राजस्थान स्किल्स समिट का चतुर्थ संस्करण

  • फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल द्वारा तथा राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) के सहयोग से आयोजित
  • फ्यूचर ऑफ जॉब्स एंड इंटरनेशनल पर्सपेक्टिव’ पर प्लेनरी सैशन
  • राज्य सरकार ने रोजगार सृजन, आत्मनिर्भरता व पिछड़ा वर्ग के कौशल विकास के लिए बनाई नई योजनाएं

जयपुर। ‘राज्य सरकार द्वारा तीन नई योजनाओं- ‘सक्षम’, ‘समर्थ’ और ‘राज क्विक’ की शुरूआत की गई है। इनमें ‘सक्षम’ योजना का उद्देश्य व्यक्तिगत आत्मनिर्भरता और रोजगार उत्पन्न करने वाला बनाना है। ‘समर्थ’ योजना पिछड़ा वर्ग तथा समाज के ट्रांसजेंडर व भिखारियों जैसे कमजोर वर्गों के लिए कौशल विकास के लिए है। इसी प्रकार ‘राज क्विक’ योजना रोजगार सृजन पर केंद्रित है।

ये सुनिश्चित करती हैं कि जो लोग कुशल हैं, उन्हें न्यूनतम तीन महीने तक काम करने का अवसर भी दिया जाता है। ये योजनाएं राजस्थान के मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत द्वारा पहले ही शुरू की जा चुकी हैं। इनके तहत कल से वेबसाइट और समाचार पत्रों के जरिए प्रशिक्षण भागीदारों को आमंत्रित किया जाएगा’। श्रम, कौशल, रोजगार और उद्यमिता के सचिव तथा राजस्थान सरकार के राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) के चेयरमेन, डॉ. नीरज के पवन ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने राजस्थान स्किल्स समिट के चतुर्थ संस्करण के उद्घाटन सत्र में विशेष भाषण दिया। यह समिट फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल द्वारा तथा राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) के सहयोग से आयोजित की गई। फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल के प्रमुख, अतुल शर्मा द्वारा उद्घाटन सत्र का संचालन किया गया।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की चीफ प्रोग्राम ऑफिसर, वंदना भटनागर ने कहा कि कौशल एजेंडा में विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की रुचि और सहभागिता में काफी तेजी से वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय सरकार के कार्यक्रमों के तहत राज्य एवं स्थानीय सरकारों की अधिक भागीदारी की आवश्यकता है।

थीम प्रेजेंटेशन देते हुए ई एंड वाय के पार्टनर, अमित वात्स्यायन ने कहा कि कोविड के बाद भविष्य के कार्यों को रुझानों द्वारा संचालित किया जाएगा जैसे – रिमोट वर्किंग में वृद्धि, लचीलेपन के लिए डिजाइनिंग की दक्षता के लिए डिजाइनिंग से गुजरना, कार्य करने वालों का विस्तार आदि। कोविड-19 की मंदी के बाद तकनीक को अपनाने की गति श्रमिकों के लिए दोहरे नुकसान की स्थिति उत्पन्न कर रही है।

फिक्की के महासचिव, दिलीप चेनॉय ने कहा कि भारत में नौकरियों के भविष्य को बढ़ाने के लिए इस पर गौर करने की जरूरत है कि विभिन्न रोजगार योग्य आयु समूहों में विविध श्रेणियों के लिए क्या किया जा सकता है। विश्व को एक अवसर के रूप में देखें। एक सक्षम प्रणाली के साथ सहयोगात्मक प्रयास करें और काम करने में गर्व की भावना रखे।

इससे पूर्व स्वागत भाषण देते हुए फिक्की राजस्थान उप-समिति के चेयरमेन और होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड के वाइस प्रेसीडेंट, सुनील कुमार यादव ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बनाने का भी आह्वान करता है। इसे विनिर्माण प्रतिस्पर्धा, आयात प्रतिस्थापन, वैल्यू फॉर मनी जैसे कई उपवर्ग मिले हैं। लेकिन ये सभी तब तक हासिल नहीं किए जा सकते, जब तक हमारे पास अपेक्षित कौशल वाले लोग उपलब्ध न हों।

एमएसएमई की उप-समिति के चेयरमेन और द एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के प्रेसीडेंट, एन के जैन द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

उद्घाटन सत्र के बाद, दो प्लेनरी सैशन आयोजित किए गए। पहला सैशन ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्सः रोल ऑफ सेक्टर स्किल काउंसिल्स’ विषय पर था। इसमें वैल्यू एडिशन के लिए स्किलिंग, अपस्किलिंग एवं रिस्किलिंग; कोविड के बाद स्किलिंग इकोसिस्टम; गुणवत्तापूर्ण कौशल के लिए प्रशिक्षुता तथा कौशल प्रषिक्षण एवं तकनीकी परिवर्तन जैसे विषयों पर चर्चा की गई। दूसरा प्लेनरी सैशन ‘इंटरनेशनल पर्सपेक्टिव’ विषय पर था। इसमें कुशल कार्यबल और अंतर्राष्ट्रीय मानक, वैश्विक मांग, क्षेत्र व बेहतरीन कार्यप्रथाओं पर चर्चा की गई।