दिल की सेहत के लिए ठीक नहीं स्लीप एपनिया, डाक्टर से जरूर लें सलाह

स्लीप एपनिया
स्लीप एपनिया

सोना हमारी सेहत के लिए कितना जरूरी होता है, इसका अंदाजा हम सभी को है। अच्छी सेहत के लिए रोज कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूरी होती है। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि इसमें कोई खलल न पड़े। दरअसल, इस समय हमारा शरीर दिनभर की थकान को दूर करता है और रिलैक्स होता है। हमारे जरूरी ऑर्गन्स जैसे दिल और दिमाग के लिए भी नींद बहुत जरूरी होती है। लेकिन नींद पूरी न होने से या बार-बार नींद टूटने की वजह से सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। नींद से जुड़ी एक गंभीर समस्या है स्लीप एपनिया, जिसमें सोते समय व्यक्ति की बार-बार सांस रुकने लगती है।

स्लीप एपनिया
स्लीप एपनिया

स्लीप एपनिया के कारण दिमाग व्यक्ति को जगा देता है, ताकि वह फिर से सांस लेना शुरू कर सके। इस समस्या के काफी गंभीर परिणाम भोगने पड़ सकते हैं, जिनमें दिल की बीमारियों का खतरा भी शामिल है। कैसे स्लीप एपनिया दिल को प्रभावित करता है और इसे कैसे मैनेज किया जा सकता है?

क्या है स्लीप एपनिया ?

स्लीप एपनिया
स्लीप एपनिया

स्लीप एपनिया एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति अचानक से सांस लेना बंद कर देता है। ऐसा सिर्फ सोते समय होता है, इसलिए इसे स्लीप एपनिया कहा जाता है। क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, ऐसा दो कारणों से होता है। पहला कारण है- श्वांस नली ब्लॉक होना और दूसरी वजह है- दिमाग का ब्रीदिंग को कंट्रोल न कर पाना।

सांस न ले पाने की वजह से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और जान बचाने के लिए व्यक्ति की नींद टूट जाती है, जिसके बाद वह सांस लेना फिर से शुरू कर देता है। लेकिन सोने पर यह समस्या दोबारा शुरू हो जाती है। इसके कारण सुकून की नींद नहीं मिल पाती, जो सेहत के लिए नुकसानदेह है।

स्लीप एपनिया के प्रकार

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपिनया- यह स्लीप एपनिया का सबसे कॉमन प्रकार है। इसमें गले की मांसपेशियां सोते समय रिलैक्स हो जाती हैं, जिसके कारण श्वांस नली पर दबाव पडऩे लगता है। इस वजह से सांस लेने में रुकावट आती है और हवा फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाती। सेंट्रल स्लीप एपनिया- इसमें दिमाग ब्रीदिंग को ठीक से कंट्रोल नहीं कर पाता है। वह सांस लेने के लिए महत्वूपर्ण मांसपेशियों को ठीक तरह से सिग्नल नहीं भेज पाता है, जिसकी वजह से सोते समय व्यक्ति की सांस रुकने लगती है।

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