आ गया बड़ा फैसला: केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका

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याचिका ठुकराई, कहा: यह ईडी और केजरीवाल के बीच का मामला

नई दिल्ली। कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय आज अपना फैसला सुनाया । दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी और उन्हें ईडी रिमांड पर भेजने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट का कहना है कि यह केंद्र और केजरीवाल के बीच का मामला नहीं है बल्कि यह ईडी और केजरीवाल के बीच का मामला है। ईडी के पास पर्याप्त सामग्री थी जिसके कारण उन्हें केजरीवाल को गिरफ्तार करना पड़ा। किसी को कोई विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता है। जज कानून से बंधे है राजनीति से उन्हें कोई लेना-देना नहीं हैं।

कानून सभी के लिए बराबर

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि दस्तावेज के मुताबिक केजरीवाल साजिश में शामिल है। सरकारी गवाह बनाना कोर्ट तय करता है। सरकारी गवाह पर सवाल ईडी पर नहीं बल्कि कोर्ट पर है। अप्रूवर कानून 100 साल पुराना है। कोर्ट ने कहा कि कानून सभी के लिए बराबर है। कोर्ट सीएम के लिए अलग से कोई कानून नहीं बना सकता है। मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है और निचली अदालत इसे एग्जामिन करेगी।

केजरीवाल के वकील ने यह दी थी दलील

राउज एवेन्यू अदालत द्वारा उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ाए जाने के बाद केजरीवाल 15 अप्रैल तक राष्ट्रीय राजधानी की तिहाड़ जेल में बंद हैं। केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि मुख्यमंत्री आगामी लोकसभा चुनावों में भाग लेने में असमर्थ हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ईडी अपराध की आय को केजरीवाल से जोड़ने वाला कोई भी सबूत बरामद करने में असमर्थ रहा है।

ईडी ने किया था विरोध

ईडी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि केजरीवाल आगामी चुनावों के आधार पर गिरफ्तारी से छूट का दावा नहीं कर सकते। एजेंसी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि यह किसी भी संदेह से परे है कि घोटाला हुआ है और मुख्यमंत्री को दोहरी क्षमता में गिरफ्तार किया गया है। केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया था, जब उच्च न्यायालय ने उन्हें संघीय धन-शोधन रोधी एजेंसी द्वारा दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था।

फैसले से सहमत नहीं आप

कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी का अभी आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन पार्टी  का कहना है कि वह इस फैसले सहमत नहीं है। माना जा रहा है कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रही है।

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