उन्हें यह बताना भी था कि दूध कैसे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं और समुदायों को लाभ पहुंचाता है। इसके बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए ही हर साल इस दिन को मनाया जाता है। एफएओ के अनुसार, करीब छह अरब लोग डेयरी उत्पादों का उपभोग करते हैं। इतना ही नहीं डेयरी व्यवसाय एक अरब से अधिक लोगों को आजीविका चलाने में मदद करता है।

क्या है वल्र्ड मिल्क डे 2023 की थीम

वल्र्ड मिल्क डे
वल्र्ड मिल्क डे

किसी भी खास मकसद के साथ मनाए जाने वाले इन दिनों के लिए हर साल कोई खास थीम भी तय की जाती है। वल्र्ड मिल्क डे के लिए भी हर साल एक थीम डिसाइड की जाती है। बात करें इस साल की थीम की, तो इस साल इस दिन का मकसद इस बात पर प्रकाश डालना होगा कि पौष्टिक आहार और आजीविका देते हुए यह कैसे यह एनवायरमेंट फूटप्रिंट्स को कम कर रही है।

कब मनाया जाता है नेशनल मिल्क डे?

दुनियाभर में जहां 1 जून को वल्र्ड मिल्क डे मनाया जाता है, तो वहीं भारत में हर साल नेशनल मिल्क डे 26 नवंबर को मनाया जाता है। भारत में इस दिन को डॉक्टर वर्गीज कुरियन का जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है, जिन्हें भारत में श्वेत क्रांति का जनक भी कहा जाता है। उन्हें मिल्क मैन के नाम से भी जाना जाता है।

क्या है श्वेत क्रांति?

कुरियन ने साल 1970 में श्वेत क्रांति की शुरुआत की थी। इसका मकसद भारत में दूध के उत्पादन को बढ़ावा देना था। साल 1965 से लेकर 1998 तक डॉक्टर वर्गीज कुरियन नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने देश के हर कोने तक दूध के उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश की। उनकी इसी कोशिश की बदौलत आज भारत आज दुनिया में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन करने वाले देशों में से एक बन चुका है।

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