
जयपुर। सचिवालय के गलियारों में एक अधिकारी जातिगत आधार पर गठजोड़ करके पॉवर सेंटर बनने के प्रयास में हैं। पीएमओ तक पहुंच रखने वाले सरकार के स्वजातीय ओहदे दार मंत्री के विभाग में खुद का तबादला कराने की जुगत में हैं। मिशन काफी पहले से जारी है। खुद के विभाग की सुध लेना भूल कर वे मंत्री को उनके विभाग की ऑफ द रिकॉर्ड कार्ययोजना तक बनाकर गुपचुप सरका रहे हैं। जिसकी शासन सचिवालय के गलियारों में भी खूब चर्चा हो रही है। अब देखना यह है कि उनकी मिशन पॉवर सेंटर बनने की झटपटाहट पूरी हो पाती है या नहीं।
चर्चा विदेशी दौरे की
जंगल की हरियाली और जमीन नापकर सरकार के शक्ति केन्द्र में लगे एक अफसर का विदेशी दौरा इन दिनों सचिवालय की ब्यूरोक्रेसी में खूब छाया हुआ है। चर्चा भला हो भी क्यों न, शक्तिकेन्द्र का बीते दो दशक में शायद ही कोई अफसर ऐसा रहा हो जो इतनी लंबी छुट्टी पर विदेश की सैर पर निकल गया हो, वो भी तब जब प्रदेश के मुखिया देश के चुनावों में ताबडतोड़? दौरे कर रहे थे। बड़े साब को भी उनका विदेशी दौरा रास नहीं आ रहा है। आचार संहिता हटते ही साब कहीं शक्ति केन्द्र से दूर ना हो जाएं।
खुद की सीआर भरने में जुटे साब लोग
आचार संहिता हटते ही अफसरों को पूरा भरोसा है कि ब्यूरोक्रेसी में मुखियाजी बड़ा फेरबदल करेंगे। जो मजबूत महकमों में लगे हैं वे अपने काम की सीआर भर रहे हैं। रिपोर्ट केबिन में गुप्त रूप से खुद ही तैयार कर रहे हैं। कुछ विभागों के काम को बेगारी मान रहे अफसर भी इनसे दो हाथ आगे हैं। वे भी अपने पुराने परफॉमेंस का रिपोर्ट कॉर्ड तैयार कर रहे हैं। सरकार के शक्ति केन्द्र तक जैसे-तैसे इसे पहुंचाने में लगे हैं। बडे साब तक भी रिपोर्ट के साथ अप्रोच हो रही है। बड़े साब भी तो सरकार में अहम रोल में जो है। किसको-कहां लगाना हैं, दारोमदार उनके कंधे पर भी कम नहीं हैं। अब किसकी सीआर बनी रहेगी, किसकी बिगड़ेगी, यह तो फेरबदल होगा तब ही सामने आएगा।
पारदर्शी केबिन वाले अफसर खटक रहे
शीशे से पारदर्शी केबिन में बैठे सचिवालय के एक अफसर इन दिनों सत्ता पक्ष को ही खटक रहे हैं। गर्मी में उनका विभाग लाइमलाइट में रहता है, लेकिन वे लाइमलाइट में इसलिए हैं क्योंकि एक ऐसा कानून सरकार से बनवाने के भरसक प्रयास में है जो भले ही परिस्थिति मुताबिक काबिलेगौर है, लेकिन राजनीति से जुड़े लोगों को उसकी पटकथा पच नहीं रही है। खासकर ग्रामीण इलाकों से जुडे जनप्रतिनिधियों के चेहरों पर चिंता की लकीरें हैं। मुखिया जी को भी इसकी भनक लग चुकी बताए।
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