
रूस का S-400 एयर डिफेंस सिस्टम अमेरिका के लिए बड़ी परेशानी बन गया है। भारत और चीन समेत पांच देशों ने इसे खरीदा है। तुर्की नाटो में शामिल है। उसने जब S-400 खरीदा तो अमेरिका ने उस पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए। भारत ने जब 2018 में रूस से S-400 की चार रेजिमेंट्स की डील की थी, तब अमेरिका ने इस पर नाराजगी जताई थी। लेकिन, इससे ज्यादा वह कुछ नहीं कर पाया, क्योंकि भारत ने साफ कर दिया था कि वह अपनी रक्षा जरूरतों को हर कीमत पर पूरा करेगा।
5.43 अरब डॉलर की इस डील के लिए भारत एडवांस पेमेंट भी कर चुका है। इसकी पहली खेप भारत को अगले साल अगस्त तक मिल सकती है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के सीनियर रिसर्चर सिमॉन वाइजमैन ने ‘अलजजीरा’ से कहा- इस एयर डिफेंस सिस्टम का कोई मुकाबला नहीं। अमेरिका के पास भी इतना एडवांस्ड सिस्टम नहीं है। लेकिन, यह भी सच है कि हर देश इसे नहीं खरीद सकता। क्योंकि, S-400 बेहद महंगा है। इसके राडार 600 किलोमीटर की दूरी तक सर्विलांस (निगरानी) कर सकते हैं। इसकी मिसाइलें 400 किलोमीटर दूर तक टारगेट को मार गिराएंगी। यह ऑल इन वन एयर डिफेंस सिस्टम है।

एक अमेरिकी रिसर्चर के मुताबिक- चीन के लिए यह सिस्टम उतना उपयोगी नहीं है, जितना भारत के लिए। भारत बहुत आसानी से इसका इस्तेमाल अपने मैदानी इलाकों से चीन पर निशाना साधने के लिए कर सकता है। पाकिस्तान सीमा पर तो S-400 बेहद कारगर साबित होगा। यह लड़ाई का रुख ही बदल देगा। भारत और अमेरिका के बीच स्ट्रैटेजिक अलायंस है। चीन से दोनों देशों का टकराव है। अमेरिका आज के हालात में भारत को नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकता। दोनों देशों के बीच गुपचुप सहमति है।