गुलाम नबी के 10 आरोप

गुलाम नबी
गुलाम नबी

मीडिया के सामने सरकारी अध्यादेश को राहुल द्वारा फाड़ देने को बताया बचकानी हरकत

पार्टी के अंदर बड़े पैमाने पर धांधली के लिए कांग्रेस नेतृत्व को ठहराया जिम्मेदार

नई दिल्ली। कांगे्रस के मजबूत पिलर कहे जाने वाले वरिष्ठ नेता नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। कई पन्नों के भेजे गए इस्तीफे मेंं गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी से पार्टी की बर्बादी के कारण और मीडिया के सामने सरकारी अध्यादेश को राहुल द्वारा फाड़ देने का जिक्र करते हुए बचकानी हरकत करार दिया है। पढ़ें गुलाम नबी के 5 पेज के इस पत्र की मुख्य 10 बातें।

राहुल गांधी ने पार्टी ध्वस्त कर दी

पार्टी के अंदर सलाह-मशविरे की जो व्यवस्था मौजूद थी, वह दुर्भाग्य से राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री और खासकर जनवरी 2013 में उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने ही ध्वस्त कर दी। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेता दरकिनार कर दिए गए। गैर-तजुर्बेकार चापलूसों के नए गुट ने पार्टी को चलाना शुरू कर दिया।

अपरिपक्वता राहुल

अपरिपक्वता का सबसे बड़ा उदाहरण है राहुल गांधी द्वारा मीडिया के सामने एक सरकारी अध्यादेश को फाड़ देना। इस अध्यादेश की अवधारणा कांग्रेस कोर ग्रुप की थी, केंद्रीय कैबिनेट ने इसे पारित किया था। इस बचकाने व्यवहार से प्रधानमंत्री और सरकार की स्थिति कमजोर हुई।

2019 के बाद कांग्रेस की स्थिति बदतर हुई

2019 के बाद कांग्रेस की स्थिति बदतर हुई है। राहुल गांधी ने आवेश में इस्तीफा तो दे दिया, लेकिन इससे पहले वे वर्किंग कमेटी की बैठक में शामिल उन सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों का अपमान करना नहीं भूले, जिन्होंने पार्टी के लिए अपना जीवन खपा दिया।

अनुशासनहीनता करने वालों का राहुल गांधी ने अभिनंदन किया

कांग्रेस को चलाने वाले गुट के निर्देश पर जम्मू में मेरे नाम की सांकेतिक शवयात्रा ही निकाल दी गई। ऐसी अनुशासनहीनता करने वालों का दिल्ली में राहुल गांधी ने भी निजी तौर पर अभिनंदन किया। उसी गुट ने कपिल सिब्बल के घर पर हमला करने के लिए गुंडे भेजे, जबकि सिब्बल तो आपकी कथित लापरवाहियों की वजह से आपके और आपके बेटे की अदालत में पैरवी कर रहे थे।

राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस दो लोकसभा चुनाव हार गई

2014 के बाद आपके और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस दो लोकसभा चुनाव हार गई। 2014 से 2022 तक 49 में से 39 विधानसभा चुनाव भी हार गई। आज कांग्रेस सिर्फ दो राज्यों में सत्ता में है, दो अन्य राज्यों में गठबंधन के साथ सरकार चला रही है।

अब बदलाव संभव नहीं

दुर्भाग्य से कांग्रेस ऐसी स्थिति में पहुंच चुकी है कि अब बदलाव संभव नहीं है। पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए छद्म नेता बनाए जा रहे हैं। यह प्रयोग विफल ही होना है क्योंकि जो चुने जाएंगे, वे कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं होंगे।

पार्टी का नेतृत्व एक गैर-गंभीर व्यक्ति के हाथ में

कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को और राज्य स्तर पर क्षेत्रीय दलों को अपनी जगह दे दी है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पिछले आठ साल से पार्टी का नेतृत्व एक गैर-गंभीर व्यक्ति के हाथ में रहा।

भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस जोड़ो यात्रा करनी चाहिए थी

पार्टी नेतृत्व को भारत जोड़ो यात्रा करने से पहले तो देशभर में कांग्रेस जोड़ो यात्रा करनी चाहिए थी। कांग्रेस के अंदर अब उसे चलाने वाले एक गुट को संरक्षण प्राप्त है। इसी गुट की वजह से कांग्रेस भारत के लिए क्या सही है, इसके लिए लडऩे की इच्छाशक्ति और क्षमता खो चुकी है।

पार्टी के अंदर बड़े पैमाने पर धांधली

संगठन के चुनाव कराने की पूरी प्रक्रिया तमाशा और ढोंग है। 24 अकबर रोड पर बैठा एक गुट सूचियों पर दस्तखत करवा रहा है। पार्टी के अंदर बड़े पैमाने पर हो रही धांधली के लिए कांग्रेस नेतृत्व ही पूरी तरह जिम्मेदार है।

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