मां बनने की तैयारी है तो मेंटल हेल्थ का रखें ख्याल

मेंटल हेल्थ
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मां अपने बच्चे की सबसे पहली रोल मॉडल होती है। बच्चों के लिए उनकी मां बिल्कुल परफेक्ट होती है, जो हमेशा मुस्कुराती रहती है, कभी थकती नहीं है, हमेशा उनके लिए मौजूद रहती है, लेकिन ऐसा नहीं है। मां बनने का एहसास बेहद खूबसूरत होता है, लेकिन मां बनना उतना ही मुश्किल। मां को भी मदद की जरूरत होती है, वे भी थकती हैं और वे भी परेशान होती हैं। वे महिलाएं, जो अभी-अभी मां बनी हैं, वे खुद को हमेशा इसी उधेड़-बुन में पाती हैं कि क्या वह वे जो कर रही हैं, वह उनके बच्चे के लिए सही है या नहीं। दिन-रात अपने बच्चे की देखभाल करने, उनकी जरूरतों को पूरा करने में कोई चूक न हो जाए, ये बातें उन पर हावी होने लगती है। इसके कारण कई बार हाल ही में, मां बनी महिलाओं की मेंटल हेल्थ प्रभावित होने लगती है। शारीरिक थकान के साथ उनकी मानसिक थकान भी बढऩे लगती है। मेंटल हेल्थ

भावनाओं को अपनाएं

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पीरियड जितनी खुशियों भरा होता है, उतना ही मुश्किल भी हो सकता है। इसलिए इस दौरान मां की मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है। न्यू मदर्स इस समय कई तरह की भावनाओं का अनुभव करती हैं। खुशी, चिंता, परेशानी और यहां तक की गिल्ट जैसे कई इमोशन को समझना और उनसे गुजरना, न्यू मदर्स के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इन भावनाओं को बिना किसी जजमेंट के अपनाने की कोशिश करें। इस बात को याद रखें कि यह बहुत सामान्य बात है कि आप हर वक्त खुश नहीं रह सकतीं और यह सभी के साथ होता है।

मदद लें

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न्यू मदर्स अक्सर अपने बच्चे के लिए सब कुछ खुद ही करना चाहती हैं और यह काफी स्वाभाविक भी है। हालांकि, इसके कारण वे शारीरिक और मानसिक थकान हो सकती है। इसलिए मदद लेने में झिझकें नहीं। अपने पार्टनर, परिवारजनों, दोस्तों और हेल्थ प्रोफेशनल्स से आप बिना किसी संकोच के मदद ले सकती हैं। इससे आप अपना और अपने बच्चे दोनों का बेहतर ख्याल रख पाएंगी। इसलिए अपने आस-पास ऐसे लोगों को रखें, जो आपको समझें और आपका हौसला अफजाई करें और आपकी मदद के लिए तैयार रहें।

अपने लिए समय निकालें

हाल ही में मां बनी महिलाएं, अक्सर अपने लिए समय निकालने में संकोच करती हैं। उन्हें लगता है कि उनका सारा समय सिर्फ उनके बच्चे के लिए होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। अपना ख्याल रखना बेहद जरूरी है। यह आपकी सेहत के लिए काफी जरूरी है और साथ ही, आपके बच्चे की बेहतर देखभाल के लिए भी जरूरी है। इसलिए अपने लिए कुछ समय निकालकर ऐसी एक्टिविटी करें, जिससे आपको रिलैक्स महसूस हो और आप हेल्दी रहें, जैसे वॉक पर जाएं, वॉर्म बाथ लें, आराम करें या अपने दिन का थोड़ा समय योग और मेडिटेशन के लिए निकालें।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण पहचानें

कई न्यू मदर्स पोस्टपार्टम डिप्रेशन का भी शिकार हो जाती हैं। इसलिए इसके लक्षणों को पहचानकर, मदद लेना बहुत जरूरी है। पोस्टपार्टम डिप्रेश और एंग्जायटी के कुछ सामान्य लक्षण हैं- अपने बच्चे से बॉन्ड न बना पाना, चिड़चिड़ापन, बहुत अधिक चिंता, सोने में तकलीफ, खान-पान की आदतों में बदलाव आदि। इसलिए अगर आपको ऐसे कोई लक्षण नजर आएं, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर बात करें।

नींद पूरी करने की कोशिश करें

नींद की कमी की वजह से आप शारीरिक और मानसिक परेशानियों का शिकार हो सकती हैं। इसके कारण थकान, मूड स्विंग्स और घबराहट जैसी समस्याएं बढऩे लगती हैं। इसलिए शिशु की देखभाल करते हुए आराम करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन कोशिश करें कि आप जितनी नींद पूरी कर सकती हैं, उतनी करें। इसके लिए आप अपने पार्टनर और परिवारजनों से मदद ले सकती हैं।

अपने बच्चे की और अपनी तुलना दूसरों से न करें

मां की भूमिका निभाना काफी मुश्किल होता है और इसमें ढलने में समय लग सकता है। इसलिए यह बेहद सामान्य है कि सबकुछ आपकी अपेक्षाओं के अनुसार न हो या आपने जैसा प्लान किया था, वैसा नहीं हो रहा हो। इसलिए अपनी और अपनी बच्चे की तुलना औरों से न करें। हर बच्चा और मां खुद में काफी अलग होते हैं और इसलिए सभी का अनुभव भी अलग-अलग होता है। इसलिए इस समय को एन्जवॉय करने की कोशिश करें।

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