भारतीयों से ज्यादा विदेशियों को मिल रही हिन्दी फिल्मों में तवज्जो

बॉलीवुड
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स्वदेशी कलाकारों पर रोजी-रोटी का संकट, बॉलीवुड यूनियन ने जताई नाराजगी

मुंबई। फिल्मों में काम करने के लिए विदेशों से एक्टर-एक्ट्रस से लेकर सहकलाकार को बुलाए जाने के टे्रंड ने भारतीय फिल्मी कलाकारों के सामने काम का संकट खडा कर दिया है। बॉलीवुड यूनियन ने इस पर भारी नाराजगी जताई है। किसी फिल्म या शो को तैयार करने में हीरो-हीरोइन के अलावा अन्य सैकड़ों लोगों की मेहनत लगी होती है। बेशक इनकी मेहनत पर्दे पर नजर नहीं आती, लेकिन पर्दे के पीछे यह दिन-रात खपकर काम करते हैं। ये लोग होते हैं फिल्म के क्रू मेंबर्स, तकनीशियन, मेकअप आर्टिस्ट, डांसर्स, जूनियर आर्टिस्ट आदि। फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिंग के अलावा रोजगार के तमाम मौके हैं। मगर, हाल के दिनों में बॉलीवुड की कई यूनियनों ने यह आरोप लगाया है कि यहां भारतीय कामगारों के लिए नौकरी के अवसर घटे हैं। बॉलीवुड यूनियन इसके लिए विदेशियों को जिम्मेदार ठहरा रही हैं।

वैध वीजा परमिट नहीं?

फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) का ऐसा आरोप है कि हाल के दिनों में बॉलीवुड फिल्म की मेकिंग में विदेशी कलाकारों और तकनीशियनों को काम पर रखने का रिवाज काफी बढ़ा है। इस चक्कर में विदेशियों को तो काम मिल रहा है, लेकिन उनके भारतीय समकक्षों को काम का टोटा पडऩे लगा है। फिल्म यूनियन लीडर्स का कहना है कि यह खतरा वास्तविक है। बॉलीवुड यूनियन इसके लिए मुंबई पुलिस की निष्क्रियता और वीजा मानदंडों के उल्लंघन को जिम्मेदार बता रही हैं। फिल्म यूनियनों का दावा है कि बॉलीवुड में काम करने वाले कई विदेशियों के पास वैध वर्क परमिट तक नहीं है और मुंबई पुलिस मुश्किल ही कोई कार्यवाई करती है।

इन क्षेत्रों में मिल रहे विदेशियों को मौके

रिपोट्र्स के मुताबिक भारतीय फिल्म उद्योग में सिनेमैटोग्राफी, डायरेक्शन, प्रोडक्शन, स्क्रिप्ट राइटिंग, जूनियर आर्टिस्ट और डांसिंग के क्षेत्र में विदेशी प्रतिभाओं की तेजी से भर्ती हो रही है। वहीं, फिल्म कर्मचारियों की यूनियनों का भी दावा है कि बॉलीवुड में बड़ी संख्या में विदेशियों को जूनियर आर्टिस्ट, मेकअप आर्टिस्ट, हेयर स्टाइलिस्ट, डांसर, एक्शन डायरेक्टर, स्टंटमैन, कॉस्ट्यूम डिजाइनर, आर्ट डायरेक्टर और तकनीशियन के रूप में काम पर रखा जा रहा है। यूनियन का कहना है कि इस बात पर इंडस्ट्री खुश हो सकती है कि यहां अलग-अलग प्रतिभा काम कर रही हैं। लेकिन, यूनियन का नजरिया अलग है। सवाल है कि जिस तरह पाकिस्तानी अभिनेताओं और तकनीशियनों को भारतीय फिल्म उद्योग में काम करने की अनुमति नहीं है, उसी तरह बाकी विदेशी कर्मचारियों को भी प्रतिबंधित क्यों नहीं किया जा रहा?

पुलिस ने नहीं लिया एक्शन

फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) के चेयरमैन अशोक दुबे का कहना है कि वे विदेशी क्रू को काम पर रखने की अनुमति नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि विदेशियों की हायरिंग प्रोड्यूसर्स के जरिए होती है। दुर्भाग्य से, हमारे लोग रोजगार के मौके खो रहे हैं। उनका दावा है कि भारतीय फिल्म उद्योग में 90 प्रतिशत विदेशी काम कर रहे हैं। वह भी बिना किसी कागजी और कानूनी कार्यवाही के और बिना वर्क परमिट के काम पर रखे गए हैं। उन्होंने कहना है कि प्रोड्यूसर्स और कॉर्डिनेटर्स को इस विषय पर चर्चा तक नहीं करते हैं। एफडब्ल्यूआईसीई का कहना है कि विदेशियों के गैर कानूनी रूप से फिल्म इंडस्ट्री में काम करने को लेकर हमने कई बार पुलिस से शिकायत की है। मगर, उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया और न ही कोई एक्शन लिया। उनका कहना है कि करीब तीन लाख कर्मचारी एफडब्ल्यूआईसीई के सदस्य हैं। हम उनके अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। हालांकि, बॉलीवुड, टॉलीवुड व अन्य क्षेत्रीय सिनेमाओं में कितने विदेशी काम कर रहे हैं, इसकी यूनियन के पास कोई सटीक जानकारी नहीं है। मगर, उनका कहना है कि विदेशी टूरिस्ट वीजा पर ही गैरकानूनी रूप से इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। यह भारतीय क्रू, मेकअप आर्टिस्ट और तकनीशियन के साथ नाइंसाफी है।

सीसीआई ने दिया था एफडब्ल्यूआईसीई को जवाब

वैसे, एफडब्ल्यूआईसीई की ओर से विदेशियों को इंडस्ट्री में काम पर रखने की बात काफी समय से उठती रही है। वर्ष 2020 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने एफडब्ल्यूआईसीई से एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि वे निर्माताओं को इस बात के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं कि वे सिर्फ भारतीयों को ही काम पर रखें।

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