धनतेरस पर इनकी पूजा करने से घर में दबे पांव आएंगी माता लक्ष्मी

धनतेरस
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यह होगा पूजन का विधि-विधान

दो दिन बाद पांच दिवसीय दीपावली पर्व आरंभ हो जाएगा। घरों की साफ-सफाई से लेकर खरीदारी का दौर चल रहा है। 22 अक्टूबर को धनतेरस के साथ दीपावली पर्व का आगाज होगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अनुसार लोग इस दिन चांदी और बर्तन खरीदते हैं। प्रथम पूज्य गणपति और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस दिन और भी कई देवताओं की पूजा की जाती है। यदि आप भी लक्ष्मी-गणेश के साथ इन देवताओं का आह्वान करेंगे तो घर अपार खुशियों से भर जाएगा।

पुराणों के अनुसार भगवान धन्वंतरि देवी लक्ष्मी के हाथ में अमृत कलश लिए हुए समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए थे। इसलिए इसे धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यही कारण है दीपावली के पहले, यानी धनतेरस से ही दिवाली का आरंभ हो जाता है। धनतेरस के दिन श्री गणेश, धन के देवता कुबेर, औषधि के देवता धन्वंतरि तथा सुख, समृद्धि तथा वैभव की देवी महालक्ष्मी की पूजा विधि विधान से एक साथ की जाती है। आइए जानते हैं कि धनतेरस पर गणेश-लक्ष्मी के अलावा और किन देवताओं का पूजन विधि और पूजन मंत्र क्या है।

गणेश पूजा से करें आरंभ

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श्री गणेश सबके आराध्य माने जाते हैं, इसीलिए सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। धनतेरस पर श्री गणेश की पूजन विधि इस प्रकार है-
सर्वप्रथम श्री गणेश को स्नान कराएं।
इसके उपरांत विघ्नहर्ता श्री गणेश को चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं।
फिर उन्हें लाल रंग के वस्त्र पहनाएं और फिर ताजे पुष्प अर्पण करें।
अब धनतेरस की पूजा शुरू करने से पूर्व नीचे दिए गए मंत्र का जाप अवश्य करें-
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥अब करें धन्वंतरि देव का पूजन
श्री गणेश के पूजन के बाद भगवान धन्वंतरि का पूजन आरंभ करें।

इनका पूजन इस प्रकार करें-

धनतेरस
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सर्वप्रथम भगवान धन्वंतरि की मूर्ति स्थापित कर उन्हें स्नान कराएं।
अब धन्वंतरि देव का अभिषेक करें।
इसके बाद उन्हें 9 प्रकार के अनाज का भोग लगाएं।
मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई और पीली चीज प्रिय है, तो संभव हो तो उन्हें पीले रंग की वस्तुएं ही अर्पित करें।
अब अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और भलाई के लिए प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का जाप करें-
? नमो भगवते महा सुदर्शनाया वासुदेवाय धन्वन्तरये
अमृत कलश हस्ताय सर्व भय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय
त्रैलोक्य पतये, त्रैलोक्य निधये
श्री महा विष्णु स्वरूप, श्री धन्वंतरि स्वरुप
श्री श्री श्री औषध चक्र नारायणाय स्वाहा

ऐसे करें धन देवता कुबेर का पूजन

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भगवान कुबेर धन के अधिपति हैं। मान्यता है जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान से भगवान कुबेर की पूजा करता है उसके घर में कभी धन संपत्ति की कमी नहीं रहती है। कुबेर देव की पूजा के समय सदैव इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उनकी पूजा प्रदोष काल में ही करें।

सर्वप्रथम कुबेर देव कि मूर्ति स्थापित कर उन्हें स्नान कराएं।
इसके उपरांत उन्हें फूल, फल, चावल, रोली-चंदन, अर्पित करें।
इसके बाद धूप-दीप का उपयोग कर उनका पूजन करें।
भगवान कुबेर को सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
धन देवता कुबेर के पूजन के दौरान इस मंत्र का जाप करें-
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।महालक्ष्मी पूजन के बिना अधूरी है धनतेरस की पूजा

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महालक्ष्मी का पूजन धनतेरस के दिन प्रदोष काल में ही किया जाता है। पूजन विधि इस प्रकार है-
माता लक्ष्मी की पूजा शुरू करने से पूर्व एक चौकी पर एक लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उसमें मु_ी भर अनाज रख लें।
इसके बाद कलश में गंगाजल रखें।
इसके साथ ही सुपारी, फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने और अनाज भी इस कलश के ऊपर रखें।
इसके बाद लक्ष्मी जी की प्रतिमा का पंचामृत (दूध, दही, घी, मक्खन और शहद का मिश्रण) से स्नान कराएं।
फिर जल से स्नान कराकर माता लक्ष्मी को चंदन लगाएं, इत्र, सिंदूर, हल्दी, गुलाल आदि अर्पित करें।
अंत में सफलता, समृद्धि, खुशी और कल्याण की कामना करें।
अब नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें-
? श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ? श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

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