8917. आपै परगट होवसी

  • भैरव डर किण बात रो, जो अपणै मन साच।
  • आपै परगट होवसी, ओ कंचन ओ कोच।

यदि अपने मन में सच्चाई हैं तो फिर डर किस बात का, फिर तो किसी बात का नहीं। कारण, तब तो अपने आप प्रकट हो जाएगा कि यह तो सोना है और यह कांच है।
एक दिन एक राजा ने अपने दरबारियों से पूछा कि मेरा राज्य (शासन) अच्छा है या मेरे बाप का राज्य अच्छा था अथवा मेरे दादा का राज्य अच्छा था? दरबारी इस बात का कोई उत्तर नहीं दे सके तो मंत्री ने निवेदन किया कि महाराज, इस बात का उत्तर पाने के लिए आप किसी ऐसे वृद्ध पुरूष को बुलवाइए जिसने तीनों राजाओं का राज्य प्रबंध देखा हो।

तुरंत ही खोज बीन शुरू हो गई और राजा के सेवक एक भडभूंजे को लाए, जो गांव का सबसे बूढा आदमी था। राजा की बात सुनकर भडभूजे ने उतर दिया कि पृथ्वीनाथ, मैं राज काज की बातों को भला क्या जानूं? पर आपका हुक्म है, और मंने आपके पिताजी और दादाजी का भी राज्य देखा है, अत: अपने जीवन की एक घटना सुनाता हूं। उससे आप अंदाजा लगा लीजिए कि कौन सा राज्य अच्छा था।

यों कहकर भड़भूंजे ने अपनी बात कहनी शुरू की। आपके दादाजी के वक्त में एक बार बड़े जोर का तूफान आया। दिन में ही रात हो गई थी और हाथ को हाथ नहीं सूझता था। बड़े जोर का अंधड़ चल रहा था। मकानों के छप्पर और बड़े बड़े पेड हवा में उड़ गए थे। उसी समय एक बहुत ही सुंदर युवती, जो गहनों और कपडों से सजी हुई थी, भटक कर मेरे घर में आ गई। मैंने कहा कि बहन, यहां बैठ जाओ, घबराने की कोई बात नहीं है। जब तूफान शांत हो जाएगा, तब मैं तुम्हें घर सकुशल पहुंचा दूंगा। वह युवती बहुत घबराई हुई थी, लेकिन मेरी बात सुनकर उसे धीरज आ गया।

वह शांति से बैठ गई। जब तूफान शांत हुआ तो मैं उसे उसके घर पहुंचा आया। उन दिनों मैं भी युवक था, लेकिन मेरे मन में किसी प्रकार का पाप नहीं आया। फिर आपके पिताजी का राज्य आया। उन दिनों सोचा करता कि मैं भी कैसा मूर्ख था, यदि मैं उस स्त्री के गहने उतार लेता ओर उसे बाहर निकाल देता तो ऐसे अंध में किसी को कुछ पता नहीं चलता। लेकिन अब सोचता हूं कि मैंने तो बड़ी गलती की, अन्यथा उस स्त्री के न केवल सारे गहने उतरवा लेत, बल्कि उसे अपनी स्त्री भी बना लेता। उफ, कितनी सुंदर थी वह और कितना गहना पहने थी वह। आज उस बात को याद करता हूं तो बड़ा अफसोस होता है। यों कहकर बूढा चूप हो गया। राजा को अपने शासन प्रबंध पर बहुत घमंड था, लेकिन उसका घमंड दूर हो गया। वह जान गया कि मेरी बजाय मेरे बाप का राज्य अच्छा था और बाप की अपेक्षा मेरे दादा का राज्य अच्छा था, जिसमें लोगों की नीयत साबित थी।

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