राजपूत शिक्षा कोष से समाज की 55 प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मिल रहा है मौका

  • शादी समारोह, खुशी व परिवार जनों की स्मृति में शिक्षा नेक देने की अनूठी पहल
  • पूर्व आईएएस स्वर्गीय ओंकार सिंह बाबरा के शुरू किए कार्य को पूर्व राज्यसभा सांसद डॉक्टर माणकलाव व समाज के प्रबुद्ध जन आगे बढ़ा रहे हैं

जोधपुर। राजपूत समाज के कुछ प्रबुद्ध जनों द्वारा समाज के आर्थिक दृष्टि से कमजोर, जरूरतमंद प्रतिभाओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए सामाजिक सोच को लेकर स्थापित राजपूत शिक्षा कोश से आज समाज के अनेक बालक-बालिकाओं को आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। राजपूत शिक्षा कोष के सहयोग से इनका भविष्य सुरक्षित हो रहा है ।

पूर्व आईएएस स्वर्गीय ओंकार सिंह बाबरा के कार्यों को डॉ माणकलाव व प्रबुद्ध जन आगे बढ़ा रहे हैं – 4 वर्ष पूर्व पूर्व आईएएस स्वर्गीय ओंकार सिंह बाबरा के संरक्षण में यह विचार आया कि समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े बालक-बालिकाओं को शिक्षा अर्जन के लिए सहयोग करने के लिए राजपूत शिक्षा कोष स्थापित किया जावे व समाज के कुछ प्रबुद्ध जनों को इसमें जोड़ा गया। स्वर्गीय बाबरा के स्थापित इस सामाजिक उत्थान के कार्य को पूर्व राज्यसभा सांसद पद्मश्री, पद्म भूषण व अफीम मुक्ति आंदोलन के प्रणेता डॉ नारायण सिंह माणकलाव समाज के प्रबुद्ध जनों के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।

10 करोड का कोष स्थापित करने का लक्ष्य – डॉक्टर माणकलाव ने बताया कि राजपूत शिक्षा कोष के लिए 10 करोड का स्थाई कोष समाज के सभी लोगों से सहयोग के लिए स्थापित किया गया है, इसमें कोष के मूलधन को बिना छेड़े केवल ब्याज व लाभांश से छात्रवृत्ति आदि दी जा रही है साथ ही समाज के अन्य सक्षम व्यक्तियों व संस्थाओं द्वारा भी बालक-बालिकाओं को अध्ययन के लिए सहयोग किया जा रहा है। डॉ माणकलाव ने बताया कि इस कोष में अब तक 1 करोड से अधिक राशि समाज बंधुओं द्वारा सहयोग स्वरूप प्राप्त हो चुकी है और आगे भी सिलसिला जारी है।

55 जरूरतमंद बालक बालिकाओं को अभी किया जा रहा है सहयोग – राजपूत शिक्षा कोष के माध्यम से जरूरतमंद प्रतिभावान बालक बालिकाओं को मारवाड़ में जिला स्तर पर प्रतिभा खोज परीक्षा आयोजन के माध्यम से चयन किया जाता है जिसमें एक लाख तक वार्षिक आय वाले परिवार जनों के बच्चों को मौका मिलता है। इसमें वर्तमान में 55 जरूरतमंद बालक बालिकाएं कक्षा 6 से 12 तक व आगे भी लाभान्वित हो रहे हैं। बालक बालिकाओं के रहने, स्कूल फीस व छात्रावास फीस राजपूत शिक्षा कोष द्वारा वहन की जा रही है। इसमें 25 बालक हनुवन्त छात्रावास, 6 बालिकाएं के स्थित छात्रावास वे 5 बालिकाएं अपने घर पर ही रहकर विद्यालय में अध्ययन कर रही है, एक दिव्यांग बालिका सुचेता कृपलानी विद्यालय माणकलाव, एक बालिका गोटन के विद्यालय में अध्ययन कर रही है। दो बालिकाएं एमबीबीएस कर रही है जिनमें लोकेंद्र शेखावत तिरुपति से खेतड़ी ट्रस्ट के पृथ्वीराज सिंह खंडेला के सहयोग से व चूरू में नीतू कंवर किशोर सिंह सिलारी के सहयोग से एमबीबीएस कर रही है, इसके साथ ही डॉ भेरू सिंह माणकलाव के सहयोग से दिव्यांग बालिका बीएड कर रही है। छात्र तेजपाल सिंह आईआईटी की तैयारी राजपूत शिक्षा कोष के सहयोग से कर रहे हैं अन्य प्रतिभावान बच्चे जो 12वीं के बाद अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं उनको भी सहयोग किया जा रहा है।

राजपूत शिक्षा कोष के लिए यह टीम अलख जगा रही है – राजपूत शिक्षा कोष के माध्यम से समाज की जरूरतमंद प्रतिभाओं का भविष्य सुरक्षित करने पूर्व सांसद राज्यसभा डॉ नारायण सिंह माणकलाव के साथ संरक्षक मंडल में कर्नल शिवजी सिंह सेनणी, कर्नल उम्मेद सिंह गुणावटी, परामर्शदाता मंडल में पूर्व महाराजधिराज दलीप सिंह, पूर्व राजमाता जैसलमेर मुकुट राज्य लक्ष्मी, क्षत्रिय युवक संघ प्रमुख भगवान सिंह रोलसाबसर, भवानी सिंह पाल, रावत त्रिभुवन सिंह बाड़मेर, प्रहलाद सिंह पीह, पूर्व आईएएस करण सिंह बोरुंदा, पूर्व महानिदेशक मौसम विभाग डॉ लक्ष्मण सिंह राठौड़, पूर्व आईपीएस बहादुर सिंह राठौड़, चक्रवर्ती सिंह राखी, मारवाड़ राजपूत सभा अध्यक्ष हनुमान सिंह खांगटा एवं कार्यकारिणी समिति अध्यक्ष पूर्व चीफ इंजीनियर माधो सिंह राठौड़, उपाध्यक्ष प्रो. कल्याण सिंह शेखावत, कोषाध्यक्ष मनोहर सिंह कोरणा, सचिव व बिशन सिंह सोढा एवं कार्यालय सहयोगी शेषकरण सिंह गागूड़ा की टीम राजपूत शिक्षा कोष में सहयोग के लिए समाज बंधुओं से घर-घर जाकर समाज के आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभावान बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए आर्थिक सहयोग मांग रही है व समाज का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है। इस सहयोग में 80 जी की छूट भी मिली हुई है ।

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शादी समारोह, खुशी व परिजनों की स्मृति में “शिक्षा नेक” देने की अनूठी परंपरा बन रही है –डॉ माणकलाव ने बताया कि राजपूत शिक्षा कोष के माध्यम से एक अनूठी पहल शुरू की गई है। समाज के शादी ब्याह व अन्य खुशी के अवसरों पर काफी व्यय किया जाता है, इसको देखते हुए राजपूत शिक्षा कोष को मजबूत बनाने के लिए ऐसे समारोह के आयोजनकर्त्ताओं से समाज के प्रतिभावान बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए आयोजन के अवसर पर व्यय का आधा प्रतिशत या इच्छा अनुसार “शिक्षा नेक” के रूप में राशि देने का अनुरोध किया जा रहा है। 2 वर्ष पूर्व शुरू की गई इस अनूठी पहल व अभिनव प्रयास, जिसमें 1 वर्ष कोरोना काल का चला गया है, अब तक समाज की 25 से अधिक शादी विवाह में वर वधू पक्ष द्वारा “शिक्षा नेक” के रूप में आर्थिक सहयोग दिया गया है। उन्होंने बताया कि जहां भी शादी ब्याह में आमंत्रित किया जाता है, वहा “शिक्षा नेक” के लिए अनुरोध किया जाता है, इसका अच्छा परिणाम सामने आ रहा है, उन्होंने बताया कि इसके अलावा परिवार जनों द्वारा अपने परिजन की पुण्य स्मृति, अन्य कार्यक्रमों सगाई दस्तूरी, जन्मदिन समारोह व गृह प्रवेश में भी “शिक्षा नेक” के रूप में आर्थिक सहयोग किया जा रहा है।