प्रदेश को कोयले-बिजली संकट से बाहर निकाले केंद्र : गहलोत

ठ्ठ जलतेदीप, जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि कोयले की कमी है। यह सबको मालूम है। ऐसी जानकारी लगी है कि कई प्लांटों के कॉन्ट्रैक्ट थे, जो फेल हो गए हैं। यह भी बिजली संकट का बड़ा कारण है। उन्होंने कहा- राज्य संकट में है और इस संकट से निकालने की जिम्मेदारी केन्द्र की बनती है। गहलोत ने कहा कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री सक्षम हैं। मुझे उम्मीद है कि ऊर्जा मंत्री जिस तरह राज्यों को बिजली को लेकर कॉर्डिनेट कर रहे हैं, कोयले की कोई कमी नहीं है, यह कहकर वे राज्यों पर जिम्मेदारी डालने की बजाय कोई हल निकालेंगे।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोयला और बिजली किल्लत को लेकर सीएमआर में बिजली कंपनियों के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की। इससे पहले जयपुर में सचिवालय में मीडिया से रूबरू होकर गहलोत ने कहा कि यह विवाद का विषय नहीं होना चाहिए। पूरे देश में खासकर नॉर्थ इंडिया में कोयला और बिजली क्राइसिस है। हो सकता है यह क्राइसिस और आगे बढ़े। केन्द्र सरकार को सभी राज्यों से कॉर्डिनेट करना चाहिए। ज्यादातर राज्य केन्द्र सरकार को बिजली संकट को लेकर जानकारी दे चुके हैं। यह संकट कितना बड़ा होगा, कोई नहीं कह सकता है।

गहलोत ने कहा कि कोल इंडिया को चाहिए कि वह खुद आगे बढ़कर राज्यों से बात करे। राज्यों से उनकी जरूरत और दिक्कतों की जानकारी ले। कोयले की खदानों में पानी भर गया यह तो एक कारण है,कि कोयला सप्लाई में दिक्कत हो रही है, लेकिन जहां तक मुझे जानकारी लगी है कई प्लांटों के कॉन्ट्रैक्ट थे, वे फेल हो गए। ये संकट पूरे देश के कई राज्यों में है। राजधानी दिल्ली में तो ब्लैक आउट होने तक की बातें होने लग गई हैं। गहलोत ने कहा कोयला और बिजली का संकट दुनियाभर में फैल रहा है। चीन और यूरोप में भी क्राइसिस है। कोयले के दाम दुनिया के कई मुल्कों में चार-पांच गुणा तक बढ़ गए हैं। उसके बावजूद कोयला नहीं मिल पा रहा है।

हालात अजीबो गरीब बन रहे हैं। जब कोई कहता है मार्च तक यह कोयले का संकट रहेगा। यह सुनकर ही आश्चर्य और दुख होता है। ऐसे वक्त में केन्द्र सरकार की बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि सभी राज्यों को इस संकट से बाहर निकाले। उन्होंने केन्द्र पर पलटवार करते हुए कहा कि जिस तरह से कहा जा रहा है कि राजस्थान का 500 करोड़ बकाया है या 600 करोड़ रुपए बकाया है। यह बहुत मामूली बातें हैं।

जब करोड़ों-अरबों रुपए के कोयले बिकते और खरीदते हैं, तो वहां 500-600 करोड़ मायने नहीं रखता है।