राजस्थानी मूल के 17 वर्षीय निखिल मेहता बने युवाओं के लिए प्रेरणा

कोरोना काल में ऑक्सीजन ऑन व्हील के माध्यम से कर रहे हैं राजस्थान में मानीवय सेवा

जोधपुर। अमेरिका में अध्यनरत राजस्थानी मूल के 17 वर्षीय छात्र निखिल मेहता ने अपने पुरखों की मातृभूमि राजस्थान के लिए अपने नाना के नेतृत्व में एक बहुत बड़ी मानवीय पहल की है। निखिल मेहता के आइडिये को उनके नाना कनक गोलिया ने साकार करने में बड़ी भूमिका निभाई। निखिल मेहता ने मरीजों को विशेष रूप से डिजाइन की गई वैन के अंदर ऑक्सीजन सहायता प्रदान करने के लिए ऑक्सीजन ऑन व्हील्स एक मुफ्त सेवा की शुरुआत की है। यह ऑक्सीजन वैन जोधपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में जगह जगह जाकर ऑक्सीजन दूत साबित हो रही हैं। सेवा और तकनीक के इस अनुपम उदाहरण से निखिल कई युवाओं के लिये प्रेरणा बनकर उभरे है। निखिल ने बताया कि मेरे इस आइडिये को मेरे नाना-नानी कनक गोलिया और प्रभा गोलिया ने परवान चढ़ाया। उन्होंने इस आइडिये को साकार कर मुझे आर्शीवाद के रूप में प्रदान किया।

24-72 घंटों के भीतर साकार हुआ सपना

निखिल मेहता कहते हैं कि 24 से 72 घंटों के भीतर एक टीमऔर हर तरफ से मिले सहयोग की बदौलत हम यह सेवा कार्य करने में सफल हो पाए और ऑक्सीजन ऑन व्हील्स सेवा को धरातल पर उतार पाए। निखिल ने बताया कि कोविडकी दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन की कमी की खबरें सुनकर मन बहुत विचलित हुआ।

ऑक्सीजन की कमी को कैसे पूरा किया जाए इसको लेकर मेरे दिमाग में एक आइडिया आया जिसे मैंने अपने नाना से शेयर किया तो उन्होंने मुझे पूरा सहयोग किया ओर इस कार्य को अंतिम रूप देने का वादा किया। इसके बाद मेरे अंकल प्रेम भंडारी जी भी साथ आए और अपना आर्शीवाद देकर इसे हकीकत में बदल दिया।

सेवा के संस्कार विरासत में मिले

निखिल अपने नाना नानी कनक और प्रभा गोलिया के परोपकारी कार्यों को देखकर बड़े हुए हैं और अपने जीवन में भी ऐसा करने के लिए गहराई से प्रेरित हुए हैं। उनका अपना गैरलाभकारी संगठन ब्लॉसम चैरिटी है, जिसका मिशन दूसरों की ज़रूरत में मदद करना है। इतनी कम उम्र में, वह वंचितों को शिक्षित करने में मदद करने के लिए धन जुटा रहे हैं। उन्होंने दिल्ली में झुग्गी बस्तियों की मदद के लिए एक टीम का गठन किया है। वह उन बच्चों के लिए आशा किरण है जो कोविड में बिल्कुल नाउम्मीद हो चुके थे। उन्होंने बच्चों को कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने हेतु शिक्षित करने के लिए एक कोविड-19 से जागरुक कर रही है।

कैसे आया यह विचार

कोविड-19 महामारी के दौरान, निखिल ने महसूस किया कि इस भयावह महामारी ने अमेरिका को कैसे प्रभावित किया है। वह पूरे साल अपने भाई और बहन के साथ घर पर रहे, स्कूल नहीं जा सके। वह अपने दादा-दादी से भी नहीं मिल पाए, जो इंदौर में रहते हैं और दो साल से अधिक समय से उन्हें नहीं देख पाए हैं। इसके अलावा, हाल ही में निखिल ने अपने चाचा- डॉ अजय लोढ़ा का कोविड-19 से स्वर्गवास देखा, जिससे वह काफी विचलित हो गए। निखिल बताते हैं कि भारत में कोविडकी स्थिति को देखकर बहुत भावुक हो गया था और इस पर ऑक्सीजन की कमी ने मुझे अपनी पुरखों की मातृभूमि के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और गांवों में लोगों की पीड़ा देखकर मैं सांस नहीं ले पा रहा था। अस्पतालों में बीमारों की लंबी कतारें और ऑक्सीजन कमी के चलते हांफते हुए कई लोगों की तस्वीरें देखकर ऑक्सीजन ऑन व्हील्सलाने की प्रेरणा मिली।

सीएम अशोक गहलोत से शेयर किये अपने अनुभव

निखिल को अपनी इस पहल के बारे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से वर्चुअल संवाद के जरिये बातचीत का मौका मिला। उन्होंने सीएम अशोक गहलोत के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि ऑक्सीजन ऑन व्हील्स कार्यक्रम को पूरे राजस्थान राज्य में पहुँचाया जाये। उन्होंने पूरे ग्रामीण गांवों में एक एम्बुलेंस प्रणाली बनाने के लिए अपनी भविष्य की परियोजना पर भी चर्चा की, जहां लोगों को स्वास्थ्य देखभाल के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता है। निखिल का लक्ष्य बेहतर चिकित्सा से वधित ग्रामीणों को हैल्थकेयर के क्षेत्र में बेहतर सेवा उपलब्ध करवाना है।

उपलब्धियां और हॉबी

निखिल मेहता एक 17 वर्षीय युवा हैं जो वर्तमान में स्मिथटाउन हाई स्कूल ईस्ट, लॉन्ग आइलैंड, न्यूयॉर्क में अध्यनरत हैं। उन्हें सामुदायिक सेवा के प्रति समर्पण के लिए उन्हें सफोक काउंटी के कार्यकारी स्टीव बेलोन द्वारा सम्मानित किया गया। उन्हें 2020 में सर्वोच्च राष्ट्रपति स्वयंसेवी सेवा पुरस्कार मिला। निखिल को भारतीय वाणिज्य दूतावास में सहानुभूति और दया भाव का महत्व-आज के युवाओं के लिए जागरुकता बढ़ाना के बारे में बोलने का प्रतिष्ठित अवसर मिल चुका है। 4.55 जीपीए बनाए रखते हुए.एपी स्कॉलर विद ऑनर अवार्ड प्राप्त कर चुके है, और नेशनल ऑनर सोसाइटी का हिस्सा है। स्कूल में, वह लिंक्ड एल्डरली आउटरीच प्रोग्राम के निदेशक हैं, जो कोविड 19 के दौरान बुजुर्गों के अलगाव को दूर करने के लिए समर्पित एक कार्य है और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित लेखक हैं। उन्हें खाना बनाना बहुत पसंद हैं और वायलिन पर एक मध्यम धुन बजाने में माहिर हैं। उनका लक्ष्य अपनी पीढ़ी को मानवीय कार्यों में भाग लेने और सहानुभूति बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है।