ऋषिकेश से बद्रीनाथ तक 300 किमी मार्ग को चौड़ा करने का काम शुरू

देहरादून। मनमीत रावत पिछले सप्ताह देहरादून से किसी काम से गोपेश्वर गए थे। वहां से उन्होंने बद्रीनाथ जाने का फैसला किया, लेकिन रास्ते में दर्जनों जगहों पर पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है। इस वजह से 10-15 किलोमीटर के सफर के बाद उन्हें 10 मिनट के लिए रुकना पड़ता था। इससे उन्हें जोशीमठ पहुंचने में देर हो गई और वे उस दिन बद्रीनाथ नहीं जा सके। उनके जैसे कई ऐसे लोग हैं जिन्हें रात जोशीमठ में ही बितानी पड़ी।

ऋषिकेश से लेकर बद्रीनाथ के पास भारत के अंतिम गांव माणा तक 300 किमी लंबे मार्ग को चौड़ा करने के लिए पहाड़ों को काटने का काम इस समय जोरों पर है, ताकि इस मार्ग को हर मौसम में यात्रा के लायक बनाया जा सके। कोरोना की वजह से इस बार अभी तक उत्तराखंड में तीर्थयात्रा पूरी तरह से शुरू नहीं हो सकी है।

अभी उत्तराखंड के लोगों को ही इसकी अनुमति है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले साल की यात्रा तक इसका ज्यादातर काम पूरा हो जाएगा। हालांकि, पर्यावरण विभाग की मंजूरी और हाईकोर्ट में याचिका की वजह से कई काम अटके भी पड़े हैं। इन बाधाओं के दूर होने के बाद ही चारधाम की यात्रा को आसान बनाया जा सकता है।

हालांकि, जहां तक मार्ग पर काम पूरा हो रहा है, वहां स्थानीय लोग बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। रुद्रप्रयाग के रहने वाले महाबीर प्रसाद भट्ट बताते हैं कि लाल पहाड़ से लेकर सुमेरपुर तक के 5 किमी इलाके में पहाड़ों को काटने का काम पूरा होने के बाद बड़ी राहत होगी। क्योंकि यह रास्ता संकरा और मुश्किल था। ऋषिकेश और व्यासी के बीच नए पुलों व एलीवेटेड रोड को बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है।

देवप्रयाग में नया पुल बनने से भी आसानी होगी। ऋषिकेश से गंगोत्री-यमुनोत्री मार्ग पर धरासू तक सड़क बनाने का काम अंतिम चरण में है। हालांकि धरासू से आगे दोनों ही तीर्थों के लिए मार्ग चौड़ा करने में वन व पर्यावरण विभाग की मंजूरी मिलना बाकी है। इसके बावजूद धरासू तक सड़क चौड़ी होने से चंबा, टिहरी और उत्तरकाशी तक यातायात आसान हो जाएगा।

उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को जाने वाले सभी मार्गों को चार धाम यात्रा परियोजना के तहत चौड़ा व सुगम बनाया जा रहा है। 11 हजार 700 करोड़ की इस परियोजना के तहत कुल 889 किमी सड़क को चौड़ा किया जा रहा है। ऋ षिकेश से बद्रीनाथ तक करीब 300 किमी की यात्रा में अभी 10 से 12 घंटे का समय लगता है।

लेकिन, इस परियोजना के पूरा होने के बाद यह समय आधे से भी कम हो जाएगा। इसके लिए मौजूदा सड़कों की चौड़ाई को दोगुना किया जा रहा है। यानी अभी तक जिस रास्ते पर दो वाहन भी बड़ी मुश्किल से एक दूसरे को क्रॉस कर पाते थे, अब वहां से चार वाहन एक साथ गुजर सकेंगे। इससे दुर्घटनाओं की संख्या में भी बड़ी कमी आएगी।

साथ ही बड़े पैमाने पर पुलों का निर्माण करके रास्तों को आसान भी बनाया जा रहा है। ऋषिकेश से गंगोत्री मार्ग पर चंबा में बनी 440 मीटर लंबी सुरंग का मई में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी उद्घाटन भी कर चुके हैं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने रिकॉर्ड समय में इस सुरंग को बनाया है। इस मार्ग के बड़े हिस्से पर पहाड़ों को काटने का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब सड़कों पर तेजी से कारपेटिंग हो रही है।