
जयपुर। डर्माकॉन नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीसरे दिन डर्माकॉन नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सत्रों में एसटीडी एंड एचआईवी, हाइपर पिग्मैंटेशन, लाइट और लेसर, हेअर डाई ,सौंदर्य प्रसाधन और त्वचा की देखभाल पर चर्चा हुई, इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स, वेनेरियोलॉजिस्ट्स और लेप्रोलॉजिस्ट्स (IADVL) 53वें राष्ट्रीय सम्मेलन डर्माकॉन2025 का आयोजन कर रहा है। आयोजन के अध्यक्ष, डॉ. यू. एस. अग्रवाल ने बताया की डर्माकॉन नेशनल कॉन्फ्रेंस में चर्म रोगो पर वैज्ञानिक पद्धति पर 29 सत्र आयोजित हुए जिस में डॉ जनक मनिआर ने एचआईवी सत्र में एचआईवी एड्स परिदृश्य पर चर्चा की और उस से होने वाले दुष्परिणामो के बारे में बताया। उन्होंने बताया की 2023 तक दुनिया भर में लगभग 39.9 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे है।

एचआईवी भारत में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी महामारी है, इस महामारी से भारत में लगभग 2.5 मिलियन लोग 2023 तक प्रभावित है। एचआईवी के साथ जी रही गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में से अधिकांश (85%) ने एआरटी थेरेपी की मदद से एचआईवी संक्रमण में रोक लगी है हायपर पिग्मैंटेशन,लाइट और लेसर, हेअर डाई सौंदर्य प्रसाधन और त्वचा की देखभाल पर चर्चा हुई। आयोजन के सचिव डॉ. दीपक के. माथुर, कोषाध्यक्ष डॉ. विजय पालीवाल ,वैज्ञानिक समिति के अध्यक्ष डॉ असित मित्तल ने बताया की इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स, वेनेरियोलॉजिस्ट्स और लेप्रोलॉजिस्ट्स (IADVL) 53वें राष्ट्रीय सम्मेलन डर्माकॉन2025 का आयोजन कर रहा है 600 से अधिक भारतीय विशेषज्ञ और 21 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अपने अनुभव साझा कर रहे है।
हेयर डाई के प्रतिकूल प्रभावों पर डॉ.कार्तिकेयन द्वारा डर्माकॉन नेशनल कॉन्फ्रेंस में सिस्टोपिक व्याख्यान पर चर्चा की गई जिस में उन्होंने – हेयर कलर के बारे में बताया की त्वचा पर हेयर डाई से एलर्जी और उपचार दोनों ही महत्वपूर्ण है क्योकि हेयर कलर में फेनिलनेडियमाइन, रेसोर्सिनोल,अमीनोफेनॉल, 2,4-डायमिनोफेनोक्सीएथेनॉल,अमीनोफेनॉल,4-अमीनो-2-हाइड्रॉक्सीटोल्यूइन, N,N-बिस (2-हाइड्रॉक्सीएथिल) फेनिलनेडियमाइन सल्फेट,फेनिल मिथाइल पाइराज़ोलोन,टोल्यूनि-2,5-डायमाइन,2-मिथाइल-एस-हाइड्रॉक्सीएथिलैमिनोफेनॉल इन सब से हमारी स्किन को फायदा और नुकसान दोनों हो सकते है। हेयर डाई कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस को कम करने की रणनीतियाँ:- कम समय के लिए ही हेयर डाई का उपयोग करे,हेयर डाई हमेशा नेचुरल वाली ही उपयोग में ले। हेयर फ़ॉइल या हाइलाइट कैप का उपयोग करें।

बालो को अच्छी तरह से धोएँ। स्किन पर फैलने से रोकने के लिए तेलिये पदार्थ का उपयोग करें। हल्के रंगों का उपयोग करें और कम बार रंगाई करें। अलग-अलग हेयर डाई उत्पादों को कभी भी मिश्रित नहीं करना चाहिए। उचित दस्ताने के और एमोलिएंट को उपयोग में ले। डॉ. टी निरुपमा के द्वारा मुँहासे के बारे में सत्र में विशेषज्ञ सलाह साझा की उन्होंने बताया की सौंदर्य प्रसाधन और त्वचा की देखभाल में हमें हमेशा सावधानीपूर्वक हमरी त्वचा के हिसाब से ही सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग करना चाहिए। चहरे पर कठोर स्क्रेब का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योकि हमारे चहरे पर रोम छीदर होते ह वो मेकअप के कारण बंद हो जाते है इस लिए हमेशा हल्का और ब्रांडेड सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग करे। मुँहासे वाली त्वचा की देखभाल कैसे करें: विशेषज्ञ द्वारा अनुमोदित सुझाव:-किसी भी मेकअप के साथ न सोएं कठोर स्क्रब से बचें
मॉइस्चराइज़ेशन,मुँहासे वाली त्वचा के लिए स्किनकेयर टिप्स तेल मुक्त, गैर कॉमेडोजेनिक जेल आधारित, हल्के वजन वाले त्वचा देखभाल उत्पाद,मेकअप एप्लीकेटर को नियमित रूप से साफ करे। हेयर ऑयल और अल्कोहल आधारित उत्पादों से बचें। एटोपिक डर्माटाइटिस का प्रबंधन: डॉ. रोनी डोडियुक ने विशेषज्ञ सलाह देते हुए बताया की पर्यावरण में हो रहे बदलाव के कारण स्किन डिजीज बच्चो में और बुजर्गो में ज्यादा देखने को मिल रही है। बढ़ते हुए टेम्प्रेचर के कारण भी स्किन की बीमारिया देखने को मिलरही है जिस में मरीज की स्किन पर लाल चकते बन जाते है या फिर खुजली चलने लग जाती है यह एक पर्यावरणीय कारक एटोपिक डर्माटाइटिस रोग है जिस के ऊपर अभी वैज्ञानिक शोध कर रहे है उच्च जोखिम वाले शिशुओं में एटोपिक डर्माटाइटिस के विकास को रोकने के लिए एमोलिएंट का उपयोग शुरू में ही लाभप्रद है ।
पिगमेंटरी डिसऑर्डर को समझना: डॉ. गौरी महाबल और डॉ. पूजा अग्रवाल द्वारा एक सत्र में बताया गया की स्किन पर काले धब्बे पड़ जाना जिनकी वजह से हमारी स्किन की जो नेचुरल सुंदरता है वह नहीं दिखती है। मरीज को हमेशा हाइपरपिग्मेंटेशन में ये सावधानिया रखनी चाहिए चहरे पर घर्षण से बचना चाहिए ,तेज रौशनी से बचाव ,जीवनशैली में बदलाव,टॉपिकल रेटिनोइड्स,टॉपिकल जीए और अपने खान पान में नूट्रीसियन का उपयोग करे।