कुल की रस्म में उमड़े जायरीन, कव्वाल पार्टियों ने पेश किए नातिया और सूफियाना कलाम

उदयपुर। ब्रह्मपोल बाहर हजरत इमरत रसूल शाह बाबा का तीन रोजा उर्स रविवार को पूरा हुआ। रंग के साथ सलातो-सलाम पढ़ा गया। अकीदतमंदों ने शहर और मुल्क में अमन-चैन की दुआएं कीं। कव्वालों ने ‘मैं तो नाम जपूं अली अली का, अली से हूं वाबस्ता, अली अली मेरे मौला, कोई और ना… जैसे कलाम पेश किए तो माहौल में सूफी रंग घुल गए।

उर्स के आखिरी रोज के कार्यक्रमों का आगाज सुबह 8:30 पर कुरआन ख्वानी के साथ हुआ। इसमें कलामे-पाक की तिलावत की गई। जौहर की नमाज के बाद महफिले-समां में कव्वाल पार्टियों ने नातिया और सूफियाना कलाम पेश किए। असर की नमाज के बाद रंग और सलातो-सलाम पढ़े गए। बड़ी तादाद में जायरीन ने चादर पेश की। इनके लिए लंगर व तबर्रुक तकसीम किया गया। मस्तान बाबा ट्रस्ट की ओर से भी चादर पेश की गई।

महफिले-समां का आगाज स्थानीय कव्वाल नजीर नियाजी ने ख्वाजा-ए-ख्वाजा मोइनुद्दीन…, क्या खूब नजर डाली मेरे इमरत रसूल बाबा…. कलाम पढ़कर की। मोहम्मद असलम साबरी ने मैं नाम जपूं अली अली का, अली से हूं वाबस्ता…, वो दुआ में हाथ उठाने मेरे पीर आ गए…. पेश किए। रफीक मस्ताना, अखलाक सुल्तानपुरी ने साकी तेरी आंखों ने मस्ताना बना डाला… पढ़ा।

कव्वाल पार्टियों ने मिलकर हजरत अमीर खुसरो के लिखे- आज रंग है ऐ मां रंग है री, मेरे इमरत रसूल के घर रंग है… पढ़ा तो जायरीन बाबा की अकीदत के रंग में रंग गए। कुल की रस्म में इमाम हाफिज मेहमूदुज्जमा ने कलामे-पाक की तिलावत कर फातिहा पेश की।

मुल्क में अमन व भाईचारे के लिए दुआ के बाद लोगों ने कुल के छींटे लिए। मीडिया प्रभारी मोहसिन हैदर ने बताया कि सदर सरवर खान, पूर्व सदर मुहम्मद यूसुफ, सेक्रेटरी शादाब खान, मुबारिक हुसैन, हाजी इकबाल हुसैन, तनवीर इकबाल, अब्दुल हमीद, शब्बीर हुसैन, इमरान खान, मुबीन खान, तौकीर खान, फिरोज खान, यूनुस खान, अब्दुल रशीद आदि मौजूद थे।

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