
जयपुर
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने इस साल प्रदेश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए इस साल 424 अभियोग पंजीबद्ध किए गए हैं, जो पिछले साल की तुलना में 52 अधिक हैं। एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने मंगलवार को झालाना सांस्थानिक क्षेत्र स्थित एसीबी मुख्यालय में नववर्ष की पूर्व संध्या पर एसीबी की कार्रवाई के संबंध में वर्षभर के आंकड़ों पर जानकारी दी। डीजी आलोक त्रिपाठी ने 1 जनवरी से 31 दिसम्बर 2019 की अवधि में भ्रष्टाचार के खिलाफ 424 अभियोग पंजीबद्ध किए गए हैं। पिछले साल 372 प्रकरण दर्ज किए गए थे। डीजी त्रिपाठी ने बताया कि अधिकारियों-कर्मचारियों की ओर से रिश्वत की राशि लेने या रिश्वत मांगने के संबंध में 309 प्रकरण दर्ज हुए हैं, जिनमें 61 राजपत्रित अधिकारी और 248 अराजपत्रित अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने से संबंधित आरोप पर 27 अभियोग पंजीबद्ध हुए हैं। पद के दुरूपयोग करने से संबंधित आरोप पर 88 प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं।
238 प्रकरणों में चालान एवं 98 प्रकरणों में एफआर:
डीजी त्रिपाठी ने बताया कि पूरे साल में 238 प्रकरणों में दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध चालान एवं 98 प्रकरणों में अंतिम प्रतिवेदन (एफआर) न्यायालय में प्रस्तुत किए गए। इसी प्रकार वर्ष में 14 प्राथमिक जांच दर्ज की गई एवं पूर्व के वर्षों में दर्ज प्राथमिक जांचों सहित कुल 50 प्राथमिक जांचों का निस्तारण किया गया। एसीबी डीजी त्रिपाठी ने विभागवार दर्ज प्रकरणों की जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस विभाग से संबंधित सबसे ज्यादा 90 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए जिनमें 87 अराजपत्रित कार्मिक हैं। इसी प्रकार राजस्व विभाग के 53, पंचायत राज के 30, ऊर्जा विभाग के 19, शिक्षा विभाग के 14, नगरीय विकास एवं स्थानीय निकाय के 12, चिकित्सा विभाग के 10 अधिकारी-कार्मिकों के खिलाफ प्रकरण पंजिबद्ध किए गए हैं। अन्य विभागों से संबंधित 81 प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
शिक्षा विभाग में अधिकतर प्रकरण राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ दर्ज
एडीजी सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि ज्यादातर विभागों में राजपत्रित अधिकारियों के बजाय अराजपत्रित अधिकारी-कार्मिकों के खिलाफ अधिक प्रकरण दर्ज हुए हैं, लेकिन शिक्षा विभाग में अधिकतर प्रकरण राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुए हैं। शिक्षा विभाग में 9 प्रकरण राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुए हैं। जबकि, अराजपत्रित अधिकारी-कार्मिकों के खिलाफ केवल पांच प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं। इसी प्रकार चिकित्सा विभाग में राजपत्रित एवं अराजपत्रित अधिकारी-कार्मिकों के खिलाफ बराबर पांच-पांच प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं। नगरीय विकास एवं स्थानीय निकाय विभाग में सभी प्रकरण अराजपत्रित अधिकारी-कार्मिकों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं।
रंगे हाथ पकड़े गए रिश्वतखोरों से डेढ़ करोड़ से ज्यादा की रकम बरामद
एडीजी सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि एसीबी ने इस साल ट्रैप के 309 प्रकरण दर्ज करते हुए रिश्वतखोरों से एक करोड़ 58 लाख 60 हजार रूपए की रिश्वत राशि बरामद की। इस दौरान आय से अधिक सम्पत्ति के प्रकरणों में कुल 83 करोड़ 48 लाख 82 हजार रूपए के संबंध में जांच की जा रही है। इनमें 14 प्रकरण राजपत्रित अधिकारी एवं 13 प्रकरण अराजपत्रित अधिकारियों-कर्मचारियों के विरूद्ध दर्ज किए गए हैं। सालभर में 312 व्यक्तियों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया। इनमें 48 राजपत्रित अधिकारी तथा 264 अराजपत्रित एवं प्राईवेट व्यक्ति हैं।
दो दर्जन से ज्यादा महिलाओं के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए
एसीबी ने भ्रष्टाचार रोकने की मुहिम में दो दर्जन से ज्यादा महिलाओं के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए हैं। इस साल 280 प्रकरण पुरूषों एवं 27 प्रकरण महिलाओं के विरूद्ध रिश्वत मांगने एवं प्राप्त करने के दर्ज किए गए।
282 प्रकरण निस्तारित, 142 प्रकरणों में हुई सजा
डीजी त्रिपाठी ने अभियोजन से संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि कुल 282 प्रकरण निस्तारित किए गए हैं। न्यायालय के माध्यम से 142 प्रकरणों में सजा हुई है जो 54.40 फीसदी है। उन्होंने बताया कि ट्रैप में 124, पद के दुरूपयोग में 13 एवं आय से अधिक संपत्ति के पांच प्रकरणों में सजा हुई है। इसी प्रकार 119 प्रकरणों में आरोपी बरी हुए हैं। ट्रैप में 93, पद के दुरूपयोग में 18 एवं आय से अधिक संपत्ति के आठ प्रकरणों में आरोपी बरी हुए हैं। आरोपगणों की मृत्यु की वजह से 21 प्रकरण ड्रोप किए गए हैं।