नरेंद्र मोदी ने बता दिया, विकास कार्य रुकेंगे नहीं, दबाव में झुकेंगे नहीं

नरेंद्र मोदी
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नरेंद्र मोदी टीम में वसुंधरा राजे के बेटे को जगह नहीं, शिवराज, खट्टर बने मंत्री

जलते दीप, जयपुर। नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 72 मंत्रियों ने भी शपथ ली। मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का गठन कर बता दिया है कि ना तो वे दबाव में हैं और ना ही कोई समझौता किया है। 4 जून को नतीजे आने के बाद से ही आशंकाएं जताई जा रही थी कि इस बार नरेंद्र मोदी को सहयोगी दलों के दबाव में काम करना पड़ेगा। कहा जा रहा था कि 16 सांसदों वाली नायडू की टीडीपी कैबिनेट में चार मंत्री की मांग कर रही है वहीं नीतीश बाबू भी कैबिनेट में चार मंत्री चाहते हैं लेकिन रविवार को जब मोदी के साथ मंत्रियों ने शपथ ली तो यह तय हो गया कि नरेंद्र मोदी ना तो किसी के दबाव में हैं और ना ही किसी प्रकार का कोई समझौता किया गया।

पार्टी से बड़ा कोई नहीं, वसुंधरा राजे को सबक

मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया, वहीं हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को कमान सौंपी गई लेकिन इन दोनों ही नेताओं ने हाईकमान के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं जताई और ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे पार्टी को नुकसान हो। इसी का परिणाम है कि मोदी इन दोनों नेताओं को सांसदी का चुनाव लड़वाकर केंद्र में लाए और अपनी कैबिनेट में जगह दी। इससे विपरित राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कार्यशैली पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाली रही। पार्टी ने राजे को भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना रखा है, लेकिन राजे ने कभी भी राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता नहीं दिखाई। राष्ट्रीय नेतृत्व से जो प्रस्ताव मिले उन सभी को राजे ने ठुकरा दिया।

मां के विरोधी रुख का असर बेटे पर, दुष्यंत को नहीं मिला अवसर

2018 में राजस्थान में चुनाव हार के बाद भी वसुंधरा राजे हाईकमान को समय-समय पर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाती रही। 2023 में भाजपा को बहुमत मिलने पर राजे ने फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए दबाव की राजनीति की। उन्होंने विधायकों की लॉबिंग करने की कोशिश की, लेकिन भाजपा हाईकमान वसुंधरा राजे के सामने झुका नहीं। राजे ने जो नकारात्मक रवैया अपनाया, उसी का परिणाम है कि उनके बेटे दुष्यंत सिंह को भी केंद्र में मंत्री बनने का अवसर नहीं मिला है, जबकि दुष्यंत सिंह झालावाड़ से लगातार पांचवीं बार सांसद चुने गए हैं। राजे के समर्थकों को उम्मीद थी कि पांच बार के सांसद दुष्यंत सिंह को तो मंत्री बनाया ही जाएगा। लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि चाहे कितना भी नुकसान हो, लेकिन वसुंधरा राजे के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया जाएगा।

नरेंद्र मोदी की कार्यशैली वही रहेगी

मोदी ने अपनी टीम बनाते समय विशेष ध्यान रखा है कि विकास के कामों पर असर ना पड़े और किसी प्रकार की रुकावट नहीं आए। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल का चेहरा भी पुराना ही रखा है। माना जा रहा है कि राजनाथ सिंह रक्षा, अमित शाह को गृह, एस जयशंकर को विदेश, निर्मला सीतारमण को वित्त, नितिन गडकरी को सड़क परिवहन विभाग का मंत्री फिर से बना दिया जाए। मंत्रिमंडल का गठन कर मोदी ने बता दिया है कि जो कार्यशैली पहले और दूसरे कार्यकाल में रही, वही कार्यशैली तीसरे कार्यकाल में भी रहेगी। पीएम मोदी की कार्यशैली ऐसी है कि वे फैसले लेने में ना तो संकोच करते हैं और देशहित के कामों में कोई समझौता नहीं करते हैं। चुनाव परिणामों को देख कर जो लोग यह मान रहे थे कि इस बार मोदी को समझौता करना पड़ेगा तो उन लोगों को आने वाले दिनों में पता चल जाएगा कि इस बार दूसरे कार्यकाल से भी बड़े और सख्त फैसले होंगे। इन फैसलों में यूनिफॉर्म सिविल कोड, वन नेशन वन इलेक्शन, वक्फ कानून को समाप्त करने जैसे हो सकते हैं।

नायडू और नीतीश को भाजपा की मदद की जरुरत

लोकसभा चुनाव में हालांकि भाजपा को 272 वाला पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, लेकिन उड़ीसा में अपने दम पर भाजपा ने बीजेड़ी से सत्ता छीन ली है। अब उड़ीसा में भाजपा की सरकार बनेगी। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में भी टीडीपी और भाजपा के गठबंधन वाली सरकार बनेगी। केंद्र में मोदी को समर्थन देने वाले जेडीयू और टीडीपी को अपने अपने राज्यों में मोदी सरकार की मदद की दरकार है। चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पहली चिंता अपने आंध्र की करेंगे। इसी प्रकार नीतीश कुमार भी बिहार में अपने मुख्यमंत्री के पद को बनाने में रुचि रखेंगे।

जिनके काम बेहतर वे फिर नरेंद्र मोदी टीम में, राजस्थान से चार

मोदी ने अपनी कैबिनेट में राजस्थान से चार सांसदों को जगह दी है। विपक्षी दल कह रहे थे कि इस बार केंद्रीय कैबिनेट में राजस्थान से कम चेहरे होंगे। लेकिन मोदी ने जिसे चाहा उसे मंत्री बनाया। इस बार राजस्थान की 25 में से 14 सीट ही भाजपा को मिली है, लेकिन इसके बावजूद मोदी ने भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत को कैबिनेट तथा अर्जुनराम मेघवाल को स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया है। इतना ही नहीं अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी को भी राज्यमंत्री बना दिया। यदि कोई दबाव होता तो क्या 14 सांसदों वाले प्रदेश के चार मंत्री नहीं बन पाते।

मोदी की टीम में भाजपा को प्रमुखता

मोदी की टीम को देखें तो उन्होंने 30 कैबिनेट मंत्री बनाए हैं जिनमें 25 भाजपा और पांच सहयोगी दल के हैं। वहीं 36 राज्य मंत्रियों में 32 भाजपा और 4 गठबंधन के सहयोगी दलों के हैं। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों में तीन भाजपा और 2 घटक दलों के हैं। टीडीपी और जदयू से बनाए गए राज्य मंत्रियों में स्वतंत्र प्रभार वाला कोई नहीं है।

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