
किडनी (गुर्दे) की क्षमता प्रभावित होने या उसके खराब होने के पीछे मुख्य रूप से दो कारण होते हैं- डायबिटीज और ब्लडप्रेशर। हालांकि, किडनी से जुड़े कुछ रोग जन्मजात भी होते हैं, जैसे कि पालिसिस्टिक किडनी डिजीज। लेकिन, अगर ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखा जाए तो किडनी के फेल होने के जोखिम को बहुत कम किया जा सकता है। किडनी फेल होने के पीछे कई तरह के अन्य कारण भी होते हैं, जैसे कि दुष्प्रभावों को जाने समझे बगैर ही लोग देसी दवाओं का प्रयोग शुरू कर देते हैं, उससे भी कई बार किडनी के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

आमतौर पर देसी दवाओं में भारी धातुएं होती हैं, जो किडनी की क्षमता को प्रभावित करती हैं। दूसरा बड़ा कारण है- पेन किलर, जैसे कि ब्रूफेन की गोलियां आदि। इसके अधिक और अविवेकपूर्ण सेवन से किडनी का जोखिम बढ़ता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि एनएसएआइडी (नान स्टेरायडल एंड एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स) दवाओं से गुर्दे को बहुत नुकसान होता है, इसलिए इसका सेवन चिकित्सक की निगरानी में ही होना चाहिए।
सतर्कता बढ़ाएं जब…
अगर रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना पड़ रहा है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कई बार किडनी के सही से काम नहीं करने के कारण भी ऐसा होता है। इस स्थिति में अच्छे चिकित्सक से परामर्श करके किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी) करा लेना चाहिए। यह कार्य साल में कम से कम एक बार जरूर कराना चाहिए। आजकल किडनी स्टोन की समस्या भी बहुत देखने में आती है। हालांकि, बहुत ही कम मामलों में इससे किडनी फेल होने की समस्या आती है। अगर किडनी में स्टोन होगा, तो उससे दर्द होता है। अगर ऐसा हो रहा है, तो डाक्टर से मिलकर इसकी जांच और उपचार शुरू कर देना चाहिए।
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