
रामगढ़ लेक को पुनर्जीवित करने और बचाने के तरीकों पर हुई चर्चा
जयपुर। फेडरेशन ऑफ हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म ऑफ राजस्थान (एफएचटीआर) और जयपुर के नागरिकों द्वारा शुरू किया गया रिवाइविंग रामगढ़ लेक कैम्पेन द्वारा संयुक्त रूप से जयपुर के रामबाग पैलेस में रामगढ़ लेक के पुनरुद्धार पर ज्ञानवर्धक सेशन का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत एफएचटीआर के सदस्यों द्वारा “रिवाइव एंड सेव रामगढ़ लेक” के पोस्टर रिलीज के साथ हुई।
चर्चा के पैनलिस्ट्स में रामबाग पैलेस के एरिया डायरेक्टर एवं जनरल मैनेजर, अशोक राठौड़; राजस्थान टूरिज्म के एडिशनल डायरेक्टर, आरएएस, राकेश शर्मा; एफएचटीआर और एचआरएआर, अध्यक्ष, कुलदीप सिंह चंदेला; रिवाइवल रामगढ़ लेक मूवमेंट के हेड, नायला के ठाकुर दुष्यन्त सिंह; हेड, रिमोट सेंसिंग डिवीजन, बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जयपुर, महावीर पुनिया; भारत की पहली एमबीए सरपंच, सु छवि राजावत; सुपरिटेंडेंट इंजीनियर डीआरआईपी, जयपुर, अंबुज त्यागी; आयोजन स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, जयपुर, प्रोफेसर, बिनीत छज्जर शामिल थे।
कुलदीप सिंह चंदेला ने रामगढ़ लेक को संरक्षित कर पाने में विफलता पर दुख व्यक्त किया और आने वाली पीढ़ियों के लाभ के लिए इसके पुनरुद्धार की आवश्यकता पर जोर दिया। अशोक एस राठौड़ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रामगढ़ लेक का पुनरुद्धार विरासत और इतिहास के पुनरुद्धार का प्रतीक है, जो राजनीतिक एजेंडे से आगे बढ़कर एक सामाजिक आंदोलन बन गया है। जयपुर का जल स्तर पहले से ही सीमा से नीचे चला गया है। इसलिए जल संरक्षण सर्वोपरि हो गया है, जिसके लिए उन्होंने युवा पीढ़ी से भी भागीदारी का आग्रह किया।
छवि राजावत ने होलिस्टिक डवलपमेंट की बात करते हुए नागरिकों द्वारा सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नागरिक ही इस पहल के सच्चे स्टेकहोल्डर्स हैं। वहीं दुष्यंत नायला ने एनीकट को झील के सूखने का प्राथमिक कारण बताया। उन्होंने जलाशय का स्तर एक निश्चित सीमा तक पहुंचने तक एनीकट के दरवाजे खुले रखने और रामगढ़ फेस्टिवल जैसी पर्यटन पहल को बढ़ावा देने जैसी रणनीतियों का सुझाव दिया।
अंबुज त्यागी ने झील के सूखने का कारण भूमि उपयोग पैटर्न में बदलाव, जलवायु परिवर्तन और हाईवे निर्माण के कारण ड्रेनेज सिस्टम में व्यवधान को बताया। राकेश शर्मा ने न केवल जलाशय बल्कि इसके आसपास के पूरे इकोसिस्टम पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। उन्होंने गांव, पर्यावरण और प्रकृति पर्यटन को शामिल करते हुए एक व्यापक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। वहीं, सुनील पचार ने रैखिक (linear) के बजाय गोलाकार (circular) जल उपयोग प्रैक्टेसिस को अपनाने के महत्व को रेखांकित किया।
बिनीत छज्जर ने कहा की हमें समस्या और समाधान पर ज्यादा से ज्यादा कम्युनिकेट करने की आवश्यकता है। जयपुर की चारदीवारी में बड़ी संख्या में कुएं हैं, जो अब कचरे से भरे होने के कारण बंद हो गए हैं। यह हमारी विरासत हैं, जिन्हें रीस्टोर किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बारिश का पानी संरक्षित करने की जरूर है। इसके लिए हमें सभी को साथ मिलकर अपने घरों से ही शुरुआत करनी होगी। इससे पहले, महावीर पुनिया ने रामगढ़ झील की स्थापना से लेकर वर्तमान स्थिति पर एक विस्तृत प्रजेंटेशन प्रस्तुत की। इस अवसर पर सुरेंद्र सिंह शाहपुरा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।