
चित्तौड़गढ़। श्री साँवलियाजी मंदिर में नकदी, सोना चांदी अर्पित करने के साथ ही अफीम उत्पादक किसानो द्वारा भेट स्वरुप अफीम भी चढ़ाई जाती है। मंदिर मंडल द्वारा मासिक गढ़ना में इसे गुप्त रखा जाता था जिसे लेकर कुछ लोगो द्वारा भ्रान्तिया भी फैलाई जाती रही।
मंदिर मंडल द्वारा नारकोटिक्स विभाग से इस सम्बन्ध में पत्राचार किया जा रहा था। फलस्वरूप नरकोटिक्स विभाग की दो टीमों ने मंदिर पहुंचकर मंदिर प्रशासन के सहयोग से तहखाने में रखी अफीम को इलेक्ट्रॉनिक कांटे से तौला। करीब चार घंटे तक चली इस कार्रवाई के दौरान मंदिर के गर्भगृह के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी ताकि कोई भी व्यक्ति वहां न आ सके।
श्री सांवलियाजी मंदिर
राजस्थान के प्रसिद्ध कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में चढ़ावे के रूप में आने वाली 58 किलो 770 ग्राम अफीम को नारकोटिक्स विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया। इस कार्रवाई के दौरान राजस्थान के प्रतापगढ़ और मध्यप्रदेश के नीमच से आई केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की दो टीमों ने मंदिर प्रशासन की मौजूदगी में अफीम को जब्त किया।
ऐसे हुई कार्रवाई
श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रभा गौतम के अनुसार नारकोटिक्स विभाग की दो टीमों ने मंदिर पहुंचकर मंदिर प्रशासन के सहयोग से तहखाने में रखी अफीम को इलेक्ट्रॉनिक कांटे से तौला। करीब चार घंटे तक चली इस कार्रवाई के दौरान मंदिर के गर्भगृह के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी ताकि कोई भी व्यक्ति वहां न आ सके। इसके बाद जब्त की गई 58 किलो 770 ग्राम अफीम को कागजी औपचारिकताओं के साथ नारकोटिक्स विभाग ने अपने कब्जे में लिया। जानकारी के अनुसार, जब्त की गई अफीम को नीमच स्थित नारकोटिक्स विभाग के अफीम क्षारीय कारखाने में सौंपा जाएगा।
मंदिर में चढ़ावे के रूप में क्यों आती है अफीम
मेवाड़ और मालवा क्षेत्र के किसान अच्छी अफीम की उपज के लिए भगवान श्री सांवलियाजी से मन्नत मांगते हैं। जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो वे नकदी के साथ प्लास्टिक की थैलियों में थोड़ी-थोड़ी अफीम मंदिर के भंडार में अर्पित करते हैं। पहले यहां चरणामृत में भी अफीम मिलाने की परंपरा थी जिसे कुछ विशिष्ट श्रद्धालु ग्रहण करते थे। हालांकि, पिछले कुछ समय से अफीम के गलत इस्तेमाल की शिकायतें सामने आने के चलते मंदिर प्रशासन ने इसे रोकने के लिए कदम उठाए। अब मंदिर में आने वाली अफीम को सुरक्षित रूप से गर्भगृह के नीचे बने तहखाने में रखा जाने लगा था।
एक साल से चल रहा था पत्राचार, आखिरकार हुई कार्रवाई
मंदिर प्रशासन पिछले एक साल से नारकोटिक्स विभाग को पत्र लिखकर इस मामले में उचित कार्रवाई की मांग कर रहा था। लेकिन विभाग इसे धर्म और आस्था से जुड़ा मामला मानकर राजनीतिक दबाव के चलते कार्रवाई करने से बचता रहा।
हाल ही में एक आरटीआई कार्यकर्ता ने इस संबंध में नारकोटिक्स विभाग और सीबीआई के नारकोटिक्स विंग को पत्र लिखे। इसके बाद लगभग 15 दिन पहले नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी सांवलियाजी मंदिर पहुंचे और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ स्थल निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद टीम ने मंदिर में पहुंचकर अफीम को विभाग की टीम ने अपने कब्जे में ले ली।
अब हर महीने की जाएगी नियमित कार्रवाई
मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रभा गौतम ने बताया कि अब से हर महीने मंदिर में चढ़ावे के रूप में आने वाली अफीम को नारकोटिक्स अथवा पुलिस विभाग को सौंपने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इससे किसी भी प्रकार के गलत उपयोग को रोका जा सकेगा और प्रशासन की ओर से कानून का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। इस कार्रवाई के बाद से स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां कुछ लोग इसे मंदिर की परंपरा से छेड़छाड़ मान रहे हैं वहीं कई लोग इसे अफीम के गलत उपयोग को रोकने के लिए आवश्यक कदम बता रहे हैं।