इन खतरनाक बीमारियों की ओर धकेल देगी आपकी धूम्रपान की आदत

खतरनाक धूम्रपान
खतरनाक धूम्रपान

तंबाकू का सेवन भारत में बहुत ही आम है, लेकिन इसके खतरों का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दुनियाभर में हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत तंबाकू सेवन से हो जाती है। तंबाकू में मौजूद निकोटीन सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह होता है और यह कैंसर की भी वजह बन सकता है। चाहे इसका सेवन चबाकर करें या धूम्रपान के जरिए इसमें मौजूद कार्सिनोजनिक तत्व शरीर पर बुरा प्रभाव डालते हैं। तंबाकू खाने वाले ज्यादातर लोगों का मुंह पूरी तरह नहीं खुल पाता। मुंह के अंदर दोनों तरफ सफेद लाइन बनना कैंसर का संकेत है। समय रहते इस ओर ध्यान न दिया जाए, तो ये बहुत गंभीर हो सकता है।

धूम्रपान के जरिए

खतरनाक धूम्रपान
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इसमें ऐसे उत्पाद आते हैं, जिनका जलाकर सेवन किया जाता है। इसमें धुआं उत्पन्न होता है।

धु्आं रहित उत्पाद के जरिए

खतरनाक धूम्रपान
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इसमें ऐसे उत्पाद आते हैं जिन्हें जलाया नहीं जाता। इन्हें चबाकर या चूसकर खाया जाता है। एक तीसरा ऑप्शन नाक से सूंधने का भी है। इससे ये मुंह या नाक के जरिए सीधे शरीर में जाता है। धुआं रहित तंबाकू में निकोटीन, आर्सेनिक, लेड व फॉर्मेल्डिहाइड जैसे खतरनाक केमिकल्स होते हैं। धुआं रहित तंबाकू उत्पाद में हानिकारक केमिकल्स का लेवल धूम्रपान की तुलना में थोड़ा कम होता है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि ये उत्पाद धूम्रपान का सेफ ऑप्शन हैं।

एक डॉ. का कहना है कि, तंबाकू का शरीर पर गहरा और हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जो लगभग हर अंग को प्रभावित कर सकता है। जब तंबाकू को सिगरेट की तरह पिया जाता है या चबाकर खाया जाता है, तो इसमें निकोटीन, तार और कार्बन मोनोक्साइड जैसे हजारों हानिकारक केमिकल शरीर में जाते हैं। निकोटीन, एक बहुत ही हानिकारक पदार्थ है, जो ब्लड वेसेल्स को सुंकचित करता है, ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। जिससे हार्ट अटैक व स्ट्रोक जैसे हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, तंबाकू धुएं में मौजूद तार में कैरिनोजेन होता है जो फेफड़ों की टिशूज को नुकसान पहुंचाता है, जिससे फेफड़े के कैंसर हो सकता है। ये तंबाकू से होना वाला सबसे आम कैंसर है।

फेफड़ों के अलावा, तंबाकू का उपयोग मुंह, गला, उदर, पेट, मूत्राशय, और गर्भाशय जैसी अन्य कैंसर की भी वजह बन सकता है। इसके अलावा तंबाकू का धुआं श्वसन प्रणाली को कमजोर बनाता है, जिससे क्रॉनिक ऑबस्ट्रक्टिव पुल्मोनरी रोग (सीओपीडी), क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फिसीमा जैसी बीमारियों की होने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं तम्बाकू का उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर करने लगता है, जिससे व्यक्ति आसानी से इन्फेक्शन का शिकार हो सकता है।

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