
लाइफस्टाइल में बदलाव की वजह से कई नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज का खतरा बढ़ता जा रहा है। इन बीमारियों में फैटी लिवर एक बेहद आम समस्या है, जिसकी वजह से कई लोगों का लिवर प्रभावित होते हैं। नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर ऐसी कंडिशन होती है, जिसमें लिवर में फैट की मात्रा बढ़ जाती है। इस कारण लिवर के सामान्य फंक्शन में रुकावट आने लगती है।
क्यों होता है फैटी लिवर?

आमतौर पर, फैटी लिवर की समस्या उन लोगों के साथ अधिक होती है, जो मोटापे जैसी किसी मेटाबॉलिक डिजीज से पीडि़त होते हैं। लाइफस्टाइल और खान-पान से जुड़ी खराब आदतों की वजह से फैटी लिवर की समस्या लोगों में काफी बढ़ती जा रही है। वैसे तो, दवाइयों की मदद और जीवनशैली में सुधार करके इस कंडिशन को ठीक किया जा सकता है, लेकिन कई बार इस समस्या को अनदेखा करने की वजह से यह गंभीर रूप ले लेता है। वक्त पर फैटी लिवर का इलाज न होने की वजह से यह आगे चलकर, एनएएसएच में भी बदल सकता है।
क्या है एनएएसएच?

एनएएसएच यानी नॉन एल्कॉहोलिक स्टेटोहैपिटाइटिस, नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर का इलाज न होने की वजह से होता है। इसमें लिवर में स्कार और सूजन होने लगती है। यह एक ऐसी कंडिशन होती है, जिसमें लिवर में एकस्ट्रा फैट इक_ा होने लगता है और इस कारण फाइब्रोसिस, स्कारिंग और लिवर में सूजन की समस्या भी हो सकती है।
इस कारण लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता है, जिसे लिवर डिसफंक्शन कहा जाता है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। फैटी लिवर के इस गंभीर रूप के इलाज के लिए हाल ही में एक दवाई की खोज हुई है। इससे पहले इस बीमारी के इलाज के लिए कोई कोई ऐसी दवाई बाजार में नहीं थी।
दवाई को मिली मंजूरी?
एनएएसएच जिसे हाल ही में मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोहेपेटाइटिस नाम दिया गया है, का कारण क्या है और यह क्यों होता है, यह अभी तक समझ नहीं आ पाया है। हालांकि, मोटापा, हाइपोथाइरॉइडिज्म, डायबिटीज, ब्लड में फैट की मात्रा बढऩे या किसी अन्य मेटाबॉलिक डिजीज की वजह से इसका खतरा बढ़ जाता है।
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